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    मनरेगा ने जारी की एडवायजरी, अब पुत्र और भाई के खातों में नहीं कर पाएंगे भुगतान

    Updated: Wed, 17 Dec 2025 08:11 AM (IST)

    सीतापुर में मनरेगा योजना में गबन के कई मामले सामने आने के बाद, सरकार ने योजना में बदलाव किए हैं। अब मनरेगा योजना 'विकसित भारत गारंटी फार रोजगार एंड आज ...और पढ़ें

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    मिश्रिख और बेहटा की 40 ग्राम पंचायतों में बिना काम कराए निकाला गया था धन। जागरण

    संवाद सूत्र,जागरण, सीतापुर। करीब चार माह पहले बिसवां की ग्राम पंचायत शिवथान में मनरेगा योजना में 7.35 लाख रुपये का गबन पकड़ा गया। इसमें प्रधान ने अपने पुत्र व भाई के खातों में ग्राम पंचायत के खाते से अवैध तरीके से भुगतान किया था। पांच माह पहले मछरेहटा के भिठौरा गांव में आनलाइन हाजिरी में फर्जीवाड़ा पकड़ा गया था।

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    ऑनलाइन 90 श्रमिक दिखाए गए थे और मौके पर एक भी नहीं मिला था। सात माह पहले बेहटा व मिश्रिख की 40 ग्राम पंचायतों में बिना कार्य कराए धन निकालने का मामला पकड़ा गया था। यह तो महज तीन उदाहरण, वैसे मनरेगा में गबन की घटनाओं की फेहरिस्त लंबी है।

    मनरेगा योजना के विकसित भारत गारंटी फार रोजगार एंड आजीविका मिशन (जी राम जी) में तब्दील होने के बाद इस तरह के गबन नहीं हो पाएंगे। सरकार योजना के संचालन में कृत्रिम बुद्धि यानी एआइ का भी उपयोग करने जा रही है।

    अब तक मनरेगा योजना प्रधानों और ग्राम पंचायत सचिवों के लिए गबन का प्रमुख हथियार था। श्रमिकों के मास्टर रोल पर परिवारजन और नजदीकियों का नाम चढ़ाकर सरकारी धन का बंदरबांट किया जाता था। अब मनरेगा का सिर्फ नाम ही नहीं परिवर्तित हुआ है, बल्कि उसका ढांचा भी पूरी तरह से बदला गया है। काम के दिन, फंडिंग का पैटर्न, राज्य सरकार के लिए नियम, बेरोजगारी भत्ता, कार्य की प्रकृति आदि में परिवर्तन कर दिया गया है।

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    इससे ग्रामीण विकास को बहुआयमी फायदे मिलेंगे। एक तो भ्रष्टाचार रुकेगा, दूसरे खेती-किसानी भी सुधरेगी। अब खेती के कार्य में श्रमिकों की समस्या आड़े नहीं आएगी। उधर, श्रमिकों को बेरोजगारी का दंश भी नहीं झेलना पड़ेगा। खेती के समय वह खेतों में काम करके धनार्जन करेंगे। वहीं, खाली होने पर वह ग्राम पंचायतों में काम कर सकेंगे। मछरेहटा के गांव परसदा की श्रमिक फूलमती ने बताया कि गांव में सब कह रहे थे अब वर्ष में 125 दिन का काम मिलेगा।

    महिलाओं को मिलेगी प्राथमिकता
    नई व्यवस्था ने महिला श्रमिक ज्यादा खुश हैं। उनका कहना है कि उन्हें बाहर कोई मजदूरी पर रखता नहीं है। ग्राम पंचायतों में ही काम मिलता है। अब सरकार ने आवेदन करने में महिलाओं को प्राथमिकता दे दी है। इससे काम मिलने आसानी हो जाएगी।