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    सीतापुर के 70 गांवों तक पहुंची जरूरतमंदों को पढ़ाने और साक्षरता की पहल, रजनी ने तीन साल पहले अपने गांव से की थी शुरुआत

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 05:35 PM (IST)

    निरक्षरता के अंधियारे को मिटाने के लिए तीन वर्ष पहले जलाई गई मशाल की रोशनी अब 70 गांवों तक पहुंच गई है। भौनामऊ की रजनी की इस पहल से प्रेरित होकर इन गांवों की युवतियां इस मशाल को थामकर बच्चों व महिलाओं को साक्षर बनाने के साथ जरूरतमंद बच्चों को पढ़ा भी रही हैं।

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    भौनामऊ में बालिकाओं को पढ़ाती हुईं रजनी।

    बद्री विशाल अवस्थी, सीतापुर। निरक्षरता के अंधियारे को मिटाने के लिए तीन वर्ष पहले जलाई गई मशाल की रोशनी अब 70 गांवों तक पहुंच गई है। भौनामऊ की रजनी की इस पहल से प्रेरित होकर इन गांवों की युवतियां इस मशाल को थामकर बच्चों व महिलाओं को साक्षर बनाने के साथ जरूरतमंद बच्चों को पढ़ा भी रही हैं। प्रतिदिन दो घंटे की यह निश्शुल्क पाठशाला से न सिर्फ सुनहरा भविष्य तैयार हो रहा बल्कि निरक्षरता का कलंक भी मिट रहा है। पढ़ाने के साथ ही बच्चों व महिलाओं को स्टेशनरी भी दी जाती है।

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    मछरेहटा ब्लाक के भौनामऊ गांव की रजनी को पढ़ने-पढ़ाने का शौक है। परास्नातक के बाद एलएलबी द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रहीं रजनी ने अपने इस शौक को पूरा करने के लिए तीन वर्ष से लोगों को साक्षर बनाने और जरूरतमंदों को पढ़ाने की पहल की। अपने गांव से बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत की थी। इसके बाद अन्य गांवों की युवतियों को इस दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित किया।

    वर्तमान में उनकी यह पहल 70 गांवों तक पहुंच चुकी है। शाम को चार से छह बजे के मध्य इन गांवों से गुजरने पर पाठशाला चलती मिलती है। असरेखा गांव में शिल्पी, कसमरिया में मनीषा, मिरचौड़ी में पूजा, रमुआपुर में अंशिका, कुनेहटा में गुड़िया, मिर्जापुर में आरती, भौनामऊ में शशी, रामपुर में ईशा आदि 70 युवतियां जरूरतमंद बच्चों व महिलाओं को निश्शुल्क पढ़ा हैं। हर जगह 25 से 30 बच्चे व महिलाएं शिक्षित हो रहे हैं। यहां इस समय 1750 बच्चे व महिलाएं पढ़ रहे हैं।

    पढ़ाने में मिलता है सुकून

    यह पाठशाला सिर्फ लोगों को साक्षर बनाने व पढ़ाने तक सीमित नहीं है। पढ़ाने वालों को भी शांति और सुकून देती है। भौनामऊ की शशी बताती हैं रजनी ने अपनी पहल के संबंध में विस्तार से बताया और अपना ज्ञान लोगों में बांटने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद दो घंटे बच्चों को पढ़ाते हैं। नेक कार्य के साथ ही हमारा भी अभ्यास हो जाता है, मन को सुकून भी मिलता है। मिरचौड़ी की पूजा ने कहा कि शिक्षा सभी का अधिकार है। शिक्षा प्राप्त करना व शिक्षा देना दोनों गुण अच्छे हैं। बच्चों को पढ़ाने का अलग ही अनुभव है।

    ‘जरूरतमंदों को पढ़ाने में मददगार बनें युवा’

    रजनी बताती हैं कि अपने गांव से की गई पहल का विस्तार होते देखकर आत्मविश्वास बढ़ा है। वर्तमान में 70 गांवों में पाठशाला लग रही हैं। निरक्षरता को समाप्त करने के लिए इसको आगे भी जारी रखेंगे। पढ़े-लिखे युवाओं से कहना चाहूंगी कि वह भी समय निकालकर जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाएं और निरक्षर लोगों को साक्षर बनाएं। क्योंकि जितना अधिक शिक्षा का प्रसार होगा उतना ही हमारा राष्ट्र सशक्त बनेगा। शिक्षा राष्ट्रसेवा के समान है। शिक्षा से ही व्यक्ति का चरित्र निर्माण व सामाजिक विकास संभव है।