UP News: सीतापुर में आबकारी इंस्पेक्टर ने किया सुसाइड, सिर में मारी गोली; बंद गाड़ी में मिला शव
सीतापुर में एक बंद गाड़ी में आबकारी निरीक्षक आलोक कुमार का शव मिला। उनके सिर में गोली लगी हुई थी। पुलिस घटना को आत्महत्या मान रही है और कारणों की जांच कर रही है। आलोक कुमार मूल रूप से कन्नौज जिले के रहने वाले थे और वर्तमान में बांदा जिले में तैनात थे। वह 2013 से 2018 के बीच सीतापुर में भी तैनात रह चुके हैं।

जागरण संवाददाता, सीतापुर। बांदा में तैनात आबकारी निरीक्षक आलोक कुमार का शव मंगलवार को नगर कोतवाली की वैदेही वाटिका के पास सर्विस लेन पर बंद गाड़ी में मिला। उनके सिर में गोली लगी हुई थी। पुलिस घटना को आत्महत्या बताकर कारणों को पता लगा रही है। पुलिस जांच-पड़ताल में लगी हुई है।
मूल रूप से कन्नौज जिले के रहने वाले आलोक कुमार और उनकी पत्नी अमृता श्रीवास्तव बांदा जिले में तैनात हैं। आलोक आबकारी निरीक्षक थे, जबकि उनकी पत्नी सहायक आबकारी आयुक्त हैं। नगर में उनका घर शिवपुरी मोहल्ले में है।
इन दिनों अपने घर आए हुए थे आलोक कुमार
बताया जा रहा है कि आलोक कुमार इन दिनों अपने घर आए हुए थे। वह मंगलवार की सुबह कार लेकर घर से निकले थे। दोपहर बाद उनकी कार वैदेही वाटिका के पास हाईवे की सर्विस रोड पर खड़ी मिली। बंद कार में वह कार की पिछली सीट पर पड़े थे। उनके सिर में गोली लगी थी। कार में ही उनका रिवॉल्वर था। वह सीतापुर में 2013 से 2018 के बीच तैनात रह चुके हैं।
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घर वापस न आने पर ढूंढने निकले पिता
आलोक के पिता ईश्वर दयाल भी शिवपुरी वाले घर पर थे। आलोक के घर न आने पर उन्होंने तलाश शुरू की थी। बताया जा रहा है कि उन्होंने ही आलोक को कार में पड़े देखा और मिस्त्री से लॉक खुलवाकर उन्हें जिला अस्पताल लेकर आए।
सोसाइड नोट भी मिला
आलोक की कार से एक सोसाइड नोट भी मिला है। बताया जा रहा है कि इसमें विभागीय उत्पीड़न का जिक्र है। हालांकि नगर कोतवाली पुलिस इसको लेकर कुछ भी बोलने से कतरा रही है।
आलोक की गाड़ी में मिला है सुसाइड नोट
नगर कोतवाल अनूप शुक्ल ने बताया कि आलोक ने गोली मारकर आत्महत्या की है। गाड़ी में रिवॉल्वर भी मिला है। घटना के कारणों का पता लगाया जा रहा है।
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ज्यादातर मां से बात करते थे आलोक
आलोक के पिता ईश्वर दयाल और मां राजेश्वरी देवी गांव बरियामऊ में ही रहते हैं। आलोक का एक छोटा भाई कुलदीप और दो बहनें हैं। कुलदीप दिल्ली में रहते हैं। शाम को करीब चार बजे घटना की जानकारी मिलने के बाद माता-पिता पहुंचे। पिता ईश्वरदयाल बताते हैं कि आलोक ज्यादातर अपनी मां से ही बात करते थे। कल उनसे बात हुई थी।एक साल पहले घर पर काम करने वाले एक श्रमिक की मौत होने पर आलोक गांव गए थे।
घर पर बेटा-बेटी रहते थे
आलोक के शिवपुरी स्थित घर पर उनके उनके बेटे अयान व बेटी अक्षिता रहती थीं। आलोक और उनकी पत्नी अमृता बारी-बारी बच्चों के साथ रुकते थे। मंगलवार को उनकी पत्नी बांदा में थीं। उन्हें शाम को सीतापुर आना भी था। घटना के बाद वह शाम को सीतापुर आईं।
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