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    कठपुतली कला से बच्चों में बो रहे शिक्षा का संस्कार, कई राज्यों में हो चुके हैं सम्मानित

    Updated: Thu, 20 Mar 2025 06:09 PM (IST)

    कठपुतली कला के माध्यम से बच्चों में शिक्षा का संस्कार बोया जा रहा है। सीतापुर के तीन शिक्षक - सुचिता शर्मा रुचि अग्रवाल और अतन शुक्ल - कठपुतली का उपयोग करके बच्चों को गणित विज्ञान सामाजिक विषय और हिंदी जैसे विषयों को आसानी से समझा रहे हैं। कठपुतली के माध्यम से बच्चों को विभिन्न नवाचारों से भी अवगत कराया जा रहा है।

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    महोली के प्राथमिक विद्यालय गंगापुर में बच्चों को कठपुतली के माध्यम से पढ़ाते एआरपी अतन शुक्ल: साभार स्वयं

    विनीत पांडेय, सीतापुर। कठपुतली का खेल देखकर बच्चे हों या बुजुर्ग सभी वाह-वाह कर उठते हैं। अंगुलि‍यों के इशारे पर नाचती कठपुतली जब बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश देती है तो बच्चे ही नहीं अभिभावक और ग्रामीण भी बेटियों की शिक्षा के महत्व को समझते हैं।

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    गीत और कहानियों के माध्यम से कठपुतली अच्छे से गणित, विज्ञान, सामाजिक विषय व हिंदी आदि विषयों के पाठों को बच्चों को सहज ही समझा देती है। कठपुतली बच्चों की शिक्षा को तो रोचक बनाती ही है, साथ ही उन्हें विभिन्न नवाचारों से भी अवगत कराती है।

    कठपुतली से शैक्षिक गतिविधियों को रोचक बनाने का हुनर जिले के तीन शिक्षक बाखूबी समझते हैं। इनमें हरगांव क्षेत्र के परिषदीय विद्यालय मदारपुर की शिक्षिका सुचिता शर्मा, बेहटा के पिड़ुरिया की रुचि अग्रवाल, महोली के अतन शुक्ल शामिल हैं। इन लोगाें ने शिक्षा को रोचक बनाने के लिए कठपुतली का सहारा लिया। इससे बच्चों की शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ी ही शिक्षक भी सम्मानित हुए।

    कठपुतली के साथ हरगांव क्षेत्र के परिषदीय विद्यालय मदारपुर की शिक्षिका सुचिता शर्मा, बेहटा के पिड़ुरिया की रुचि अग्रवाल: साभार स्वयं

    तीन हजार से अधिक बच्चों को सिखा चुके कठपुतली बनाना

    महोली विकासखंड के अकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) अतन शुक्ल ने डायट में कठपुतली बनाने व उसके माध्यम से पढ़ाने का तौर तरीका सीखा। वह महोली विकासखंड के किसी भी स्कूल में जाते हैं तो बच्चे बहुत खुश हो जाते हैं।

    गीत कहानी के माध्यम से ऐसे रोचक ढंग से पढ़ाते हैं कि बच्चे यही कह उठते हैं सर जी अभी मत जाइए। वह कहानी, रंगमंच, त्वरित नवाचार से अब तक तीन हजार से अधिक बच्चों का शैक्षिक संवर्धन कर चुके हैं और उन्हें कठपुतली बनाना सिखा चुके हैं। अपने नवाचार के माध्यम से शिक्षकों तथा अभिभावकों को भी दायित्व बोध कराते रहते हैं।

    अतन शुक्ल ने कक्षा चार की पुस्तक हमारा परिवेश के स्वशासन व दोस्ती और कक्षा दो में हिंदी विषय में जया जगत व जुगनू पाठ को बच्चों को कठपुतली के माध्यम से पढ़ाते हैं।

    इनके बनाए कठपुतली से संबंधित वीडियो को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया था इसके अलावा अपने ओम अतन यूट्यूब चैनल पर भी अपलोड कर रहे हैं। लखनऊ, गुजरात आदि स्थानों पर आयोजित शैक्षिक समाराेह में केवल प्रतिभाग ही नहीं किया बल्कि सम्मानित भी हुए।

    कठपुतली से बच्चों ने किया ‘अधूरा पुल’ का मंचन

    हरगांव इलाके के परिषदीय विद्यालय मदारपुर की शिक्षिका सुचिता शर्मा, बेहटा के पिड़ुरिया की रुचि अग्रवाल किशोरियों को कठपुतली के माध्यम से जागरूक करती रहती हैं। दोनों लोगों ने डायट से ही कठपुतली का प्रशिक्षण प्राप्त किया और इस कार्य को पूरी लगन से करने में जुट गईं।

    यूनीसेफ की ओर से आयोजित कार्यक्रम में वह कठपुतली को चलाने के लिए बच्चों को भी साथ ले गईं थी। बच्चों ने कठपुतली चलाते हुए संवाद भी बोले और ‘अधूरा पुल’ नाटक का मंचन किया। इसके अलावा अभिभावक शिक्षक संघ की बैठकों में भी बालिका शिक्षा जैसे मुद्दों को उठाकर प्रेरित करती हैं।

    कठपुतली का सहारा लेते हुए मीना मंच की विविध कहानियों के माध्यम से किशोरियों को महावारी, शिक्षा के महत्व जैसे गंभीर मुद्दों को समझाती हैं और उनको जागरूक करती हैं। अभिभावकों ने भी बेटियों की शिक्षा व उनके स्वास्थ्य संबंधी विषयों को गंभीरता से समझा और उस पर अमल भी कर रहे हैं। यूनीसेफ की टीम ने विद्यालय जाकर पोडकास्ट भी शूट किया था।

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