Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    UP News: सिद्धार्थनगर में सात वर्षीय बालिका से दुष्कर्म के दोषी किशोर को 20 वर्ष का कारावास

    Updated: Tue, 03 Jun 2025 04:58 PM (IST)

    सिद्धार्थनगर के पॉक्सो कोर्ट ने 7 साल की बच्ची से दुष्कर्म के मामले में आरोपी को 20 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने आरोपी पर 50 हजार का जुर्माना भी लगाया और जुर्माने की राशि पीड़िता को देने का आदेश दिया। घटना 2019 में जोगिया थाना क्षेत्र में हुई थी जहाँ आरोपी ने बच्ची को घुमाने के बहाने दुष्कर्म किया था।

    Hero Image
    सात वर्षीय बालिका से दुष्कर्म के दोषी किशोर को 20 वर्ष का कारावास

    जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट वीरेंद्र कुमार की न्यायालय ने सोमवार को सात वर्षीय बालिका से दुष्कर्म के मामले में निर्णय सुनाया। साक्ष्य और गवाहों के बयान के आधार पर आरोपी को दोष सिद्ध पाते हुए अभियुक्त को 20 वर्ष कारावास और 50 हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया। निर्णय सुनाने के समय वह बालिग हो गया है। न्यायालय ने उसे सजा भुगतने के लिए जिला कारागार में भेजा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट वीरेंद्र कुमार की न्यायालय में लोक अभियोजक पॉक्सो एक्ट पवन कुमार कर पाठक ने बताया कि 28 जुलाई 2019 को जोगिया थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी सात वर्षीय बालिका के साथ आरोपी ने दुष्कर्म किया। 

    पीड़ित बच्ची की मां ने एक अगस्त 2019 को जोगिया थाना को तहरीर दी। आरोप लगाया था कि पीड़ित बच्ची घटना के दिन शाम करीब चार बजे घर के सामने खेल रही थी। उसी वक्त आरोपित वहां पर आ गया और साइकिल पर घुमाने के बहाने सूनसान स्थान पर ले गया। वहां पर उसके साथ दुष्कर्म करने का प्रयास किया। 

    बच्ची के चिल्लाने पर वह उसे छोड़कर फरार हो गया। जोगिया व सदर थाना पुलिस ने इस मामले की विवेचना की। मामले की विवेचना के बाद पुलिस ने आरोपित के खिलाफ नाबालिग से दुष्कर्म में आरोप पत्र दाखिल किया। न्यायालय ने गवाहों के बयान, चिकित्सकीय परीक्षण रिपोर्ट, दस्तावेज साक्ष्यों, घटना के तथ्य, परिस्थितियों के आधार पर आरोपित को दोषसिद्ध पाते हुए कारावास की सजा सुनाई। 

    न्यायालय में अभियुक्त को किया विवादित 

    किशोर नाम से संबोधित न्यायालय में मुकदमे की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने आरोपित को किशोर घोषित करवाने के लिए अर्जी दी। अभियोजन पक्ष ने इस बिंदु पर विरोध किया। न्यायालय के समक्ष बचाव पक्ष दस्तावेज के माध्यम से अभियुक्त को किशोर घोषित करवाने में असफल रहा। इसके बाद न्यायालय ने अभियुक्त की स्थित को देखते हुए उसे विवादित किशोर मानते हुए सुनवाई की। 

    मानवीय आधार पर पीड़ित को दी जाएगी अर्थदंड की संपूर्ण धनराशि

    विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट वीरेंद्र कुमार ने सजा के बिंदु पर सुनवाई करने के बाद अभियुक्त को 20 वर्ष कारावास की सजा सुनाई। 50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया। मानवीय आधार पर पीड़िता के मानसिक स्थिति को देखते हुए न्यायालय ने आदेशित किया कि अर्थदंड की संपूर्ण धनराशि पीड़िता को बतौर प्रतिकर दी जाए। 

    यह भी आदेश में कहा कि राज्य सरकार से भी अधिकतम क्षतिपूर्ति पाने की वह अधिकारिणी होगी। जेल प्रशासन से कहा कि विवादित किशोर के 21 वर्ष आयु होने तक उसे सुरक्षित स्थान में रखना सुनिश्चित किया जाए। 

    इस अवधि के दौरान शैक्षिक सेवा, कौशल विकास, आनुकल्पिक चिकित्सा जैसे परामर्श, व्यवहार परिवर्तन चिकित्सा और मनोचिकित्सीय सहायता समेत अन्य सुधारात्मक सेवा नियम के अनुसार देना सुनिश्चित करें।