दुर्गा प्रतिमा तोड़ने के विरोध में छह घंटे धरने पर बैठे रहे भाजपा सांसद, मंडलायुक्त के आश्वासन पर माने
सिद्धार्थनगर में विकास भवन की दीवार से दुर्गा प्रतिमा हटाए जाने पर विवाद हो गया। सांसद जगदंबिका पाल ने प्रशासन पर प्रतिमाएं तोड़ने का आरोप लगाते हुए धरना दिया। मंडलायुक्त के नए स्थान पर प्रतिमा स्थापित करने के आश्वासन के बाद धरना समाप्त हुआ। श्रद्धालुओं ने नवरात्र में प्रतिमा तोड़े जाने पर आक्रोश जताया। प्रशासन ने सफाई के कारण प्रतिमा हटाने की बात कही है।

जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर। जिले में विकास भवन परिसर की दीवार पर स्थापित दुर्गा प्रतिमा को प्रशासन द्वारा हटवाए जाने के बाद विवाद गहराता चला गया। मंगलवार देर रात हुई इस कार्रवाई से श्रद्धालुओं में आक्रोश फैल गया। श्रद्धालुओं का कहना है कि लगभग 30 वर्षों से यहां दुर्गा प्रतिमा के साथ हनुमान जी सहित अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित थीं और प्रतिवर्ष नवरात्र पर पूजा-अर्चना होती रही है।
सांसद जगदंबिका पाल खुद जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए छह घंटे धरने पर बैठे रहे। बाद में मंडलायुक्त अखिलेश सिंह ने उन्हें आश्वस्त किया कि जल्द ही नये स्थान पर दुर्गा प्रतिमा स्थापित करायी जाएगी। प्रतिमा स्थापना तक अभी यहां कोई बदलाव नहीं होगा।
बुधवार को सांसद जगदंबिका पाल किसी कार्यक्रम में विकास भवन पहुंचे तो प्रतिमा स्थल पर भीड़ देखकर रुक गए। जानकारी मिली कि देर रात प्रशासन ने प्रतिमाओं को जेसीबी लगवाकर तोड़ दिया और उन्हें जमुआर नाले में प्रवाहित करा दिया।
इस पर सांसद ने इसे आस्था पर कुठाराघात बताते हुए श्रद्धालुओं के साथ दोपहर ढाई बजे से रात पौने नौ बजे तक धरना दिया। उन्होंने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि नवरात्र के समय प्रतिमाओं को तोड़ना हिंदू जनमानस की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचाना है।
उन्होंने जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने की मांग की। धरने में नगर पालिका अध्यक्ष गोविंद माधव, शिवनाथ चौधरी, गंगा मिश्र, सुधीर पांडेय उर्फ फरसा बाबा, सुनील त्रिपाठी समेत अन्य लोग शामिल रहे। रात करीब नौ बजे मंडलायुक्त अखिलेश सिंह मौके पर पहुंचे और सांसद को आश्वस्त किया कि प्रतिमाएं शीघ्र ही नये स्थान पर स्थापित कराई जाएंगी तथा तब तक मौजूदा स्थल पर कोई परिवर्तन नहीं होगा।
उनके आश्वासन के बाद सांसद ने धरना समाप्त किया। गौरतलब है कि साड़ी तिराहा से विकास भवन तक सुंदरीकरण कार्य चल रहा है। इसी दौरान प्रशासन ने दस फीट चौड़ी दीवार पर बनी प्रतिमाओं को हटवाने की कार्रवाई की। श्रद्धालुओं का आरोप है कि सुंदरीकरण के समय अधिकारियों ने भरोसा दिया था कि प्रतिमाओं को कोई क्षति नहीं पहुंचेगी, लेकिन नवरात्र के दौरान ही उन्हें तोड़ा गया, जो धार्मिक आस्था का अपमान है।
यह भी पढ़ें- बाघ ने बच्चे पर किया हमला, लाठी-डंडे लेकर आती भीड़ को देख जंगल की ओर भागा
नवरात्र के अवसर पर प्रतिमाओं को तोड़कर और विसर्जित कर हिंदू समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है। यह आस्था का खुला अपमान है, हजारों श्रद्धालुओं की आस्था यहां से जुड़ी थी। प्रतिमाओं को देर रात जेसीबी लगाकर हटवा दिया गया और जमुआर नाले में प्रवाहित कर दिया गया। सुंदरीकरण कार्य के दौरान अधिकारियों ने भरोसा दिलाया था कि प्रतिमाओं को कोई क्षति नहीं होगी, लेकिन नवरात्र के समय ही प्रशासन ने आस्था का अपमान किया। किंतु मंडलायुक्त ने भरोसा दिलाया है कि शीघ्र ही नए स्थान पर प्रतिमा स्थापना होगी।
-जगदंबिका पाल, सांसद
विकास भवन की दीवार पर दुर्गा जी का चित्र था, जिसके आसपास गंदगी फैल रही थी। लोग मल-मूत्र त्यागते और पान खाकर थूकते थे, जिससे पेंटिंग का अपमान हो रहा था। श्रद्धा और सम्मान की दृष्टि से ही इसे हटवाया गया है। दुर्गा जी की प्रतिमा शीघ्र ही दूसरे उपयुक्त स्थान पर स्थापित कराई जाएगी।
-डा. राजा गणपति आर, जिलाधिकारी
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।