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    Siddharthnagar News: बैठक में न बुलाने का आरोप, विधायक बोले- राजनीति का शौक है तो चुनाव लड़ें

    शोहरतगढ़ के विधायक विनय वर्मा ने प्रभारी मंत्री अनिल राजभर की समीक्षा बैठक में सूचना न देने का आरोप जिलाधिकारी पर लगाया। विधायक ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को बुलाना प्रशासन की जिम्मेदारी है। जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि वे स्वयं जिले में नहीं थे फिर भी आमतौर पर सूचना दी जाती है जिसके कारण सांसद मौजूद थे।

    By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 24 Aug 2025 12:28 PM (IST)
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    शोहरतगढ़ विधायक विनय वर्मा। फोटो- वीडियो ग्रैब

    जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर। प्रभारी मंत्री अनिल राजभर की समीक्षा बैठक को लेकर शोहरतगढ़ विधायक विनय वर्मा व जिलाधिकारी डा. राजा गणपति आर पर गंभीर आरोप लगाया है। विधायक ने जिलाधिकारी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें बैठक की सूचना नहीं दी गई और न ही बुलाया गया, जबकि जनप्रतिनिधियों को बुलाना प्रशासन की जिम्मेदारी होती है।

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    जिलाधिकारी ने साफ किया कि वह खुद उस दिन जिले में मौजूद नहीं थे, इसलिए वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आमतौर हर जनप्रतिनिधि को सूचना दी जाती है। उसी सूचना की देन है कि सांसद व अन्य जनप्रतिनिधि कार्यक्रम में मौजूद थे।

    शनिवार को श्रम एवं सेवायोजन तथा समन्वय विभाग के मंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री अनिल राजभर की समीक्षा बैठक आयोजित की गई थी। विधायक विनय वर्मा का बैठक को लेकर एक वीडियो प्रसारित हो रहा है। उसमें उन्होंने उन्हें कार्यक्रम में न बुलाने का आरोप लगाया है।

    हालांकि दैनिक जागरण इस प्रसारित वीडियो की पुष्टि नहीं करता है। प्रसारित वीडियो में विधायक यह कहते नजर आ रहे हैं कि उनके विधानसभा क्षेत्र से जुड़ी तमाम समस्याएं हैं, जिन्हें प्रभारी मंत्री के सामने रखने का अवसर उनसे छीन लिया गया।

    उन्होंने कहा कि यदि मंत्री जिले के कार्यक्रम में आए हैं तो संबंधित जनप्रतिनिधियों को सूचना देना अनिवार्य है। यदि कोई अधिकारी फोन या पत्र भेजने का दावा कर रहा है, तो उसका प्रमाण प्रस्तुत करे। इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित वीडियो में विधायक जिलाधिकारी पर निशाना साधते हुए कह रहे हैं कि प्रभारी मंत्री किसी निजी कार्यक्रम में नहीं आए थे।

    बैठक जिला स्तर की थी। ऐसे में जनप्रतिनिधियों को नजरअंदाज करना गलत है। प्रशासन की प्राथमिकता विकास कार्य और समस्याओं का समाधान होना चाहिए, न कि प्रतिनिधियों को दरकिनार करना।

    उन्होंने आगे कहा कि अक्सर जांच के बाद जिलाधिकारी कहते हैं कि इसमें कमियां मिलीं। सवाल है कि ये कमियां बार-बार क्यों मिलती हैं? अधिकारी अपने क्षेत्र में कितने सक्रिय हैं? अधिकारी यदि चाह लें तो क्या संभव है कि कमियां मिलें?

    उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी अगर राजनीति का शौक रखते हैं तो चुनाव लड़ लें, उनकी हैसियत का पता चल जाएगा। विधायक ने दावा किया कि वह अपने क्षेत्र में अधिक सक्रिय हैं, जनता के बीच रहते हैं और उनकी समस्याएं सुनते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जिलाधिकारी केवल फोटो खिंचवाने के लिए भ्रमण करते हैं और उनका आईटी सेल उन्हें चमकाने में लगा है।

    विधायक ने यह भी कहा कि उनके क्षेत्र के कार्यक्रमों की जानकारी तक उन्हें नहीं दी जाती। अधिकारी एकतरफा कार्रवाई करते हैं। जनता परेशान होकर उनके पास आती है और बताती है कि जिलाधिकारी के आदेश गलत हैं। वह दोनों पक्षों को सुनकर कार्रवाई के लिए लिखते हैं। ऐसे में प्रशासन का यह रवैया ठीक नहीं है। इस तरह जिला नहीं चल सकता।

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    मैं शनिवार से ही एक सरकारी कार्यक्रम में लखनऊ आया हुआ हूं। मैं जब कार्यक्रम में ही नहीं हूं तो विधायक जी की बात पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता हूं। आम तौर पर सभी जनप्रतिनिधियों को कार्यक्रमों की सूचना दी जाती है। इसी सूचना की देन है कि सांसद व अन्य जनप्रतिनिधि कार्यक्रम में शामिल थे। -डा. राजा गणपति आर जिलाधिकारी, सिद्धार्थनगर