Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कुत्तों पर नियंत्रण के लिए सिद्धार्थ विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में नोडल अधिकारी होंगे नियुक्त, सुरक्षित रहेगा छात्र जीवन

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 02:01 PM (IST)

    सिद्धार्थ विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालयों में कुत्तों के नियंत्रण के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। यह निर्णय विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा ...और पढ़ें

    Hero Image

    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर। छात्र–छात्राओं की सुरक्षा और शैक्षणिक वातावरण को बेहतर बनाने के लिए सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु तथा उससे संबद्ध सभी महाविद्यालयों में आवारा कुत्तों के प्रवेश पर नियंत्रण के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। यह व्यवस्था इसलिए लागू की जा रही है, ताकि शिक्षण परिसरों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों और वहां कार्यरत कर्मचारियों को किसी प्रकार की असुविधा या भय का सामना न करना पड़े।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि सुरक्षित परिसर ही बेहतर शिक्षा की बुनियाद होता है। हाल के दिनों में कई महाविद्यालय परिसरों में आवारा कुत्तों की मौजूदगी से छात्रों को परेशानी झेलनी पड़ी है। कहीं कक्षाओं में आने–जाने में डर बना रहता है, तो कहीं अचानक घटनाओं की आशंका रहती है। इन्हीं स्थितियों को देखते हुए अब प्रत्येक महाविद्यालय में एक नोडल अधिकारी नामित कर जिम्मेदारी तय की जा रही है।

    नोडल अधिकारी का मुख्य कार्य परिसर की नियमित साफ–सफाई सुनिश्चित करना, खुले में कचरा या भोजन अवशेष न रहने देना और ऐसे स्थानों पर विशेष निगरानी रखना होगा, जहां आवारा कुत्तों का जमावड़ा होता है। प्रवेश और निकास द्वारों पर सतर्कता बढ़ाई जाएगी, ताकि कुत्तों का परिसर में प्रवेश रोका जा सके। नोडल अधिकारी का नाम और संपर्क संख्या महाविद्यालय के मुख्य द्वार और प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित की जाएगी, जिससे आवश्यकता पड़ने पर तुरंत संपर्क किया जा सके।

    यह भी पढ़ें- स्कूल में पढ़ाई के साथ कुत्तों की ‘गिनती’ भी करेंगे शिक्षक, बेसिक शिक्षा निदेशक ने जारी किया आदेश

    इसके साथ ही छात्रों और कर्मचारियों के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों में पशुओं के आसपास सावधानी से व्यवहार करने, अनावश्यक छेड़छाड़ से बचने और आकस्मिक स्थिति में प्राथमिक सहायता के तरीकों की जानकारी दी जाएगी। उद्देश्य यह है कि डर के माहौल की जगह समझदारी और संयम से काम लिया जाए।

    महाविद्यालय प्रबंधन को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि की गई व्यवस्थाओं और जागरूकता कार्यक्रमों की जानकारी समय पर विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराई जाए। इससे यह देखा जा सकेगा कि सुरक्षा और स्वच्छता से जुड़ी पहल केवल औपचारिक न रहकर व्यवहार में भी लागू हो रही है।

    विश्वविद्यालय स्तर पर इन सूचनाओं की समीक्षा कर आवश्यकतानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि यह कदम समय की मांग है। शैक्षणिक परिसरों में अनुशासन, स्वच्छता और सुरक्षा का सीधा असर विद्यार्थियों की पढ़ाई और मानसिक शांति पर पड़ता है। नोडल अधिकारी की स्पष्ट जिम्मेदारी तय होने से लापरवाही की गुंजाइश कम होगी और किसी भी समस्या का समाधान जल्दी किया जा सकेगा।छात्र–छात्राओं में भी इस पहल को लेकर संतोष है।

    उनका कहना है कि अब परिसर में आते–जाते समय जो अनिश्चितता और भय रहता था, उसमें कमी आएगी। कुल मिलाकर, यह व्यवस्था विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों को सुरक्षित, स्वच्छ और अनुशासित बनाने की दिशा में एक सकारात्मक और जरूरी कदम मानी जा रही है।