दुरुम गेहूं पैदा कर किसान दूर करेंगे आर्थिक तंगी
इस गेहूं से तैयार होता है रवा या सूजी के समकक्ष रिफाइंड आटा

सिद्धार्थनगर : बढ़नी ब्लाक के चार किसानों ने गेहूं की प्रायोगिक खेती शुरू की है। लाकडाउन के दौरान बरगदवा गांव निवासी अवध नारायण पांडेय के मन में आधुनिक व कैश क्राप (नकदी फसल) की खेती करने का विचार आया। अपने परिचितों से इस संबंध में वार्ता की। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से गेहूं की इस प्रजाति की जानकारी ली। इससे बनने वाले आटा व उसके बाजार का पता लगाया। मुंबई में पास्ता बनाने वाली एक बहुराष्ट्रीय (मल्टी नेशनल) कंपनी से भी संपर्क साधा है। अब यह किसान दुरुम गेहूं की खेती कर आर्थिक तंगी को दूर करने के प्रयास में है।
अवध नारायण पांडेय बताते हैं कि दुरुम गेहूं से सेमोलिना (रवा या सूजी के समकक्ष रिफाइंड आटा) तैयार होता है। इसे पास्ता बनाने में प्रयोग करते हैं। इसकी सबसे बेहतर प्रजाति एमपी 01255 है। इस गेहूं का बीज जबलपुर के जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय से मंगाया गया है। इस आटा में आवश्यक तत्व प्रोटीन, ग्लूटेन मिलते हैं। इसके आटा को गूंथने के बाद लचीलापन रहता है। गेहूुं के इस प्रजाति का सेमोलिना अंतरराष्ट्रीय बाजार के मानक पर खरा उतरा है। आटा पीसने की व्यवस्था नहीं होने के कारण कंपनी ने गेहूं खरीदने का आश्वासन दिया है। इस प्रजाति की खेती तालकुंडा गांव निवासी रामानंद चौहान, भुतहवा निवासी मोहम्मद सफात, परसा निवासी अभिनव पांडेय ने भी की है। इन सभी ने करीब 25 बीघा में प्रयोग के तौर पर बोवाई किया है। साढ़े तीन हजार रुपये प्रति क्विटल की दर से होगी बिक्री
अवध नारायण पांडेय ने बताया कि कंपनी से वार्ता की। दुरुम गेहूं की खेती के लिए प्रोत्साहित किया। कंपनी के अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि वह तीन से साढ़े तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद करेंगे। यह मूल्य तत्कालिक बाजार पर आश्रित होगा। गेहूं की आपूर्ति लखनऊ आफिस के माध्यम से की जाएगी। बढ़नी ब्लाक में कुछ किसानों ने प्रयोग के तौर गेहूं की नई प्रजाति की खेती शुरू की है। अगर बाहरी कंपनियां यहां खरीदारी शुरू करती हैं इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी।
लाल बहादुर यादव
उप निदेशक कृषि
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