अदालत का आदेश करा दिया दाखिल दफ्तर, नौ वर्ष बाद कार्रवाई
राजस्वकर्मियों के लिए न्यायालय के आदेश का भी कोई मतलब नहीं है। वह पूरा का पूरा मामला दबा देते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। नौ वर्ष पूर्व सीजेएम कोर्ट के आदेश की फाइल को ही दाखिल दफ्तर करा दिया।

सिद्धार्थनगर : राजस्वकर्मियों के लिए न्यायालय के आदेश का भी कोई मतलब नहीं है। वह पूरा का पूरा मामला दबा देते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। नौ वर्ष पूर्व सीजेएम कोर्ट के आदेश की फाइल को ही दाखिल दफ्तर करा दिया। जब दोबारा न्यायालय ने संज्ञान लिया तो पूरा प्रकरण खुलकर सामने आया। अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए आरोपितों को चिह्नित भी किया। शोहरतगढ़ थाने को निर्देशित किया कि वह इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करे। पुलिस ने शुक्रवार को आरोपित तत्कालीन कानूनगो, लेखपाल सुदामा प्रसाद व पीड़ित महिला के चाचा मुनीराम के खिलाफ धोखाधड़ी व सरकारी कागजात में हेराफेरी के आरोप में मुकदमा दर्ज किया है।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट शैलेश कुमार मौर्या की अदालत को चिल्हिया थाना के लमुहिया डीह गांव की निवासी निरही पुत्री सीताराम के अधिवक्ता अविनाश पांडेय ने बताया कि करीब दस वर्ष पूर्व सीताराम का निधन हो गया था। इसके बाद आरोपित के चाचा ने तत्कालीन लेखपाल व राजस्व निरीक्षक के साथ मिलीभगत कर राजस्व अभिलेख में उत्तराधिकारी घोषित करा लिया। सीताराम की संपत्ति अपने नाम कराके हड़प ली। पुत्री निरही इस धोखाधड़ी की शिकायत तत्कालीन अधिकारियों से की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अंत में हारकर न्यायालय की शरण में पहुंची। 23 जुलाई 2012 को तत्कालीन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राजेंद्र राम ने मामले की सुनवाई करने के बाद आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का आदेश पारित किया था। एसओ शोहरतगढ़ बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि न्यायालय के आदेश का अनुपालन किया गया है। आरोपितों की तलाश शुरू कर दी गई है। कार्रवाई की जाएगी। एसडीएम शोहरतगढ़ संतकुमार ने बताया मामला संज्ञान में है। न्यायालय से इस संबंध में आए निर्देश का पालन कराया जाएगा।
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