11 साल जेल में रहा, गैंग तैयार किए... युवा शूटरों के सहारे 'कग्गा' से बड़ा कुख्यात बनना चाहता था अरशद; पढ़ें पूरी क्राइम
यूपी STF ने शामली में मुठभेड़ में मुस्तफा कग्गा गैंग के बदमाश एक लाख के इनामी अरशद और उसके तीन साथियों को ढेर कर दिया। मुठभेड़ के दौरान एसटीएफ टीम का नेतृत्व कर रहे इंस्पेक्टर सुनील गंभीर रूप से घायल हो गए। अरशद पर कई मुकदमे दर्ज थे और वह 16 साल की उम्र से ही अपराध की दुनिया में सक्रिय था।

आकाश शर्मा, शामली। एसटीएफ मेरठ की टीम ने सोमवार देर रात लगभग दो बजे शामली के झिंझाना क्षेत्र में मुठभेड़ में मुस्तफा कग्गा गैंग के बदमाश एक लाख के इनामी अरशद व उसके तीन साथियों मंजीत, सतीश व एक अन्य को ढेर कर दिया।
मुठभेड़ के दौरान एसटीएफ टीम का नेतृत्व कर रहे इंस्पेक्टर सुनील के पेट में दो गोली लगी। उन्हें करनाल के अमृतधारा अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी गंभीर हालत देखते हुए डॉक्टरों ने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल रेफर कर दिया। सुनील का ऑपरेशन किया गया है, हालत अभी गंभीर है।
16 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में रखा कदम
16 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले अरशद ने कुख्यात बदमाश रहे मुस्तफा उर्फ कग्गा से गुर सीखे थे। अरशद बहुत शातिर था। कग्गा के एक इशारे पर लूट, हत्या और पुलिस से हथियार लूटने जैसी घटनाओं तक को अंजाम दे चुका था।
बदमाश अरशद मुठभेड़ में मारा गया। जागरण
2011 में कग्गा के ढेर होने के बाद जेल गया था
2011 मुठभेड़ में कग्गा के ढेर होने के बाद वह जेल चला गया था। अरशद ने 11 सालों में तीन अलग-अलग जेलों में रहकर गैंग को तैयार करने का काम किया था। जेल में ही अरशद ने सोच बना ली थी कि बाहर जाते ही ताबड़तोड़ वारदात से कग्गा से भी बड़ा कुख्यात बनना है। यही कारण है कि उसने हरियाणा के शार्प शूटर से मिलकर सहारनपुर में चार महीने में डकैती समेत दो बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया था।
अरशद पर कई मुकदमे दर्ज हैं
सहारनपुर के गांव बाढ़ीमाजरा निवासी अरशद चार भाइयों में सबसे छोटा था। तीन भाई मजदूरी करते हैं, जबकि अरशद ने 16 साल की उम्र में ही गांव निवासी मुस्तफा उर्फ कग्गा के गैंग में शामिल होकर घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर दिया था। 2011 से साल 2013 तक अरशद ने मुकीम काला के साथ कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया।
पोस्टमार्टम हाउस के बाहर बैठे अरशद के परिजन। जागरण
अरशद साल 2013 से साल 2024 तक सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और हरियाणा के करनाल की जेल में बंद रहा था। करनाल की जेल में लूट की सजा काटने के दौरान ही अरशद ने नए युवाओं की गैंग को तैयार किया था। अरशद ने मंजीत उर्फ ढिल्ला जैसे कई नए युवकों को गैंग में जोड़ लिया था।
गैंग से जुड़े अन्य सदस्यों की तलाश में एसटीएफ
साथ ही कई ऐसे लोगों को भी गैंग का हिस्सा बनाया था, जो पूर्व में अपराध कर चुके थे, लेकिन वर्तमान में वह कोई अपराध नहीं कर रहे थे। इनमें से ही एक सतीश भी बताया गया है। सतीश के खिलाफ साल 2002, 2012 और 2013 में भी मुकदमे दर्ज थे। गैंग से जुड़े अन्य आरोपितों की तलाश भी एसटीएफ ने शुरू कर दी है।
14 मई को जेल से बाहर आते ही शुरू कर दिया था आतंक
अरशद 14 मई 2024 को जेल से रिहा हो गया था। इसके बाद कुछ दिनों तक वह घर रहा, लेकिन फिर हरियाणा के करनाल, पानीपत में घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर दिया था। मंजीत जैसे ही पैरोल पर आया तो उसने मंजीत उर्फ ढिल्ला के साथ मिलकर सहारनपुर में डकैती और चिकित्सक से लूट के प्रयास की घटना को भी अंजाम दिया।
बदमाश सतीश और मंजीत। जागरण
महंगे शौक, आधुनिक हथियार और गैंग बढ़ाने को शुरू की थी घटनाएं
अरशद की जेल में ही हरियाणा निवासी मंजीत उर्फ ढिल्ला के साथ दोस्ती हो गई थी। अरशद ने उसको गैंग में शार्प शूटर के रूप में तैयार कर लिया था और जेल से बाहर निकलते ही दो राज्यों में आतंक फैलाने की योजना भी तैयार कर ली थी। सूत्रों की माने तो अरशद ने ही मंजीत उर्फ ढिल्ला को पेरोल पर जेल से बाहर आने और वापस सरेंडर न करने की सलाह भी अरशद ने ही दी थी।
सात महीने पहले जेल से छूटे अरशद ने संभाली थी कग्गा गैंग की कमान
एक लाख का इनामी अरशद जून 2024 में ही जेल से जमानत पर छूटा था। उसने कग्गा गैंग की कमान संभाली और कई वारदातों को अंजाम दिया। बेहट में 29 नवंबर को भारत फाइनेंस कंपनी में प्रबंध व कर्मचारियों को बंधक बनाकर 1.90 लाख की डकैती में संलिप्तता मिलने पर अरशद पुलिस के निशाने पर आ गया था। इस मामले में डीआइजी अजय कुमार साहनी ने उस पर 50 हजार का इनाम घोषित किया था। एक महीने पहले एडीजी ने इनाम बढ़ाकर एक लाख कर दिया था।
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