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    प्रधानमंत्री ने सदन में पढ़ा रज्मी का शेर 'लम्हों ने खता की थी...' शायर के परिवार ने इस कारण से लिखा उन्हें पत्र

    Updated: Mon, 04 Aug 2025 07:20 PM (IST)

    Shamli News दिवंगत शायर मुजफ्फर रज्मी के परिवार को बुरे हालात का सामना करना पड़ रहा है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में रज्मी के शेर को पढ़ा था। इसके बाद उनके परिवार ने पत्र लिखकर अपनी दुर्दशा की कहानी सुनाई है और मदद की गुहार लगाई है। परिवार को सरकार से बहुत उम्मीदें हैं।

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    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का फाइल फोटो। दिल्ली में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ शायर मुजफ्फर रज्मी।

    अनुज सैनी, जागरण, शामली। कहावत है कि बुरे वक्त में साया भी साथ छोड़ देता है। कुछ ऐसा ही विख्यात शायर मुजफ्फर रज्मी और उनके परिवार के साथ भी हुआ है। किसी जमाने में कैराना नगरपालिका में बड़े बाबू रहे और अपनी प्रतिभा के दम पर सूबे से लेकर देश की प्रमुख शख्सियतों के बीच शोहरत पाते रहे रज्मी साहब का परिवार बुरे हालात से गुजर रहा है।

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    जिस नगरपालिका में सेवाएं दीं, वहीं नहीं कद्र

    जिस नगरपालिका में सेवाएं देते रहे, उसी ने उनकी कोई कदर नहीं की। उनकी स्मृतियों को संजोने की बात तो दूर रहीं, उनके परिवार से मकान खाली कराने के लिए कोर्ट में मुकदमा लड़ा जा रहा है। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके प्रसिद्ध शेर को संसद में पढ़ा है तो परिवार के लोगों ने पत्र भेजकर अपनी दुर्दशा की कहानी बयां कर सुध लेने की मांग दोहराई है।

    विश्व प्रसिद्ध शायर मुजफ्फर रज्मी की जुबां से निकले इस शेर का एक-एक शब्द दुनियाभर के कोने-कोने में सुना-सुनाया जाता है। इस बार संसद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आपरेशन सिंदूर पर भाषण देते हुए इस शेर की लाइनों को दोहराया था। वैसे तो देश की संसद में कई मर्तबा यह शेर पढ़ा गया, लेकिन प्रधानमंत्री ने अब इस शेर को पढ़ा तो इन दिनों मुफलिसी से जूझ रहे रज्मी साहब के परिवार  को सरकार से बड़ी उम्मीदें हैं।

    प्रधानमंत्री ने 29 जुलाई को संसद में कहा कि 'हम एक शेर सुना करते थे, मुझे ज्यादा इसका ज्ञान तो नहीं है, लेकिन सुनते थे कि लम्हों ने खता की और सदियों ने सजा पाई।' भले आज मुजफ्फर रज्मी हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन आपरेशन सिंदूर पर भाषण के दौरान प्रधानमंत्री के मुंह से निकले यह शब्द शायर मुजफ्फर रज्मी की एक बार फिर याद दिला गए हैं।

    मुशायरों में शायरी का मनवाया लोहा 

    प्रसिद्ध शायर रज्मी का जन्म पांच जून 1935 को हुआ था। बचपन से शायरी के शौकीन रहे रज्मी ने सऊदी अरब, दुबई और पाकिस्तान में आयोजित कई मुशायरों में शायरी का लोहा मनवाया। शायर मुज्जफर रज्मी निस्वार्थ, ईमानदार रहे। उनकी सादगी बेमिसाल थी। देश के प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक उनके प्रशंसक रहे। तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह से कई बार मुलाकात हुई, भोजन तक साथ हुआ, लेकिन उन्होंने अपने मुंह से कभी कुछ इच्छा जाहिर नहीं की। 19 सितंबर 2012 में उनका निधन हो गया।

    पीएमओ ने भेजी जांच, पालिका ने हमें ठहराया अवैध कब्जाधारी: नवेद

    रज्मी के बेटे नवेद ने कहा कि उन्होंने 2019 व 2022 में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा। पीएमओ से जवाब भी आया और यूपी सरकार व प्रशासन को आदेशित किया गया। नवेद का आरोप है कि पालिका ने सही जानकारी न देकर उन्हें अवैध कब्जाधारी होने की रिपोर्ट भेजी जाती रही है। अब प्रधानमंत्री ने पिता का शेर पढ़ा तो पूरी स्थिति से रूबरू कराते हुए उन्हें चिट्ठी लिखी है।