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    चिकित्सकों ने काली पट्टी बांध किया मरीजों का उपचार

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 08 Dec 2020 06:24 PM (IST)

    जेएनएन शामली आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सर्जरी की अनुमति देने के विरोध में आइएमए चिकित्सकों ने दो घंटे (दोपहर 12 से दो बजे तक) काली पट्टी बांधकर काम किया। 11 दिसंबर को सुबह छह से शाम छह बजे तक हड़ताल रहेगी। हालांकि सभी प्रकार की इमरजेंसी सेवा चालू रखी जाएंगी।

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    चिकित्सकों ने काली पट्टी बांध किया मरीजों का उपचार

    जेएनएन, शामली : आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सर्जरी की अनुमति देने के विरोध में आइएमए चिकित्सकों ने दो घंटे (दोपहर 12 से दो बजे तक) काली पट्टी बांधकर काम किया। 11 दिसंबर को सुबह छह से शाम छह बजे तक हड़ताल रहेगी। हालांकि सभी प्रकार की इमरजेंसी सेवा चालू रखी जाएंगी।

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    जिले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) से जुड़े करीब 65 चिकित्सक हैं। सरकार ने विशेष प्रशिक्षण के बाद आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सर्जरी की अनुमति दी है, जिसका आइएमए विरोध कर रहा है। चिकित्सकों का कहना है कि अगर यह व्यवस्था लागू होती है तो एमबीबीएस और एमएस डिग्री का क्या महत्व रह जाएगा। आयुर्वेद में निश्चेतना के बारे में भी कुछ नहीं पढ़ाया जाता है।

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    आइएमए से जुड़े चिकित्सक

    बोले हम ये नहीं कह रहे कि कोई पद्धति किसी से छोटी या बड़ी है। हमारा यही कहना है कि पद्धति का कार्य दूसरे पद्धति के चिकित्सक से कराना बिल्कुल भी ठीक फैसला नहीं है। कैसे कुछ माह के प्रशिक्षण से सर्जरी के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक दक्ष हो सकते हैं।

    - डा. अकबर खान, अध्यक्ष, आइएमए शामली

    फैसला बिल्कुल भी ठीक नहीं है। सर्जरी के दौरान कई बार मरीज की परेशानी बढ़ जाती है। कुछ माह प्रशिक्षण लेकर सर्जरी करने वाले आयुर्वेदिक चिकित्सक कैसे उन चुनौतियों का सामना कर सकेंगे। चिकित्सकों की कमी दूर करने के लिए मेडिकल कालेजों में सीट बढ़ानी चाहिएं।

    - डा. अजय सैनी, सचिव, आइएमए शामली

    पांच साल एमबीबीएस की पढ़ाई होती है और इसके बाद तीन साल की एमएस डिग्री में सर्जरी का विशेष प्रशिक्षण लिया जाता है। सरकार को समझना चाहिए कि सर्जरी जीवन से जुड़ा मामला है। दूसरी पद्धति का कार्य करने की अनुमति देना चिकित्सा के स्तर एवं गुणवत्ता को कम करना है।

    -डा. वेदभानु मलिक

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    बोले आयुर्वेदिक चिकित्सक

    सुश्रुत संहिता में सर्जरी की विस्तृत जानकारी है। आधुनिक विज्ञान और सुश्रुत संहिता के ज्ञान में कोई अंतर नहीं है। 1982 से अब तक बनारस हिदू विश्वविद्यालय में 18 लाख से अधिक सर्जरी हो चुकी है और आपरेशन थिएटर के रजिस्टर में देखा भी जा सकता है।

    -डा. राज तायल, आयुर्वेदिक चिकित्सक

    एमएस डिग्रीधारक आयुर्वेदिक चिकित्सकों के लिए सरकार ने प्रशिक्षण के लिए अनुमति देने का फैसला लिया है। एमएस में सर्जरी की पढ़ाई भी होती है। सरकार का अच्छा निर्णय है। हम तो यही कहेंगे कि यह निर्णय काफी पहले लिया जाना चाहिए था।

    - डा. नीरज, आयुर्वेदिक चिकित्सक