Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कठोर परिश्रम और धैर्य ही सफलता के मूल मंत्र

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 10 Nov 2021 09:16 PM (IST)

    कठोर परिश्रम और धैर्य जीवन में सफलता के मूल मंत्र हैं। केवल मन की इच्छाओं से नहीं बल्कि कठोर परिश्रम और सतत प्रयास से ही मनुष्य अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। परिश्रम के साथ संयमित और अनुशासित जीवन शैली को अपनाकर बच्चे जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

    Hero Image
    कठोर परिश्रम और धैर्य ही सफलता के मूल मंत्र

    शामली, जागरण टीम। कठोर परिश्रम और धैर्य जीवन में सफलता के मूल मंत्र हैं। केवल मन की इच्छाओं से नहीं, बल्कि कठोर परिश्रम और सतत प्रयास से ही मनुष्य अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। परिश्रम के साथ संयमित और अनुशासित जीवन शैली को अपनाकर बच्चे जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    साधना का अर्थ है अपने भीतर की श्रद्धा और विश्वास की शक्तियों का सम्मिश्रण करके एक नई शक्ति का आविर्भाव करना। मनुष्य कोई भी महत्वपूर्ण कार्य करना चाहे तो उसमें किसी न किसी प्रकार की बाधा, भय, विघ्न, प्रलोभन आते ही हैं, कितु जो लोग उनका दृढ़ता से सामना करते हुए आगे बढ़ते हैं, वे सफलता के द्वार पर पहुंचते हैं। यही उनकी साधना है। यहां प्रत्येक व्यक्ति साधना में लगा हुआ है। किसान अपने पसीने से धरती से सोना उगाता है, श्रमिक खुद धूप में तपकर आशियाना खड़ा करता है, शिक्षक देश की भावी पीढ़ी के निर्माण के लिए साधनारत है। माता, पिता बच्चों के पालन-पोषण के लिए साधना करते हैं। यदि जीवन से साधना को निकाल दिया जाए तो कुछ नहीं बचता है। संसार के किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए जो मंजिल तय करनी पड़ती है, उसे साधना कहा जाता है। किसी भी प्रकार की साधना से सिद्धि प्राप्त करने के लिए मन-मस्तिष्क का निर्विकार होना जरूरी है। जब हमारे मन और मस्तिष्क में किसी प्रकार का कोई विकार नहीं होता और उसमें किसी प्रकार के बुरे विचार भी नहीं होते, तब हम अपनी साधना द्वारा सिद्धि को प्राप्त कर सकते हैं। व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु उसका घमंड होता है। घमंड व्यक्ति को शक्तिहीन कर देता है। साधना में भी किसी प्रकार का घमंड नहीं करना चाहिए, तभी इसका सुफल मिलता है। कई बार बच्चे जल्दी सफलता नहीं मिलने पर निराश हो जाते हैं और धैर्य नहीं रख पाते। यदि वे धैर्य के साथ निरंतर प्रयास करते रहें तो उन्हें अपनी साधना का सुफल अवश्य मिलता है। व्यक्ति को सफलता प्राप्ति के लिए एक साधक की तरह धैर्य के साथ साधना करनी होती है। वर्तमान परिवेश में नैतिक मूल्यों का जो पतन हुआ है, उसे दुरुस्त करना बहुत जरूरी है। बच्चों को सफलता के पथ पर अग्रसर करने के लिए हमें उन्हें मेहनत और धैर्य के महत्व को समझाना होगा तथा उन्हें उच्च नैतिक मूल्य के महत्व से अवगत कराने होंगे। हमें बच्चों को समझाना होगा कि परिश्रम एक साधना के समान है जो मनुष्य के आत्मविश्वास और आत्मबल को बढ़ाता है। इसका कोई और विकल्प नहीं हो सकता। इसलिए वर्तमान समय में माता-पिता और अध्यापकों का यह दायित्व है कि वे बच्चों में उच्च मानवीय मूल्यों का विकास करने में सहयोग करें। आज के समय में साधनों की कमी नहीं है। उनका सकारात्मक रूप में उपयोग किया जाए तो साधना का फल अवश्य मिलेगा।

    -कैप्टन लोकेंद्र सिंह, प्रधानाचार्य आरके इंटर कालेज, शामली