नहीं रहे हबीब अहमद, जिन्होंने इंदिरा गांधी से लेकर एपीजे अब्दुल कलाम तक के बालों में दिखाया अपना हुनर
उत्तर प्रदेश के शामली जिले के कस्बा जलालाबाद में जन्में मशहूर हेयर स्टाइलिस्ट हबीब अहमद का निधन हो गया है। उन्होंने इंदिरा गांधी और एपीजे अब्दुल कलाम जैसे दिग्गजों की हेयर स्टाइलिंग की। उनके बेटे जावेद हबीब उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। 2022 में हबीब अहमद जलालाबाद आए थे।

संवाद सूत्र, जागरण, जलालाबाद (शामली)। कस्बा जलालाबाद के नाम को देश में पहचान दिलाने वाले विख्यात हेयर स्टाइलिस्ट हबीब अहमद के निधन पर परिवार के लोगों ने दुख जताया है। वह बचपन में ही कस्बे को छोड़कर दिल्ली चले गए थे। बाद में उन्होंने देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम तक के बालों में अपना हुनर दिखाया। उनके पुत्र प्रसिद्ध हेयर स्टाइलिस्ट जावेद हबीब उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
पिता और ताऊ रहे लार्ड माउंटबेटन, डा. राजेंद्र प्रसाद और पंडित नेहरू के हेयर स्टाइलिस्ट
हबीब अहमद का जन्म जलालाबाद कस्बे के मुहल्ला प्रताप नगर के पुश्तैनी मकान में नजीर सलमानी के यहां दो अक्टूबर 1940 को हुआ था। उनके पिता और ताऊ मिक्का लार्ड माउंटबेटन से लेकर देश के आजाद होने पर प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू के हेयर स्टाइलिस्ट के रूप में कार्य करते रहे।
ब्रिटेन से लिया था हेयर स्टाइलिस्ट का डिप्लोमा
हबीब अहमद ने पहले जलालाबाद में टेलरिंग का कार्य सीखा था, लेकिन बाद में पढ़ने के लिए पिता के पास दिल्ली चले गए थे। बाद में पिता ने ब्रिटेन में शिक्षा के लिए भेज दिया था। वहां से हेयर स्टाइलिस्ट का डिप्लोमा कर दिल्ली में प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति भवन में हेयर स्टाइलिस्ट का कार्य करने लगे। दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का हेयर स्टाइल से लेकर, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का हेयर स्टाइल हबीब के हाथों से तैयार हुआ। अब उनके परिवार ने जलालाबाद के मुहल्ला प्रताप नगर में पुश्तैनी मकान सैनी परिवार को बेच दिया गया है।
कस्बे से नहीं टूटा रिश्ता
जलालाबाद में हेयर स्टाइलिस्ट हबीब अहमद (बाएं), साथ में सफेद कमीज में भतीजे इकबाल और अन्य। सौ. स्वजन
हबीब अहमद परिवार के भतीजे इकबाल सलमानी बंबा चौक पर रहते हैं। उन्होंने बताया कि 2022 में अंतिम बार वह मिलने यहां आए थे। यहां से अपनी ससुराल गंगोह गए थे। पुश्तैनी मकान को देखकर भाव विभोर हो गए थे। यहां पर उन्होंने मुहल्ले के अनेक लोगों से मुलाकात की थी।
बूंदी के लड्डू, मछली के थे शौकीन
इकबाल सलमानी ने बताया कि उनका जलालाबाद से अंतिम समय तक रिश्ता जुड़ा रहा। कुछ दिनों पहले फोन पर रिश्तेदारों, कस्बे के बारे में जानकारी ली थी। जब भी जलालाबाद आते थे तो बूंदी के लड्डू और मछली खाना पसंद करते थे।
बहन के हाथ का पान खाते थे
मुसदिक सलमानी ने बताया कि वह उनकी दादी हमीदा बेगम के चचेरे भाई थे। जब भी आते थे तो उनसे मिलकर जाते थे। यहां के पान खाना पसंद करते थे। दादी पान की शौकीन थीं। जब भी आते बहन के हाथ का लगाया पान व मुकुंदा पनवाड़ी का पान खाना नहीं भूलते थे। आते जाते व्यक्ति से दिल्ली मंगाते थे।
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