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    ग्रहों के कुप्रभावों को शांत करती है नवग्रह वनस्पति

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 04 Jul 2017 12:20 AM (IST)

    संजीव शर्मा, शामली : पूजा-अर्चना, यज्ञ व धार्मिक कार्यो में नवग्रह वनस्पतियों की जरूरत होती है। धर्म

    ग्रहों के कुप्रभावों को शांत करती है नवग्रह वनस्पति

    संजीव शर्मा, शामली : पूजा-अर्चना, यज्ञ व धार्मिक कार्यो में नवग्रह वनस्पतियों की जरूरत होती है। धर्म में रूचि रखने वालों का मानना है कि इन वनस्पतियों के संपर्क में आने पर सभी ग्रहों के कुप्रभावों की शांति मिलती है, इसलिए नवग्रह रोपण का महत्व बढ़ जाता है।

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    दुर्भाग्य है कि जनपद में नवग्रह वाटिका के प्रति वन विभाग पूरी तरह उदासीन है। परिणाम स्वरूप जिले में कहीं भी नवग्रह वाटिका नहीं है। इतना ही नहीं जन सामान्य को नवग्रह वनस्पतियों के बारे में जानकारी नहीं है। जिन्हें है वह आधी-अधूरी है। अब शासन ने नागरिकों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से प्रत्येक तहसील स्तर पर नवग्रह वाटिका स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही नवग्रह वाटिका की स्थापना जिले में की जाएगी। इसके लिए उचित स्थान की तलाश की जा रही है, ताकि अधिक से अधिक लोग इससे जागरूक हो सके।

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    क्या है ग्रह

    पृथ्वी के आकाश की ओर देखने पर आसमान में स्थिर दिखने वाले ¨पडों व छायाओं को नक्षत्र और स्थिति बदलते रहने वाले ¨पडों व छाया को ग्रह कहा जाता है। माना गया है कि अंतरिक्ष से आने वाले प्रवाहों को धरती पर पहुंचाने वाले ¨पड या छायाएं उन्हें टीवी के अंटीना की तरह आकर्षित कर पकड़ लेती हैं और पृथ्वी के जीवधारियों के जीवन को प्रभावित करती है। भारतीय ज्योतिष मान्यता में ग्रहों की संख्या नौ होती है, इसलिए इन्हें नवग्रह कहा जाता है। इनमें सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु व केतु नवग्रह है। इनमें पहले सात ¨पडीय ग्रह है, जबकि राहु व केतु छाया ग्रह है। मान्यता है कि इन ग्रहों की विभिन्न नक्षत्रों में स्थिति का विभिन्न प्रकार से अनुकूल व प्रतिकूल दोनों तरह से प्रभाव पड़ता है। ग्रहों के प्रतिकूल प्रभाव के शमन के लिए वैसे तो अनेक उपाय हैं लेकिन यज्ञ उनमें सरल व महत्वपूर्ण उपाय माना गया है।

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    नवग्रह और उनकी वनस्पति के नाम

    ग्रह संस्कृत ¨हदी

    सूर्य अर्क आक

    चंद्र पलाश ढाक

    मंगल खदिर खैर

    बुध अपामार्ग चिचिड़ा

    बृहस्पति पिप्पल पीपल

    शुक्र औडम्बर गूलर

    शनि शमी छयोकर

    राहु दूव्र्वा दूब

    केतु कुश कुश

    नवग्रह वनस्पतियों की पहचान

    1. आक (मदार): यह चार से आठ फीट ऊंचाई वाला झाड़ीनुमा पौधा निर्जन बंजर भूमि में पाया जाता है। इसके किसी भी हिस्से को तोड़ने पर सफेद दूधिया पदार्थ निकलता है। इसका पुष्प ललिमा लिए हुए सफेद रंग का होता है। फल मोटी फली के रूप में पत्तों के वर्ण का होता है। बीज रोयेदार होता है।

    2. ढाक (पलाश): यह मध्यम ऊंचाई का पौधा है। इसकी खास पहचान तीन पत्रकों वाले पत्ते हैं। पत्तों की ऊपरी सतह चिकनी होती है। पुष्प केसरिया लाल रंग के होते है। फरवरी व मार्च माह में उगता है।

    3. खदिर (खैर): यह सामान्य ऊंचाई का रूक्ष प्रवृत्ति का वृक्ष है। सामान्यता नदियों के किनारे रेतीली शुष्क भूमि में प्राकृतिक रूप से उगता है। पत्तियां बबूल स²श्य छोटे-छोटे पत्रकों बनी होती हैं। फल शीशम स²श्य फली के रूप में होता है।

    4. अपामार्ग (लटजीरा, चिचिड़ा): यह तीन फीट ऊंचाई का झाड़ीनुमा पौधा है। इसके पुष्प व फल 20-22 इंच लंबी शाख पर चारों तरफ कांटेदार स्थापित होते हैं। संपर्क में आने पर कपड़ों से चिपक जाते हैं। उ‌र्ध्व शाख पर लगे पुष्प शीर्ष पर लालपन व नीचे की तरफ हरापन लिए सफेद होते हैं।

    5. पिप्प्ल (पीपल): यह अतिशय ऊंचाई का विशालकाय वृक्ष है। पत्ते हृदयकार चिकने होते है। आघात करने पर घाव से दूधिया पदार्थ निकलता है।

    6. औडम्बर (गूलर): यह अच्छी ऊंचाई का वृक्ष है। फल गोल तथा वृक्ष पर गुच्छों के रूप में लगते हैं। कच्चे फल हरे तथा पकने पर गुलाबी लाल रंग के हो जाते हैं।

    7. शमी (छयोकर): यह मध्यम ऊंचाई का बबूल स²श्य वृक्ष है। इसके कांटे बबूल से छोटे होते है। सामान्य तौर पर शुष्क व बीहड भूमि पर पाया जाता है। फलियां गुच्छों के रूप में लगती है।

    8. दूर्वा (दूब): यह सबसे सामान्य रूप से पाई जाने वाली घास है। यह अच्छी भूमि में उगती है तथा लोन ग्रास के नाम से प्रसिद्ध है। हवन यज्ञ आदि में यह प्रयोग होती है।

    9. कुश : यह शुष्क बंजर भूमि में अरुचिकर व अति पवित्र घास है। इससे पूजा की आसनी बनती है और यज्ञीय कार्यों में इसकी पवित्री पहनते है।

    नवग्रह वाटिका की स्थापना कराना सरकार का अच्छा कदम है। इसकी स्थापना होने से लोगों में जागरूकता आएगी। इसके अलावा ये धर्म के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण है। इनमें कई पौधे पीपल आदि आक्सीजन अधिक देते हैं, जो मानव जीवन के लिए अत्यंत लाभकारी है।

    डॉ. विनीत चौहान, प्रधानाचार्य एवं विशेषज्ञ वनस्पति

    नवग्रह वाटिका की स्थापित करने के लिए ऐसे उचित स्थान का चयन किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक लोगों को इसका फायदा मिले और जागरूकता आए। जल्द ही नवग्रह वाटिका की स्थापना कराई जाएगी।

    अखिलेश चंद मिश्रा, डीएफओ शामली

    धार्मिक कार्यों में नवग्रह वनस्पतियों का महत्व है। यज्ञ द्वारा ग्रह शांति के उपाय में हर ग्रह के लिए अलग-अलग विशिष्ट वनस्पति की समिधा प्रयोग की जाती है।

    शैलेंद्र गिरी महाराज, महंत शिव मंदिर गुलजारी वाला शामली।