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    असल जिंदगी में भी झांसी की रानी साबित हुई 'वीरभूमि' की बेटी

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    Updated: Thu, 14 Aug 2014 11:55 PM (IST)

    शाहजहांपुर : स्वतंत्रता दिवस तो उसके मन-मस्तिष्क में छुटपन से ही क्रांति की मशाल जगा रहा था। राष्ट्रीय पर्वो पर जब वह रानी लक्ष्मीबाई के स्वरूप में नाट्य मंचन कर दुश्मनों को सबक सिखाती तो लोग हैरत में पड़ जाते थे। देश से गद्दारी, नारी शक्ति के अपमान और अन्याय के खिलाफ उसने स्कूली मंचों से लेकर आम जिंदगी में आवाज उठाई। 15 अगस्त की रात को ही उसने आसाराम के अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद की और उनके काले साम्राज्य के लिए वह क्रांति की चिंगारी साबित हुई। हालांकि एक साल के संघर्ष में उसकी मुस्कराहट मायूसी में बदल गई। इंटर में टाप करने के अरमान घर की चाहरदीवारी में कैद होकर टूट गए। आइएएस बनने का ख्वाब भी अब उसने छोड़ दिया है।

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    हम बात कर रहे हैं वीर भूमि शाहजहांपुर की उस बहादुर बेटी की जिसने आत्मसम्मान, स्वाभिमान और आबरू के लिए अपने गुरु के अन्याय की मुखालफत की। सबक सिखाने के लिए स्वाधीनता दिवस की रात को उसने अंतर्मन में जंग के एलान की ठान ली। झांसी की रानी की तरह ही उसने बुद्धि विवेक का भी परिचय दिया। खुद को बचाने के बाद माता-पिता को बचाया। इसके बाद आसाराम के काले साम्राज्य के खिलाफ चिंगारी बन क्रांति का बिगुल फूंक दिया।

    मां-बाप की भी बढ़ाई हिम्मत

    अदालती कार्रवाई रोकने के लिए आसाराम के गुर्गो ने मनोबल तोड़ने के लिए कोई कोर कसर न छोड़ी। शाहजहांपुर से लेकर पीड़िता के ननिहाल, ददिहाल समेत रिश्तेदारों को धमकाया, मुकदमा वापसी को दबाव बनाया। मां-बाप को रास्ते से हटाने की धमकी दी। बेटी को भी मारने के षडयंत्र रचे गए। इससे मां-बाप टूटने के कगार पर पहुंच गए। लेकिन बहादुर बेटी ने मां-बाप की हिम्मत बढ़ाकर अन्याय की जंग जीतने का संकल्प लिया।

    छूटी पढाई, टूटे अरमान

    बहादुर बेटी शहर के ही सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ रही थी। कुशाग्र बुद्धि व क्रांतिकारी तेवर देख पिता ने अपने गुरु आसाराम बापू के छिंदबाड़ा स्थित गुरुकुल भेज दिया। गत वर्ष उसने कक्षा 11 को पास कर इंटर में प्रवेश लिया था। लेकिन 15 अगस्त 2013 को आराध्य रक्षक ने भी उसके अरमानों का खून कर दिया। 20 अगस्त को दिल्ली में एफआइआर और एक सितंबर 2013 को आसाराम की गिरफ्तारी के बाद पीड़िता समेत परिवार की सुरक्षा पर संकट आ गया। जोधपुर पुलिस ने स्थानीय प्रशासन से मिलकर सुरक्षा उपलब्ध कराई। लेकिन बहादुरी के बावजूद शहर की बेटी लोक लाज के कारण किसी स्कूल में प्रवेश नहीं ले सकी। इससे वह सीबीएसई बोर्ड की इंटर परीक्षा से वंचित रह गई और साल बर्बाद हो गया। आइएएस के सपने भी उसके टूट गए। खाकी की पहरेदारी और घर की चाहरदीवारी में कैद बेटी ने पत्राचार से अरमानों को पूरा करने की कसम खाई। क्रांतिनगरी की इस बेटी ने सत्य और न्याय के लिए करीब दो माह माह जोधपुर में रहकर अन्याय के खिलाफ जंग लड़ी।

    ..लेकिन विचलित नही हुई बिटिया

    बहादुर बेटी को विचलित करने के लिए आसाराम समेत शिल्पी, शिवा, शरद और प्रकाश के वकील बेटी पर सवालों की बौछार करते रहे। शब्दजाल में फंसाने की भी कोशिश की, लेकिन बहादुर बेटी ने बेबाकी से अपना पक्ष रखा विरोधियों को भी सराहना को मजबूर कर दिया।

    एक साल के घटनाक्रम पर नजर

    - 15 अगस्त 2013 को जोधपुर मणाई आश्रम में दुष्कर्म घटना

    - 20 अगस्त को दिल्ली में आसाराम के खिलाफ एफआइआर दर्ज

    - 24 अगस्त : असंतोष को दबाने के लिए आसाराम के दत्तक पुत्र सुरेशानंद ने शाहजहांपुर में सत्संग किया

    - 26 अगस्त : आसाराम की शिष्या पूजा बेन और नीलम दुबे शाहजहांपुर पहुंची

    - 30 अगस्त : आसाराम के पेशी पर न पहुंचने को लेकर प्रदर्शन

    - 31 अगस्त : आसाराम की गिरफ्तारी के लिए पीड़िता के पिता का अनशन

    - एक सितंबर : इंदौरा से आसाराम गिरफ्तार

    - चार सितंबर : आसाराम की कोर्ट से जमानत खारिज

    - सात सितंबर : प्रदेश सरकार का प्रतिनिधि मंडल पीड़िता के घर पहुंचा

    - 12 सितंबर : आसाराम की शिष्या शिल्पी की अग्रिम जमानत खारिज

    - 20 सितंबर : सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य को धमकी

    - एक अक्टूबर : आसाराम की हाइकोर्ट की जमानत खारिज

    - दिसंबर : कोर्ट में चार्जशीट दाखिल

    - फरवरी व मार्च 2014 : दुष्कर्म के चार्ज स्वीकार

    - मार्च से जून तक : पीड़िता के बयान

    - जुलाई : पीड़िता की मां के बयान

    - जुलाई : मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा

    - 19 अगस्त 2014 को सुप्रीम कोर्ट में आसाराम की जमानत पर बहस होगी।