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    UP में स्वास्थ्य व्यवस्था 'गोद' के सहारे! एंबुलेंस में स्ट्रेचर नदारद, दर्द से तड़पती महिला को घायल ने कंधे पर उठाया

    Updated: Wed, 03 Dec 2025 08:23 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश के शाजहांपुर में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का एक और उदाहरण सामने आया है। एंबुलेंस में स्ट्रेचर न होने के कारण एक घायल महिला को दूसरे घाय ...और पढ़ें

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    एंबुलेंस से मह‍िला को उठाता घायल

    जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। स्वास्थ्य सेवाएं जिले में बेपटरी हो रहीं है। इसका प्रमाण मंगलवार देर रात मेडिकल कालेज में देखने को मिला। जब लखनऊ-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर बस पलटने से घायल हुए जयगुरुदेव के अनुयायियों को सरकारी एंबुलेंस से मेडिकल कालेज ले जाया गया। जहां न ट्रामा सेंटर के बाहर स्ट्रेचर मिला और न ही एंबुलेंस में। घायल ओमवीर अपना दर्द भूलकर एंबुलेंस में दर्द से तड़प रही महिला अंजू को गोद में उठाकर ट्रामा सेंटर के अंदर ले गए।

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    स्वास्थ्य सेवाओं की कलई खोलते वीडियो भी इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित किया गया। लखीमपुर के भीरा क्षेत्र के चौखड़िया गांव से जयगुरुदेव के अनुयायी मथुरा आश्रम गए थे। मंगलवार रात बस से वापस घर जाते समय तिलहर क्षेत्र के नगरिया मोड़ के पास बस तेज गति के कारण अनियंत्रित होकर पलट गई थी। हादसे में गांव के रघुवीर, अंजू, गोल्डी समेत पांच लोग घायल हो गए थे। जिन्हें सरकारी एंबुलेंस से मेडिकल कालेज भिजवाया गया था। एंबुलेंस ट्रामा सेंटर के बाहर पहुंचीं तो घायलों को ट्रामा सेंटर के अंदर ले जाने वाला कोई नहीं था।

    चिकित्सक ने एंबुलेंस के अंदर ही घायलों को देख लिया लेकिन वहां स्ट्रेचर उपलब्ध नहीं कराया गया। घायल ओमवीर जिनके आंख के पास चोट लगी थी वह खुद एंबुलेंस से बाहर निकले। एंबुलेंस में स्ट्रेचर न मिलने पर वह दर्द से कराह रहीं अंजू को खुद गोद में उठाकर जैसे-तैसे ट्रामा सेंटर के अंदर लेकर पहुंचे। जिसका किसी ने वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित कर दिया। इससे पहले भी गोद में उठाकर मरीजों को ट्रामा सेंटर के अंदर ले जाने के कई मामले सामने आ चुके हैं लेकिन उसके बाद भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

    पहले से कर दिया गया था अलर्ट

    हादसा होने के बाद मेडिकल कालेज के ट्रामा सेंटर में पहले ही अलर्ट कर दिया गया था ताकि घायलों को ठीक से उपचार मिल सके लेकिन उसके बाद भी किसी ने ध्यान नहीं दिया।

    यह है नियम

    एंबुलेंस में स्ट्रेचर होना अनिवार्य है। एंबुलेंस से मरीज को ट्रामा सेंटर के अंदर तक शिफ्ट कराने की जिम्मेदारी भी उन्हीं कर्मचारियों की होती है। रजिस्ट्रर पर मरीज भर्ती कराने का विवरण भी दर्ज किया जाता है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी यह ध्यान नहीं देते हैं कि एंबुलेंस से लेकर ट्रामा सेंटर में त्वरित उपचार के लिए पर्याप्त सुविधाएं है य नहीं। जिस वजह से कर्मचारी इस तरह से लोगों के जीवन से खिलवाड़ करते रहते हैं।

     

     

    एंबुलेंस के अंदर स्ट्रेचर होना चाहिए। वही कर्मचारी ट्रामा सेंटर के अंदर मरीज को लेकर जाते हैं। इसके अतिरिक्त ट्रामा सेंटर के बाहर भी स्ट्रेचर हर समय रहते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर किसी तरह की दिक्कत न हो।

    - डा. राजेश कुमार, प्राचार्य मेडिकल कालेज

     

     

    इस तरह की लापरवाही किस स्तर पर हुई है इसकी जानकारी संबंधित एंबुलेंस के कर्मचारियों से लेकर न सिर्फ सुधार कराया जाएगा बल्कि लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई भी की जाएगी। मरीजों को बेहतर स्वासथ्य सेवाएं उपलब्ध कराना प्राथमिकता है।

    - डा. विवेक मिश्रा, सीएमओ


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