ट्रक की क्षमता ने खोला पोल: 125 टन सीमेंट ढोने का दावा पड़ा भारी, बोगस फर्म को 35 लाख का नोटिस
बोगस फर्म के बिलों के जरिए 35 लाख की GST चोरी के मामले में कटरा के गुप्ता ट्रेडर्स पर बरेली SIB की बड़ी कार्रवाई। ई-वे बिल में एक ट्रक पर 125 टन सीमे ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक चित्र
संवाद सूत्र, जागरण, मीरानपुर कटरा। सीमेंट का व्यापार किए बिना कटरा की गुप्ता ट्रेडर्स फर्म ने बोगस फर्म के बिलों के जरिए 35 लाख रुपये आइटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का लाभ ले लिया, लेकिन राज्यकर विभाग की जांच में फंस गए। व्यापारी ने एक ट्रक से सवा सौ टन वजन की सीमेंट बोरियां खरीदने की जानकारी दी, लेकिन जिन ट्रकों से परिवहन दर्शाया गया, उनकी भार क्षमता इतनी थी ही नहीं।
सोमवार देर शाम बरेली से एसआइबी (विशेष अनुसंधान शाखा) की टीम पहुंची। फर्म स्वामी के न मिलने पर कार्यालय का ताला तुड़वाकर जांच की। गोदाम में सीमेंट की जगह फि्ज रखे मिले। छह वर्ष से जीएसटी भी जमा नहीं मिली। जिस पर उपायुक्त राज्यकर अनिरुद्ध सिंह ने फर्म स्वामी को नोटिस जारी करते हुए छह दिन में 35 लाख रुपये जमा करने के निर्देश दिए हैं। फर्म स्वामी ने आरोपों को गलत बताया है।

उपायुक्त अनिरुद्ध सिंह टीम के साथ जलालाबाद मार्ग स्थित गुप्ता ट्रेडर्स के कार्यालय पर पहुंचे। यहां कार्यालय बंद मिला। मौके पर प्रोपराइटर सूर्य कुमार मौजूद नहीं थे। कर्मचारी अंकित राठौर ने चाबी न होने की बात कही, जिस पर उपायुक्त ने वीडियोग्राफी कराते हुए ताला तुड़वा दिया।
जांच में यह फर्म विभागीय पोर्टल पर लाल श्रेणी में दर्ज मिली। उपायुक्त ने बताया कि फर्म दिल्ली में सक्रिय फर्जी कंपनियों के नेटवर्क से कमीशन पर बोगस बिल खरीद रही थी। उनके जरिए फर्जी आइटीसी का समायोजन कर रही थी। इसके साथ ही अन्य व्यापारियों को भी बोगस बिल जारी किए जा रहे थे। गुप्ता ट्रेडर्स से सीमेंट का व्यापार दर्शाया गया, लेकिन जांच में इससे कोई वास्तविक रिकार्ड नहीं मिला।
गोदाम में किराये पर फ्रिज रखे मिले। ई-वे बिल की जांच की तो एक ट्रक पर 2500 सीमेंट बोरियों के परिवहन मिला। उपायाक्त ने बताया कि इतनी बोरियों का वजन लगभग 125 टन होता है। इतनी भार क्षमता का कोई ट्रक अस्तित्व में नहीं है। इस फर्म का करीब दो करोड़ रुपये का टर्नओवर दर्शाया गया है, जिस पर लगभग 35 लाख रुपये का जीएसटी बनती है।
इसे जमा करने के लिए फर्म स्वामी को छह दिन का समय दिया गया है। अभिलेखों को सीज कर कब्जे में लिया गया है। वहीं फर्म के प्रोपराइटर सूर्यकांत गुप्ता ने आरोपों को गलत बताया। उन्होंने कहा कि वह कमीशन के आधार पर व्यापार करते हैं। जीएसटी बिल के अनुसार नियमानुसार जारी होते हैं। वह अपना पक्ष अधिकारियों के सामने रखेंगे।

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