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    बखिरा झील बनी प्रवासी पक्षियों का बसेरा, पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 03:47 PM (IST)

    संतकबीर नगर जिले की बखिरा झील प्रवासी पक्षियों के आगमन से गुलजार हो गई है। हर साल ठंड की शुरुआत होते ही हजारों किलोमीटर दूर से विभिन्न प्रजातियों के प ...और पढ़ें

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    प्रवासी पक्षियों से गुलजार बखिरा झील। जागरण

    हरिशंकर साहनी, संतकबीरनगर, बखिरा। बखिरा झील में ठंड की दस्तक होते ही हजारों किमी की उड़ान भरकर आए प्रवासी पक्षियों से झील गुलजार हो गई है। सुबह-शाम विदेशी पक्षियों की जलक्रीड़ा यहां आने वाले लोगों को मोहित कर देती है। अपने वंश वृद्धि के उद्देश्य से भारी संख्या में पक्षियों के आगमन का सिलसिला जारी है।

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    हजारों की संख्या में रंग-बिरंगी पक्षियों की चहचहाहट लोगों के आकर्षण का केंद्र बन रहा है। वन विभाग भी इनकी सुरक्षा को लेकर सक्रिय हो गया है। झील से सटे शनिचरा, झुगिया, बड़गो समेत कई गांवों में 10 से अधिक की संख्या में शिकारी भी झील में शिकार के उद्देश्य से रात में विचरण करते हैं।

    हालांकि इस बीच वन विभाग इसको रोकने के लिए रात्रि गश्त भी तेज कर दिया है। अक्टूबर से फरवरी तक प्रवासी पक्षियों की मौजूदगी से 29 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल रमणीक हो जाता है। झील का कुल क्षेत्रफल 2894.21 हेक्टेयर है।

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    प्रवासी पक्षियों से गुलजार बखिरा झील। जागरण


    प्रवासी पक्षियों की जलक्रीड़ा से लोग होते हैं मोहित

    झील में हजारों किमी की उड़ान भर कर आए प्रवासी पक्षियों की सुबह-शाम जलक्रीड़ा यहां आने वाले लोगों को मोहित कर देती है। वर्ष 1990 में पक्षी विहार घोषित होने के बाद यहां पक्षियों के शिकार को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया था।हजारों की संख्या में रंग-बिरंगी पक्षियों की चहचहाहट लोगों का आकर्षण का केंद्र बन जाता है।

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    प्रवासी पक्षियों से गुलजार बखिरा झील। जागरण


     

    चार से पांच हजार किलोमीटर दूर से आते हैं पक्षी

    अक्टूबर  माह से ही साइबेरिया, चीन व अन्य देशों से लालसर, डुबडूबी, जलकौआ, सिलेटी अंजन, लाल अंजन, गेाई लाल, गोई, रंगीन जांघिल, काला जांघिल, सफेद बाज, काला बाज, सवन, सुर्खाव, कपासी चील, बडा गरुण, नील सर, सारस, ताल मखानी, पीली टिटिहरी, हुदहुद जैसे अनेक तरह के पक्षियों से झील गुलजार हो जाती है। ये चार से पांच हजार किमी दूर से आते हैं।

    स्थानीय पक्षी भी बढ़ाते हैं यहां की खूबसूरती

    झील मे स्थानीय पक्षी दयाल, बबूना, अबलकी, मैना, हरा पतंग, सामान्य भुजंगा, नीलकंठ, बडा खोटरू, सिपाही बुलबुल, पवई, मैना, पीलक, चित्ति मुनिया, ठठेरा बसन्धा, कोयल, जंगली गौगाई चरखी, सिलेटी धनेश, घरेलू गौरैया, लाल तरुपिक, हुदहुद, पीला खंजन, सफेद खंजन, टिकिया, कैमा आदि झील की सुन्दरता को चार चांद लगा देते है।   

    खेती व मछली मारने के आड़ में कुछ शिकारी झील में जाते है। शिकार रोकने में वन विभाग की टीम कटिबद्ध है। छह-छह घंटे की चार टीम झील में गस्त कर रही है। पूर्व में कुछ लोगों को पकड़ा भी गया है। उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवाकर जेल भेजा जा चुका हैं। झील में पक्षिओं का शिकार करते जो भी पाया गया उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा जाएगा।

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    - प्रीति पांडे, रेंजर पक्षी विहार