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    तीन मासूम बेटियों के हत्यारे पिता व उसके दोस्त को आजीवन कारावास, जिंदा नदी में फेंककर लौट आया था घर

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 02:47 PM (IST)

    संतकबीर नगर के धनघटा हत्याकांड में अदालत ने पिता सरफराज खान और उसके दोस्त नीरज मौर्य को तीन मासूम बच्चियों की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सरफराज ने 2020 में अपनी बेटियों को दवा के बहाने नदी में फेंक दिया था। पत्नी से छुटकारा पाने के लिए उसने यह साजिश रची थी। अदालत ने इसे गंभीर अपराध माना।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, संतकबीर नगर। जनपद के चर्चित धनघटा हत्याकांड में तीन मासूम बच्चियों की हत्या के दोषी पाए गए पिता सरफराज खान और उसके मित्र नीरज मौर्य को सत्र न्यायाधीश मोहनलाल विश्वकर्मा की अदालत ने सश्रम आजीवन कारावास और 35-35 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड अदा न करने की स्थिति में तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

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    जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) विशाल श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया कि धनघटा थाना क्षेत्र के डिहवा गांव निवासी साबिरा खातून ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि उनके पति सरफराज खान ने अपने मित्र नीरज मौर्य के साथ मिलकर 31 मई 2020 को अपनी तीन बेटियों सना (7), सवा (4.5) और शमा (2.5) को घर से दवा कराने के बहाने ले गया और बिड़हर घाट पुल से नदी में फेंक दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई।

    इस घटना में मृतक बच्चियों के पिता सरफराज और उसके मित्र नीरज मौर्या के विरूद्ध मुकदमा दर्ज हुआ। विवेचक ने विवेचना कर न्यायालय में आरोप पत्र प्रस्तुत किया।

    पत्नी को नहीं करता था पसंद, छुटकारा पाने को रची थी साजिश

    पीड़िता ने बताया कि उसका विवाह वर्ष 2012 में सरफराज से हुआ था और उसके चार बेटियां थीं। उसका पति वाहन चलाता है। ईद के पहले वह मुंबई से आए। उस समय वह अपने मायका गांव निमावा (मीरगंज) थाना कोतवाली खलीलाबाद में थी।

    बच्चियों सहित उसे लेकर पति अपने घर डिहवा ले आए। पति उसे पसंद नहीं करते हैं। उससे तथा बेटियों से पीछा छुड़ाना चाहते थे। घटना वाले दिन बच्चियों को घुमाने और डॉक्टर को दिखाने के बहाने वह घर से अपने मित्र नीरज मौर्या के साथ मोटरसाइकिल से लेकर निकले और फिर उन्हें ले जाकर नदी में फेंक दिया।

    रात में 9.30 बजे अकेले घर वापस लौटे। बच्चियों के बारे में पूछने पर गलत जानकारी देकर झूठा अपहरण और हमले का ड्रामा रचने की कोशिश की, लेकिन जब मायके पक्ष के दबाव में उससे पूछताछ हुई, तो उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। कई दिनों तक आसपास के नाविकों और गोताखोरों ने बच्चियों की तलाश की लेकिन कुछ पता नहीं चला।

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    अभियोजन ने प्रस्तुत किए 9 साक्ष्य

    जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि अभियोजन पक्ष की ओर से 9 साक्षियों को प्रस्तुत किया गया, जिन्होंने घटना की पुष्टि की। वहीं बचाव पक्ष की ओर से 6 साक्षियों को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, लेकिन साक्ष्य के आधार पर दोनों आरोपित दोषी पाए गए।

    न्यायालय ने सुनाया कठोर दंड 

    सत्र न्यायाधीश ने दोनों अभियुक्तों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए कहा कि इस प्रकार की घटनाएं समाज को झकझोर देती हैं और दोषियों को कठोर दंड मिलना आवश्यक है।