संतकबीर नगर में दीपावली का पर्व हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। कार्तिक अमावस्या पर शुभ मुहूर्त में महालक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन होगा। शहर कस्बों और ग्रामीण इलाकों में रोशनी और सजावट की गई है। रंग-बिरंगी झालरों से बाजार जगमगा रहे हैं। विभिन्न मंदिरों में दीपोत्सव की तैयारियां हैं और सामूहिक पूजा-अर्चना के साथ दीपयज्ञ का आयोजन होगा। पूजा का समय जानने के लिए खबर पढ़िए।
जागरण टीम, संतकबीर नगर। दीपावली गुरुवार को उमंग एवं हर्षोल्लास पूर्वक मनेगी। शुभ मुहूर्त में धन, संपदा और वैभव की देवी महालक्ष्मी का पूजन करके दीप जलेंगे। घर-मंदिर, सड़क-बाजार संवरने से जगमग हैं। दीपावली की पूर्व संध्या पर बुधवार को शहर, नगर, कस्बा में रंग-बिरंगे बिजली झालर से रोशनी की गईं। शहर, कस्बा व ग्रामीण अंचलों के बाजारों में दिनभर तैयारियां चलती रहीं।
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शुभकामना के साथ उपहार देकर बधाई देने का सिलसिला प्रारंभ है। घर के आंगन में रंगोली सज रही है। दीप सजाकर जलाने की तैयारी है। महालक्ष्मी व विघ्नहर्ता भगवान श्रीगणेश की पूजा होगी। पर्व को लेकर छोटे-बड़े सभी लोगों में उत्साह है। नगर पालिका खलीलाबाद द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर महापुरुषों की प्रतिमा के पास जगमग करके रंग-बिरंगे झालर लगाए गए। घर-मंदिर, प्रतिष्ठा, संस्थानों में रोशनी की गई।
शुभ मुहूर्त कब?
शुभ मुहूर्त कार्तिक अमावस्या गुरुवार को दोपहर 03:12 बजे लग रही है जो एक नंवबर को शाम पांच बजकर 13 मिनट तक रहेगी। पूजन का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में शाम 05:35 बजे से रात 08:11 बजे तक, वृष लग्न शाम 06:27 बजे से रात 08.23 बजे, सिंह लग्न रात 12:53 बजे से 03.09 मिनट तक है। 31 अक्टूबर की रात में ही अमावस्या तिथि रहेगी और एक नवंबर की रात में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी। कार्तिक अमावस्या की रात में लक्ष्मी पूजा करने की परंपरा के कारण 31 अक्टूबर की रात को ही शुभ मुहूर्त रहेगा।
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लक्ष्मी पूजन मंत्र
ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:।
ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः।
ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा।।
गणेश जी पूजन मंत्र
एकदंताय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रथ। निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
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संस्कृति व परंपरा का प्रतीक
दीपावली संस्कृति, शुचिता व परंपरा का प्रतीक है। समृद्धि व विकास के साथ अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का प्रेरणा देते है। इसी दिन भगवान श्रीराम वनवास के बाद लंका पर विजय प्राप्त करके अयोध्या माता सीता के साथ वापस लौटे थे। अयोध्या में आने पर दीप जलाकर खुशियां मनाई गई। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की उपासना की जाती है।
स्वयं, स्वजन, परिवार जनों, शुभचिंतकों के सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य रक्षा के साथ समाज के कल्याण की कामना की जाती है। लक्ष्मी नारायण मंदिर गोला बाजार के पुजारी पंडित अनिरूद्ध मिश्र का कहना है कि माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जो धन, समृद्धि और सुख-शांति की देवी हैं। आचार्य कमलेश पांडेय का कहना है कि केवल भौतिक धन और समृद्धि की प्राप्ति ही नही।
विद्या की देवी मां सरस्वती की आराधना से मां लक्ष्मी की कृपा पाने से कल्याण संभव है। पंडित चंदन शुक्ला का कहना है कि पर्व विजय व अच्छाई के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। शक्तिपीठ पर होगा दीपयज्ञ गायत्री शक्तिपीठ खलीलाबाद में गुरुवार को सुबह हवन-पूजन व महामंत्र का जाप होगा।
शाम छह बजे से दीप यज्ञ होगा। समय माता मंदिर खलीलाबाद में पूजन करके दीप जलाया जाएगा। प्राचीन शिव बाबा तामेश्वनाथ धाम, बाबा भंगेश्वरनाथ बखिरा, प्राचीन मंदिर गोला बाजार, श्रीलक्ष्मी नारायण मंदिर खलीलाबाद आदि स्थानों पर दीपोत्सव मनेगा।
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