Laxmi Pujan Muhurat 2024: दीवाली पर कब करें लक्ष्मी पूजा? हर वर्ग के लिए अलग शुभ मुहूर्त, ज्योतिषाचार्यों ने बताया
दीपावली का पर्व आज पूरे देश में मनाया जा रहा है। लक्ष्मी-गणेश की पूजा के लिए शुभ समय शाम 5.36 बजे से रात 8.51 बजे तक है। ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि विधि-विधान से पूजा करने से सुख-समृद्धि होती है। पूजा के लिए चौकी पर लाल या गुलाबी वस्त्र बिछाना होगा और गणेशजी की मूर्ति रखकर पूजा आरंभ करनी होगी। नीचे विस्तार में पढ़ें पूरी जानकारी-
जागरण संवाददाता, मथुरा/मेरठ। आज दीपावली का पर्व पूरा देश मना रहा है। घर और बाजार में उल्लास है। लक्ष्मी-गणेशजी का पूजन कर सुख-समृद्धि की प्रार्थना की जाएगी। लोगों ने पूजन सामग्री की खरीदारी कर ली है। दीपावली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन लोग सुख-समृद्धि पाने के लिए विधि-विधान से पूजा करते हैं। ऐसे में जानना जरूरी है कि किस वर्ग के लोगों को कब लक्ष्मी-गणेश की पूजा करनी चाहिए।
इस बारे में मथुरा के ज्योतिषाचार्य अजय तैलंग ने बताया कि दीपावली का पर्व गुरुवार को मनाया जाएगा। विधि-विधान से पूजा करने से सुख-समृद्धि होती है। लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ समय शाम 5.36 बजे से रात 8.51 बजे तक रहेगा।
हर वर्ग के लिए पूजन का समय अलग
- परिवार सहित पूजन समय- शाम 5.30 बजे
- डॉक्टर, इंजीनियर- 6.30 बजे
- लेखा विभाग व प्रशासन- शाम 5 बजे
- अधिवक्ता, पुलिस विभाग- शाम 6.30 बजे
- संगीत कलाकार- रात 8 बजे
- मंदिर पुजारी- शाम 6 बजे
- मीडिया विभाग- शाम 8.30 बजे
- कारखाना, फैक्ट्री- 3.50 बजे
- बड़े उद्योगपति- रात 11.30 बजे
- शिक्षा विभाग, शिक्षक- शाम छह बजे
- राजनेता व अभिनेता- रात 8 बजे
- सिद्धि प्राप्ति- रात 12 बजे
- अक्षय प्राप्ति- रात 12.40
- अन्य के लिए- शाम 5.30 से रात 8.40 बजे
इस तरह करें पूजा
चौकी पर लाल या गुलाबी वस्त्र बिछाएं। पहले गणेशजी की मूर्ति रखें, उनके दाहिने और लक्ष्मीजी को रखें। आसन पर बैठें और अपने चारों और जल छिड़क लें। इसके बाद संकल्प लेकर पूजा आरंभ करें। घी का दीपक जलाएं, फिर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को फूल और मिठाइयां अर्पित करें।
गणेशजी का विधि-विधान से पूजन करें। माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को भोग में खीर, बूंदी के लड्डू, सिंघाड़ा, अनार, नारियल, पान का पत्ता, हलवा, मखाने, सफेद रंग की मिठाई, खील, चूरा, इलायची दाने का भोग लगाएं। खील, बतासे, खिलौना, कमलगट्टा, सिंदूर आदि अर्पित करें।
माता लक्ष्मी को माना जाता है शुक्र की अधिष्ठात्री देवी
मेरठ के ज्योतिषविद विभोर इंदूसुत कहते हैं कि इस बार 31 अक्टूबर को दीपावली के दिन शाम साढ़े छह से रात सवा आठ बजे के बीच चर और अमृत चौघड़िया के साथ स्थिर लग्न (वृष) उपस्थित रहेगी।
वृष लग्न स्थिर लग्न होने से तो दीपावली पूजन के लिए श्रेष्ठ है ही, साथ ही ज्योतिषीय दृष्टि से भी वृष लग्न के स्वामी शुक्र को ही धन, ऐश्वर्य, वैभव और समृद्धि का ग्रह माना गया है। माता लक्ष्मी को शुक्र की अधिष्ठात्री देवी माना गया है, इसलिए वृष लग्न में किया गया लक्ष्मी पूजन श्रेष्ठ और बहुत शुभ फलदायी होता है।
कार्तिक अमावस्या की रात में लक्ष्मी पूजा करने की परंपरा
बुलंदशहर के पंडित आचार्य मुकेश मिश्रा के अनुसार, दीपावली का मुख्य पूजन रात में अमावस्या के समय किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार जिस दिन अमावस्या प्रदोष काल और महानिशीथ काल में व्याप्त होती है, उसी दिन दीपावली का पर्व मनाना चाहिए। इस वर्ष दीपावली की तारीख को लेकर पंचांग भेद हैं, क्योंकि कार्तिक मास की अमावस्या 31 अक्टूबर और एक नवंबर दो दिन रहेगी।
कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर की दोपहर 3:52 से शुरू हो जाएगी और अगले दिन यानी एक नवंबर की शाम करीब 6:16 बजे तक रहेगी। 31 अक्टूबर की रात में ही अमावस्या तिथि रहेगी और एक नवंबर की रात में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी। कार्तिक अमावस्या की रात में लक्ष्मी पूजा करने की परंपरा के कारण 31 अक्टूबर की रात को ही शुभ मुहूर्त रहेगा।
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