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    करोड़ों की वित्तीय अनियमितता में फंसें DPRO समेत दस अधिकारियों पर होगी कार्रवाई, फर्म ब्लैक लिस्टेड

    Updated: Sun, 07 Sep 2025 01:58 PM (IST)

    संतकबीरनगर में स्वच्छ भारत मिशन के तहत करोड़ों की वित्तीय अनियमितता उजागर हुई है। जिलाधिकारी ने डीपीआरओ समेत कई अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जांच में 30 ग्राम पंचायतों के सचिव और ग्राम प्रधान भी दोषी पाए गए हैं जिनसे धन की वसूली की जाएगी। लापरवाही बरतने वाले एडीओ पंचायत पर भी कार्यवाई होगी।

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    करोड़ों की वित्तीय अनियमितता में फंसें डीपीआरओ समेत दस अधिकारियों पर होगी कार्रवाई

    जागरण संवाददाता संतकबीरनगर। जिले में स्वच्छ भारत मिशन के तहत सोख्ता और गड्ढा निर्माण में करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितता की जांच में पुष्टि होने के बाद जिलाधिकारी आलोक कुमार ने बड़ी कार्रवाई की है। दोषी फर्मों को ब्लैक लिस्टेड करने के साथ ही तत्कालीन पटल सहायक को सेवा से पदच्युत करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

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    जिला पंचायत राज अधिकारी मनोज कुमार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए निदेशक पंचायती राज उत्तर प्रदेश को संस्तुति रिपोर्ट भेजी है। इस मामले में जिले के नौ सहायक विकास अधिकारियों (एडीओ) पंचायत को पर्यवेक्षण में लापरवाही बरतने का दोषी पाया गया है।

    इसके अलावा तीस ग्राम पंचायतों के सचिवों और ग्राम प्रधानों को भी दोषी पाया गया है। जिलाधिकारी ने इन सभी के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। मामले की जांच के लिए अपर जिलाधिकारी न्यायिक चंद्रकेश सिंह को जांच अधिकारी नामित किया गया है। इन्हें दो माह में जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।

    स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण की ग्राम निधि-6 में वर्ष 2021-22 में मिले 27 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता के मामले में एक साल पहले जिले के सभी नौ ब्लाकों में जांच के लिए जिलास्तीय कमेटी गठित की गई थी। जून 2024 में गठित यह जांच कमेटी को जांच पूरी कर एक माह में रिपोर्ट देनी थी लेकिन कमेटी ने जांच को लंबित किए रखा।

    दैनिक जागरण ने पांच अगस्त को दबा दी गई तीन करोड़ के वित्तीय अनियमितता की जांच और छह अगस्त को सोख्ता व शौचालय के लिए तीन करोड़ कहां खपाए, ढूंढो तो जाने शीर्षक से खबरें प्रकाशित की थी।

    खबर का जिलाधिकारी आलोक कुमार ने संज्ञान लिया तो हड़कंप मच गया। इस मामले की फाइल जिलाधिकारी ने परीक्षण के लिए तलब की तो सारी कारगुजारी सामने आ गई। प्रकरण की जांच के लिए गठित त्रिस्तरीय समिति जिसमें जिला पंचायत राज अधिकारी, उपायुक्त श्रम रोजगार, एवं जिला विकास अधिकारी शामिल थे, से विस्तृत रिपोर्ट मांगी।

    इस जांच को दबाने के लिए विकास भवन के बड़े अफसर ने दांव पर दांव चले लेकिन जिलाधिकारी ने उनकी एक न सुनी। बहरहाल टीम ने जांच कर विस्तृत आख्या गत 29 अगस्त को जिलाधिकारी को पेश की।

    इस रिपोर्ट में गंभीर वित्तीय अनियमितता, शासकीय धनराशि के दुरुपयोग और गबन की पुष्टि होने के बाद जिलाधिकारी ने कार्रवाई की झड़ी लगा दी। अनियमित रूप से शासकीय धन का हस्तांतरण व आहरण कर सरकारी धन का दुरुपयोग किए जाने के मामले की पुष्टि होने पर जिलाधिकारी ने तत्कालीन पदेन अधिकारियों व कर्मचारियों दोषी को माना है।

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    इस मामले में सचिव शिवप्रकाश सिंह के खिलाफ कार्रवाई फाइल में बंद कर दी गई थी लेकिन डीएम ने कहा कि विभागीय कार्रवाई पुनर्जीवित होगी। इन पर रोक के बावजूद फर्म को भुगतान किए जाने का आरोप है। जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि 30 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जहां ग्राम निधि-6 की धनराशि निकाल की गई है लेकिन उसे जमा नहीं किया गया। संबंधित ग्राम प्रधान/सचिव से धन की वसूली के आदेश दिए गए हैं।

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