संभल : यमतीर्थ के परिक्रमा पथ का कार्य अधर में, तीसरी और सबसे बड़ी किस्त का इंतजार
संभल के पौराणिक यमतीर्थ का सुंदरीकरण कार्य ₹60 लाख की अंतिम किस्त न मिलने से अधर में। ₹1.18 करोड़ की परियोजना के तहत परिक्रमा पथ, इंटरलाकिंग व सौंदर्य विस्तार रुका। पालिका प्रशासन जल्द बजट जारी होने की उम्मीद में। धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में यमतीर्थ का निखरना बाकी।
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अधूरी हालत में यमतीर्थ
संवाद सहयोगी, जागरण, संभल। पौराणिक व सांस्कृतिक यमतीर्थ को आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना फिलहाल अधर में लटक गई है। शासन की अंतिम और सबसे बड़ी किस्त न मिलने के कारण सुंदरीकरण और जीर्णोद्धार के कई महत्वपूर्ण कार्य रुक गए हैं। दो किस्तों में मिले बजट से चाहरदीवारी, सीढ़ियों, कुंड व टाइल्स का काम तो शुरू हुआ लेकिऩ परिक्रमा पथ और सौंदर्य विस्तार का अहम हिस्सा अभी अधूरा है।
संभल में सांस्कृतिक व पौराणिक 68 तीर्थ और 19 कूप हैं। पालिका और प्रशासन अब इन तीर्थों की खोज करने में लगा है। अधिकांश तीर्थों को खोज निकाला है। 19 कूपों को भी खोज कर उनको संरक्षित किया गया है। वहीं 68 तीर्थों में शामिल एक यमघंट/यमतीर्थ जो हल्लू सराय है और शहर के बीचों बीच स्थित है। पूर्व में यहां तालाब हुआ करता था।
इसकी जीर्ण-शीर्ण स्थिति के चलते लोग यहां आने से कतराने लगे थे। पालिका ने इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का संकल्प लिया था। नगर पालिका द्वारा वंदन योजना के तहत भेजे गए प्रस्ताव पर शासन ने कुल 118.35 लाख रुपये स्वीकृत किए थे, ताकि इसकी ऐतिहासिक महत्ता फिर से उभर सके। शासन ने परियोजना के अंतर्गत कुंड, सीढ़ियां और सुंदरीकरण का प्लान पास किया था।
परियोजना की पहली किस्त के रूप में 38 लाख 35 हजार रुपये जारी किए गए थे। इस राशि से परिक्रमा मार्ग के चारों ओर मिट्टी भराव का कार्य कराया गयाञ चहारदीवारी बनाई गई और पिलरों पर लाइटें भी लगाई गईं। इसी बीच दूसरी किस्त के रूप में लगभग 20 लाख रुपये और जारी हुए, जिनका उपयोग कुंड के चारों ओर लाल पत्थर से सीढ़ियां बनाने और टाइल्स लगाने में किया गया।
इससे कुंड का स्वरूप काफी हद तक निखर कर सामने आया। योजना के अनुसार परिक्रमा पथ पर आरसीसी या इंटरलाकिंग लगाने की तैयारी थी, ताकि श्रद्धालु सुगमता से परिक्रमा कर सकें। कुंड के समीप मंदिर निर्माण का कार्य भी जारी रहा और इसका ढांचा लगभग खड़ा हो चुका है, लेकिन अब सबसे महत्वपूर्ण और अंतिम किस्त 60 लाख रुपये शासन से प्राप्त नहीं हुई है।
इसी वजह से परिक्रमा पथ को अंतिम रूप देने, आरसीसी व इंटरलाकिंग लगाने, शेष संपूर्ण सुंदरीकरण का बड़ा हिस्सा अटका हुआ है। यदि अंतिम किस्त जल्द जारी हो जाती है तो यमतीर्थ का स्वरूप पूरी तरह निखरकर सामने आएगा और यह शहर का प्रमुख धार्मिक पर्यटन केंद्र बनेगा।
यमतीर्थ का कार्य लगातार जारी है। तीन किस्तों में धनराशि आनी है। दो किस्तों में जारी रकम से कार्य हो रहा है। शासन की ओर से अंतिम किस्त के रूप में 60 लाख रुपये आना बाकी है। इसके आते ही कार्य में तेजी आएगी और जल्द ही इसका सुंदरीकरण किया जाएगा।
- डा. मणिभूषण तिवारी, ईओ, पालिका संभल।
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