Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    संभल में लगातार जारी है शिक्षकों का प्रदर्शन, नहीं खोला नवरात्र का व्रत, कहा- हमारी माता तो अभी मानी नहीं

    Updated: Wed, 01 Oct 2025 05:22 PM (IST)

    चंदौसी में ऑफलाइन स्थानांतरण की मांग को लेकर शिक्षकों का धरना जारी है। शिक्षकों ने नवमी पर भी व्रत नहीं खोला और स्थानांतरण सूची जारी होने तक धरना जारी रखने का संकल्प लिया। उन्होंने शिक्षा मंत्री से वार्ता न होने पर निराशा जताई और जिलाधिकारी को पत्र लिखकर आंदोलन की जानकारी दी। शिक्षकों ने दशहरा और दीपावली न मनाने का भी निर्णय लिया है।

    Hero Image
    संभल में लगातार जारी है शिक्षकों का प्रदर्शन, नहीं खोला नवरात्र का व्रत, कहा- हमारी माता तो अभी मानी नहीं

    जागरण संवाददाता, चंदौसी। आफलाइन स्थानांतरण को लेकर शिक्षकों का धरना बुधवार को कंपनी बाग में जारी रहा। धरना दे रहे बहुत से शिक्षकों ने नवरात्र के व्रत रखे हुए थे, पर नवमी के दिन भी उन्होंने अपना उपवास नहीं खोला। स्नान आदि करके फिर अपने स्थान पर बैठ गए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शिक्षकों का कहना है कि जब तक माध्यमिक शिक्षा मंत्री स्थानांतरण रूपी प्रसाद उन्हें नहीं दे देतीं, तब तक वे व्रत नहीं खोलेंगे। अब स्थिति करो या मरो की बन चुकी है। इस दौरान शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री के शहर में होने के बाद भी उनसे वार्ता न करने पर निराशा जताई। वहीं दूसरी ओर शिक्षकों ने डीएम को पत्र भेजकर अपने आंदोलन की औपचारिक जानकारी भी दी है।

    गौरतलब है कि शिक्षक स्थानांतरण सूची के लिए 25 सितंबर से माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी के आवास पर धरना दे रहे थे। मंगलवार को नोकझोंक और लंबी वार्ता के बाद उन्हें मंत्री आवास से कंपनी बाग में शिफ्ट कर दिया गया था।

    संघर्ष समिति के अध्यक्ष शुभेंद्र शरण त्रिपाठी ने बताया कि बुधवार को डीएम को भेजे गए पत्र में शिक्षकों ने कहा है कि वे पिछले तीन महीने से स्थानांतरण को लेकर मानसिक और शारीरिक पीड़ा से गुजर रहे हैं। लापरवाही शासन की ओर से हो रही है, पर खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। इसलिए आफलाइन स्थानांतरण संघर्ष समिति ने यह निर्णय लिया है कि जब तक शिक्षकों को सूची नहीं दी जाती, तब तक वे चंदौसी में ही निरंतर धरना-प्रदर्शन करते रहेंगे।

    साथ ही उन्होंने विरोध स्वरूप दशहरा और दीपावली पर्व भी न मनाने की बात कही। पिछले दो दिनों के मुकाबले बुधवार को शिक्षकों की संख्या अन्य दिनों की अपेक्षा 350 के आसपास रही। इस दौरान उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा संघ ठकुराई गुट के प्रदेश अध्यक्ष उमेश चंद्र त्यागी, अटेवा के मेरठ मंडल अध्यक्ष दिनेश कुमार, शर्मा गुट की ओर से बदायूं-मुरादाबाद मंडल के प्रतिनिधि अनिल कुमार ने भी मौके पर पहुंचकर आंदोलित शिक्षकों को समर्थन दिया।

    इस दौरान निलंबित शिक्षक और संघर्ष समिति के अध्यक्ष शुभेंद्र शरण त्रिपाठी की बहाली की भी मांग की गई। इस मौके पर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ शर्मा गुट के बालक राम जिला मंत्री अमरोहा, अतुल पंडित प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य, जीपी सिंह प्रदेश मंत्री के अलावा रविंद्र कुमार शर्मा, पंकज सिंह, रुद्रकांत त्रिपाठी, प्रेम सिंह, डॉ. श्रवण, पूजा राय, वाहिद हुसैन, प्रधानाचार्य कीर्ति कुशवाह, ऊषा उपाध्याय, मुकेश शर्मा, अनवर परवेज आदि मौजूद थे।

    आंदोलित शिक्षकों के लिए प्रशासन की ओर से की गई चाक-चौबंद व्यवस्था

    मंत्री आवास से जब शिक्षकों को कंपनी बाग में शिफ्ट किया गया तो यहां व्यवस्था के नाम पर कुछ बेंच ही थीं। हालांकि शिफ्ट करने से पहले डीएम ने शिक्षकों को कंपनी बाग में जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने का वादा किया था, जिसे प्रशासन ने निभाया भी। देर शाम से कंपनी बाग में शिक्षकों के लिए टेंट लगना शुरू हो गया था जो रात नौ बजे तक तैयार हो गया।

    इसमें लाइट, गद्दे के साथ दो बड़े कूलर भी लगाए गए। साथ ही पीने के पानी के लिए कैंपर की व्यवस्था भी की गई। मच्छरों और असुविधा के बीच एक बार लगा कि शिक्षकों को रात काटना मुश्किल होगा, पर प्रशासन की ओर से व्यवस्था करने के बाद यह समस्या भी खत्म हो गई। साथ ही यहां सुरक्षा बलों को भी तैनात किया गया है। शिक्षकों ने इसके लिए पुलिस-प्रशासन का आभार जताया है।

    हिम्मत न हारें, कुछ दिनों बाद जनप्रतिनिधि हमारे बीच होंगे: उमेश त्यागी

    शिक्षकों को संबोधित करते हुए ठकुराई गुट के प्रदेश अध्यक्ष उमेश त्यागी ने कहा कि शिक्षकों को हताश होने, हिम्मत हारने की जरूरत नहीं है। न यह सोचकर मनोबल खोने की आवश्यकता है कि मंत्री आवास से हमें हटा दिया गया। हम शिक्षक हैं और प्रदेश में शिक्षकों की संख्या कम नहीं है।

    हर बार जब भी चुनाव होता है तो यही जनप्रतिनिधि, जो इस समय हमारी पुकार पर कान बंद करके बैठे हैं, हमारी मनुहार करते हैं। यह समय फिर जल्द आने वाला है। आज हम अपनी बात लेकर उनके बीच पहुंचे हैं, कुछ दिन बाद वे भी हमारे बीच पहुंचेंगे। तब आज जो अपमान हो रहा है, जो पीड़ा दी जा रही है, उसका हिसाब लिया जाएगा।

    शिक्षक अपनी जायज मांगों को लेकर लड़ रहे हैं, ऐसे में उनका शोषण किसी भी हिसाब से उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों ने अपनी कुछ कमजोरियों के कारण कई अधिकार खो दिए हैं। फिर चाहे पेंशन हो या धारा 21, जिसमें यह प्रावधान था कि प्रधानाचार्य या शिक्षक के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से पहले प्रबंधन समिति को चयन बोर्ड से अनुमति लेनी होती थी।

    आज शिक्षकों पर मनमाने नियम लागू किए जा रहे हैं। शिक्षा व्यवस्था भी ठेके पर देने की तैयारी हो रही है। आज फिर मौका है कि आपको कमजोर नहीं पड़ना है। वहीं अटेवा के मेरठ मंडल अध्यक्ष दिनेश कुमार ने कहा कि इस बार शिक्षक सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई को तैयार हैं। शिक्षक बिना स्थानांतरण सूची लिए यहां से नहीं जाएंगे। आंदोलित शिक्षकों के साथ हमारा पूरा समर्थन है।

    बोलीं महिला शिक्षक- शिक्षा में व्यवधान मंत्री डाल रहीं, हम नहीं

    शिक्षा मंत्री की ओर से दिए गए इस बयान पर कि शिक्षक बीच सत्र में स्थानांतरण पर अड़े रहकर शिक्षा में व्यवधान डाल रहे हैं, महिला शिक्षक बिफर पड़ीं। उनका कहना है कि हमारी ओर से दिसंबर-जनवरी में फाइल शासन को भेज दी गई थी। अब अनुमोदन आपके स्तर से अटका है। ऐसे में शिक्षक जिद पर अड़े नहीं हैं, बल्कि मंत्री हैं। और शिक्षा का नुकसान भी आपकी जिद के कारण ही हो रहा है। उनका कहना है कि हमें कोई शौक नहीं है कि अपना घर छोड़कर बच्चों के साथ यहां धरना देने आएं। इसके लिए शासन ने ही हमें मजबूर किया है।