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    संभल में हाईवोल्‍टेज ड्रामे के बाद शि‍क्षकों ने बदली आंदोलन की लोकेशन, मंत्री गुलाब देवी बोलीं- थोड़ा धैर्य रखें

    Updated: Tue, 30 Sep 2025 07:56 PM (IST)

    चंदौसी में स्थानांतरण की मांग को लेकर माध्यमिक शिक्षा मंत्री के आवास पर धरना दे रहे शिक्षकों को पुलिस ने हटा दिया। डीएम और एसपी के अल्टीमेटम के बाद शिक्षकों ने मंत्री से बातचीत की और कंपनी बाग में धरना जारी रखने पर सहमति बनी। शिक्षक नेताओं ने मंत्री पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया और आंदोलन जारी रखने की बात कही।

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    चंदौसी में मंत्री के आवास से कंपनी बाग में शिफ्ट किया गया शिक्षकों का धरना, माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी।

    जागरण संवाददाता, चंदौसी। ऑफलाइन स्थानांतरण की मांग को लेकर 25 सितंबर से माध्यमिक शिक्षामंत्री के आवास पर बैठे शिक्षक मंगलवार को हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद आखिरकार वहां से हटा दिए गए। दोपहर लगभग पौने दो बजे डीएम डा. राजेंद्र पैंसिया और एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे और शिक्षकों को एक घंटे का समय देते हुए तीन बजे तक स्थान खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया। इस दौरान शिक्षकों और दोनों अधिकारियों के बीच काफी नोकझाेंक भी हुई। हालांकि कई दौर की बातचीत के बाद शिक्षक मंत्री के आवास को खाली करने के लिए राजी हो गए। पुलिस ने अपनी निगरानी में उन्हें नगर पालिका के अस्थाई कार्यालय परिसर कंपनी बाग में शिफ्ट करा दिया।

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    शिक्षकों के धरना-प्रदर्शन को लेकर प्रशासन ने सोमवार से ही सख्ती दिखानी शुरू कर दी थी। पहले आफलाइन स्थानांतरण संघर्ष समिति के अध्यक्ष शुभेंद्र शरण त्रिपाठी को निलंबित किया फिर एक अन्य शिक्षक संदीप सुरतिया का एक दिन का वेतन काट लिया। जिसके बाद शिक्षकों ने अन्य शिक्षक संगठनों से सहयोग की अपील की थी। इसके माना जा रहा था कि शिक्षक इस मामले में आरपार की लड़ाई के मूड में आ चुके हैं। इसी को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने भी अपनी तैयारी कर ली थी। दोपहर करीब एक बजे चंदौसी काेतवाली और बनियाठेर थाना पुलिस के साथ संभल से डेढ़ सेक्शन पीएसी भी जुटनी शुरू हो गई।

    धीरे-धीरे अन्य अधिकारी सीओ चंदौसी, तहसीलदार, ईओ नगर पालिका आदि भी मौके पर पहुंचने लगे। लगभग पौने दो बजे डीएम और एसपी भी मौके पर पहुंच गए। दोनों अधिकारियों में जनपद में धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू होने और किसी के निजी स्थान पर कब्जा करके प्रदर्शन को अवैधानिक बताते हुए जगह खाली करने की बात कही। इस पर उत्तर प्रदेश शिक्षक संघ ठकुराई गुट के प्रदेश अध्यक्ष उमेश चंद्र त्यागी ने मंत्री द्वारा ही अनुमति प्रदान करने का तर्क दिया।

    इस बीच कुछ शिक्षकों ने मोबाइल से वीडियो बनानी शुरू कर दो तो एसपी ने सभी के मोबाइल जब्त कर लिए। देखते ही देखते दोनों पक्षों में तीखी नोकझोंक शुरू हो गई। अंत में एसपी ने सख्ती दिखाते हुए सभी को तीन बजे तक जगह खाली करने को कहा, ऐसा न करने पर सख्ती बरने की चेतावनी देकर मौके से चले गए। हालांकि बाद में एसपी ने सभी मोबाइल लौटाने के आदेश दे दिए।

    कुछ देर डीएम-एसपी फिर मौके पर पहुंचे और शिक्षकों से बात की। जिस पर शिक्षकों ने शंतिपूर्वक मार्च करने और जेल भरो आंदोलन शुरू करने की बात कही पर पुलिस ने इसे भी नकार दिया। इसके बात शिक्षकों ने शिक्षा निदेशक से बातकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, पर वहां से भी कोई संतोषजनक उत्तर न नहीं मिला। दूसरी ओर डीएम-एसपी ने भी अपनी गाड़ी में कुछ मंत्रणा की। जिसके बाद डीएम-एसपी ने उमेश चंद्र त्यागी व कुछ शिक्षकों के साथ मंत्री के आवास पर एकांत में बैठक की। बताया जा रहा है कि इस दौरान शिक्षकों की माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी से बात कराई जिसके बाद शिक्षक मंत्री आवास छोड़ने के लिए राजी हो गए। जिसके बाद शिक्षक पुलिस के साथ फव्वारा रोड स्थित नगर पालिका को अस्थाई कार्यालय कंपनी बाग के लिए रवाना हो गए।

    एक ओर हो रही थी वार्ता दूसरी ओर शिक्षकों ने उठाने शुरू कर दिए बैग

    चंदौसी: लंबी बहस के बाद जब अधिकारी और शिक्षक प्रतिनिधि मंत्री आवास में मंत्री से फोन पर बात कर रहे थे उसी बीच शिक्षकों ने अपना सामान उठाना शुरू कर दिया। इसी बीच मंत्री आवास से बाहर आए शिक्षकों ने मंत्री आवास छोड़ने की आधिकारिक घोषणा कर दी। जिसके बाद शिक्षक बच्चों की तरह ही लाइन लगाकर खड़े हो गए। बताया जा रहा है कि बातचीत के दौरान मंत्री ने एक-दो दिन में सूची के अनुमोदन की बात कही है।

    मंत्री चौथी बार अपने की वादे से मुकरी हैं: उमेश चंद्र त्यागी

    ठकुराई गुट के प्रदेश अध्यक्ष उमेश चंद्र त्यागी ने कहा कि यह पहला मामला नहीं जब मंत्री गुलाब देवी खुद वादा करके उससे मुकरी हैं। इसी स्थानांतरण मामले में मंत्री तीन बार आश्वासन दे चुकी हैं। चौथा आश्वासन उन्होंने शिक्षकों को दिया कि आप हमारे मेहमान हैं, आपको यहां कोई परेशानी नहीं होगी। पुलिस-प्रशासन कोई भी परेशान नहीं करेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, आज उन्हीं के निर्देश पर हमें यहां से जबरन और अपमानित करके उठाया जा रहा है। लेकिन हमारी लड़ाई यहीं खत्म नहीं होगी। हम अब कंपनी बाग से अपना अंदोलन जारी रखेंगे। अपनी बात रखने के लिए हम लोकतंत्र में दिए गए हर हथियार का चरणबद्ध तरीके से प्रयोग करेंगे। शासन और राजनीति में बैठे लोगों को यह समझना चाहिए, शिक्षक कभी भी अकेला और कमजोर नहीं होता। एक बार शिक्षक जब जाग जाए तो किसी को भी हिला सकता है। शिक्षकों ने ही भाजपा को कई एमएलसी दिए हैं। मंत्री हमें अपने आवास से तो हटा सकती हैं पर चंदौसी से नहीं निकाल सकतीं। शिक्षक अब चंदौसी से तभी जाएंगे जब उन्हें स्थानांतरण सूची मिल जाएगी।

    धरना दे रहे शिक्षक शुभेंद्र की सुबह तबीयत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती

    चंदौसी: स्थानांतरण सूची को लेकर माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी के आवास पर साथियों के साथ धरना दे रहे शिक्षक शुभेंद्र शरण त्रिपाठी की मंगलवार सुबह अचानक तबीयत बिगड़ गई और वह बेहोश हो गए। साथी शिक्षकों ने उन्हें तत्काल नजदीकी निजी चिकित्सक के पास पहुंचाया। डाक्टर ने बताया कि आक्सीजन और शुगर लेवल गिरने के कारण उनकी तबीयत बिगड़ी है। फिलहाल उन्हें ड्रिप लगाई जा रही है। शुभेंद्र शरण की नियुक्ति अलीगढ़ जनपद में है। वह चंदौसी में चल रहे शिक्षकों के धरने का नेतृत्व कर रहे हैं। सोमवार को शासन ने उन्हें निलंबित भी कर दिया था। मंगलवार को जब सभी शिक्षक पैदल बैग लटकाकर कंपनी बाग जा रहे थे, वहीं शुभेंद्र को एंबुलेंस से कंपनी बाग शिफ्ट किया गया।

    बीच-बीच में उछलती रही रिश्वतखोरी की चर्चा

    डीएम-एसपी से बात करते-करते कई बार शिक्षक शिक्षा विभाग में फैले भ्रष्टाचार का जिक्र भी कर देते। शिक्षकों का कहना कि आवेदन से पहले उन्हें आठ पर जगहों पर अपनी फाइल की संस्तुति करानी पड़ी, इसमें न केवल उनका श्रम लगा बल्कि इसके लिए अच्छी-खासी रकम भी खर्च की थी। उनका कहना है कि यदि शासन को उनका ट्रांसफर नहीं करना है तो साफ मना कर दें और हमारे पैसे वापस दिला दें। पर इस पर कोई बात नहीं कर रहा है, सिर्फ आश्वासन दिए जा रहे हैं। हालांकि दोनों अधिकारियों ने इशारे में इस मामले में न बोलने की हिदायत दे दी। इसके बाद भी बीच में कोई न कोई शिक्षक भ्रष्टाचार को लेकर अपना दर्द जाहिर कर ही देता था।

    मौके पर जमी रही भीड़

    जहां एक ओर शिक्षक ओर पुलिस खड़ी थी वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों और राहगीरों को जमघट लगा हुआ था। पुलिस बार-बार लोगों को वहां से जाने की हिदायत दे रही थी। फिर भी आसपड़ोस के लोग घरों के दरवाजों और छतों पर खड़े होकर पूरा मामला देख रहे थे।

    एक बार को लगा जैसे पुलिस कर सकती है कार्रवाई

    दो बजे के आसपास जब एसपी और डीएम शिक्षकों को एक घंटे का समय देकर गए उसके बाद पुलिस ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी। गली के दोनों ओर आने जाने वाले लोगों को रोक दिया गया। मीडिया कर्मियों को भी एक तरफ होने के कहा गया। जिससे लग रहा था कि जल्द की पुलिस सख्त कार्रवाई के मोड में आने वाली है। हालांकि डीएम-एसपी के दोबारा लौटने पर मामला कुछ नार्मल हो गया।

    पीछे से शिक्षकों को समझाते नजर आए डीएम

    दोनों अधिकारी शिक्षकों को मंत्री के आवास खाली करने की बात कह कर सड़क पर उनके निकलने का इंतजार ही कर रहे थे। लेकिन शिक्षक वहां से निकलने में देर लगा रहे थे, जिस पर डीएम खुद शिक्षकों को वहां से जल्दी हटाने को समझाते हुए नजर आए।

    संख्या अधिक होने के कारण शिक्षकों से थोड़ा समय मांगा हैं। उन्हें मुझ पर विश्वास करना चाहिए। मैं उनकी समस्या का जल्द से जल्द समाधान करने का प्रयास कर रही हैं। साथ ही शिक्षकों से अपील की गई है कि वे थोड़ा धैर्य रखें, उनके साथ कुछ भी गलत नहीं होगा। आज भी उनसे फोन पर कई बार बात हुई। इसके आलवा पुलिस प्रशासन को भी बोला गया है कि वे शिक्षकों के साथ सख्ती नहीं करें। उन्हें ससम्मान दूसरी जगह स्थानांतरित कर दें। - गुलाब देवी, माध्यमिक शिक्षा मंत्री

    डीएम डॉ.  राजेंद्र पैंस‍िया ने कहा क‍ि मंत्री की ओर से जो भी आश्वासन दिए हैं वे शिक्षकों को अवगत करा दिए गए थे। इसके अलावा शिक्षकों से कहा गया था कि या तो वे इस धरने को समाप्त कर दे यहां किसी और जगह शिफ्ट हो जाएंगे। किसी व्यक्ति के निजी आवास पर इस तरह धरना देना अवैधानिक है। साथ ही यह जगह एक गली में है जहां सात-आठ सौ लोग रहते हैं। ऐसे में इससे उनके दैनिक जीवन भी प्रभावित हो रहा था। बाद में शिक्षकों ने मंत्री से वार्ता कर धरना कंपनी बाग में शिफ्ट कर लिया।

    एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने कहा क‍ि पहले शिक्षकों को एक घंटे में मंत्री आवास खाली कहने के कहा गया था, लेकिन बाद में मंत्री के बात के बाद शिक्षक स्वयं ही वह जगह छोड़ने के लिए राजी हो गए। पुलिस सुरक्षा में सभी शिक्षकों को मंत्री आवास से कंपनी बाग में शिफ्ट कर दिया गया है। शिक्षकों की ओर से कोई प्रतिरोध नहीं किया गया।

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