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    संभल हिंसा: मजिस्ट्रियल जांच में रुचि नहीं दिखा रहे अफसर, नौवीं बार बढ़ी तारीख… इस दिन होगी सुनवाई

    उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के विरोध में हुई हिंसा की मजिस्ट्रियल जांच में अधिकारियों की उदासीनता सामने आई है। मजिस्ट्रेट दीपक चौधरी ने आठ बार तिथि तय की लेकिन कोई अधिकारी बयान दर्ज कराने नहीं पहुंचा। अब 24 फरवरी को अगली सुनवाई होगी। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हुई थी और 30 अधिकारी व पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।

    By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Wed, 12 Feb 2025 12:05 AM (IST)
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    अब 24 फरवरी की तिथि तय की गई है।

    जागरण संवाददाता, संभल। जामा मस्जिद के सर्वे के विरोध में गत 24 नवंबर को हुई हिंसा की मजिस्ट्रियल जांच को लेकर अधिकारियों में दिलचस्पी नहीं है। मजिस्ट्रेट दीपक चौधरी के आठ बार तिथि तय करने के बाद भी कोई अधिकारी बयान दर्ज कराने नहीं पहुंचा है। अब 24 फरवरी की तिथि तय की गई है। 

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    इससे पहले 28 नवंबर, 30 नवंबर, नौ दिसंबर, 16 दिसंबर, 30 दिसंबर, 15 जनवरी, 30 जनवरी और 10 फरवरी तक की अवधि तय की जा चुकी है। अधिकारियों को नोटिस भी जारी किए जा चुके हैं। माना जा रहा है, अब अगली तिथि को मजिस्ट्रेट अपने स्तर से निष्कर्ष निकालकर रिपोर्ट तैयार करेंगे।

    एसआईटी कर रही 12 प्राथमिकी की जांच

    हिंसा में चार लोगों की मौत हुई थी, 30 अधिकारी व पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। मामले में पुलिस ने सात और चारों मृतकों के परिजनों ने अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज कराई थी। वहीं, एक घायल के परिजन की ओर से भी प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने सभी 12 प्राथमिकी की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग भी जांच कर रहा है। 

    डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने डिप्टी कलेक्टर दीपक चौधरी को मजिस्ट्रियल जांच सौंपी थी। मजिस्ट्रेट ने बयान के लिए पहली तिथि 28 नवंबर तय की थी, लेकिन कोई व्यक्ति बयान देने नहीं पहुंचा। इसके बाद लगातार तारीख बढ़ाई जा रही है। 

    डिप्टी कलेक्टर दीपक चौधरी का कहना है कि हिंसा से संबंधित अधिकारी, कर्मचारी व अन्य लोग 24 फरवरी को बयान देने नहीं आते हैं, तो उपलब्ध तथ्यों के आधार पर रिपोर्ट बनाई जाएगी। 

    तीन बार दौरा कर चुका न्यायिक आयोग 

    हिंसा की जांच के लिए सेवानिवृत्त जज देवेंद्र अरोड़ा की अध्यक्षता में गठित न्यायिक जांच आयोग में सेवानिवृत्त आईपीएस एके जैन और सेवानिवृत्त आईएएस अमित मोहन प्रसाद सदस्य हैं। आयोग हाल में 30 जनवरी को आया था।

    इस दिन 22 अधिकारियों के बयान दर्ज किए गए थे। इससे पहले एक दिसंबर को आयोग ने पहली बार आकर हिंसा प्रभावित जामा मस्जिद क्षेत्र का जायजा लेकर अधिकारियों से बात की। दूसरी बार 21 जनवरी को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने के साथ पुलिसकर्मियों सहित 51 लोगों के लिखित बयान लिए थे। 

    एसआईटी की चार्जशीट लगाने की तैयारी

    सीओ कुलदीप कुमार के नेतृत्व में हिंसा की सभी 12 प्राथमिकी की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई है। पुलिस अब तक हिंसा के मास्टरमाइंड शाकिर साठा के गुर्गे मुल्ला अफरोज और वारिस सहित 75 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। 46 आरोपियों ने जमानत के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई है। 

    हालांकि, किसी को जमानत नहीं मिली है। एसआईटी ने अलग-अलग स्रोत से हिंसा से जुड़े साक्ष्य जुटा लिए हैं। संभावना है, इसी सप्ताह चार्जशीट दाखिल की जाएगी। एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई के मुताबिक, पुलिस तेजी से जांच कर रही है। आरोपियों को सजा दिलाने का पूरा प्रयास होगा।

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