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    संभल के 'नन्हे वैज्ञानिकों' का IIT बॉम्बे में डंका, टेकफेस्ट 2025 में चमके उत्तर प्रदेश के होनहार

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 08:41 PM (IST)

    संभल के परिषदीय स्कूलों के छात्रों ने IIT बॉम्बे के 'टेकफेस्ट 2025' में अपनी तकनीकी दक्षता का प्रदर्शन किया। कक्षा 4 से 9 तक के इन विद्यार्थियों ने रो ...और पढ़ें

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    संभल के नन्हे वैज्ञानिकों ने IIT बॉम्बे टेकफेस्ट 2025 में किया कमाल

    डिजिटल डेस्क, संभल। उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में आया क्रांतिकारी बदलाव अब देश के प्रतिष्ठित मंचों पर गूंज रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 'क्वालिटी एजुकेशन' और STEM (विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग, गणित) आधारित विजन ने ग्रामीण प्रतिभाओं के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोल दिए हैं।

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    इसका ताजा उदाहरण संभल के उन विद्यार्थियों ने पेश किया है, जिन्होंने IIT बॉम्बे के 'टेकफेस्ट 2025' में अपनी तकनीकी दक्षता से सबको हैरान कर दिया। जिन मंचों पर कभी केवल बड़े कॉन्वेंट स्कूलों या इंजीनियरिंग कॉलेजों का दबदबा था, वहां अब यूपी के परिषदीय स्कूलों के बच्चे रोबोटिक्स और कोडिंग में अपना लोहा मनवा रहे हैं।

    सेवा न्याय उत्थान फाउंडेशन के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित संभल के इन नन्हे वैज्ञानिकों ने एशिया के सबसे बड़े तकनीकी महोत्सव में हिस्सा लिया। कक्षा 4 से 9 तक के इन विद्यार्थियों ने 'कोज्मोक्लेंच' और 'मेसमराइज' जैसी जटिल रोबोटिक्स प्रतियोगिताओं में देशभर की 250 से अधिक बीटेक (B.Tech) टीमों को कड़ी टक्कर दी। सीमित संसाधनों के बावजूद, इन बच्चों के नवाचार और आत्मविश्वास को देखते हुए IIT बॉम्बे ने उन्हें 'तकनीकी उत्कृष्टता प्रमाण पत्र' से सम्मानित किया है।

    इस सफलता की नींव में उत्तर प्रदेश सरकार की समावेशी शिक्षा नीति और प्रशासनिक सक्रियता है। जिलाधिकारी डॉ. राजेन्द्र पैंसिया के संरक्षण में संभल के 11 मेधावी छात्रों का दल मुंबई पहुँचा, जिसमें बेटियां, दिव्यांग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चे भी शामिल थे। बेसिक शिक्षा अधिकारी अलका शर्मा के अनुसार, ये छात्र इससे पहले IIT दिल्ली और IIT कानपुर में भी अपनी प्रतिभा साबित कर चुके हैं। यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि यदि सही अवसर और प्रशासनिक संबल मिले, तो गांव-देहात के परिषदीय स्कूलों के बच्चे भी वैश्विक स्तर की तकनीकी स्पर्धाओं में नेतृत्व कर सकते हैं।