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    Sambhal Masjid Vivad: यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की स्टेटस रिपोर्ट, कहा- जामा मस्जिद भी सरकारी…

    Sambhal Masjid Vivad - उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में संभल जामा मस्जिद के बाहर स्थित कुएं के बारे में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुआं सार्वजनिक भूमि पर है और मस्जिद से इसका कोई संबंध नहीं है। सरकार ने यह भी बताया है कि विवादित धार्मिक स्थल खुद भी सरकारी जमीन पर स्थित है।

    By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Mon, 24 Feb 2025 11:19 PM (IST)
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    संभल जामा मस्जिद के नजदीक सार्वजनिक भूमि पर है कुआं: यूपी सरकार।

    माला दीक्षित, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सरकार ने संभल जामा मस्जिद के बाहर स्थिति कुएं के बारे में सुप्रीम कोर्ट में स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर दी है। रिपोर्ट में प्रदेश सरकार ने कहा है कि जिस कुएं के बारे में मस्जिद कमेटी ने अर्जी दाखिल की है वह सार्वजनिक भूमि पर है। उसे स्थानीय स्तर पर धरनी वाराह कूप के रूप में जाना जाता है। वह कुआं विवादित धार्मिक स्थल के नजदीक स्थित है, न कि अंदर। 

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    इतना ही नहीं यूपी सरकार ने यह भी कहा है कि विवादित धार्मिक स्थल स्वयं भी सरकारी जमीन पर स्थित है। प्रदेश सरकार ने स्टेटस रिपोर्ट में कहा है कि संभल में कुल 19 ऐतिहासिक कुएं हैं, जिनका संरक्षण और जीर्णोद्धार चल रहा है, जिसमें से 14 के संरक्षण और जीर्णोद्धार का 123.65 लाख रुपये खर्च का प्रस्ताव दिया जा चुका है। मामले में सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा।

    मस्जिद में हरिहर मंदिर होने का दावा

    वकील हरिशंकर जैन ने संभल जामा मस्जिद में हरिहर मंदिर होने का दावा करते हुए जिला अदालत में वाद दाखिल किया है जिस पर सर्वे के आदेश हुए थे। इसके बाद संभल की शाही जामा मस्जिद प्रबंधन कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर लोकल कमिश्नर से मस्जिद का सर्वे कराने के आदेश को चुनौती दी है। 

    इसके अलावा, कमेटी ने अलग से अर्जी दाखिल कर मस्जिद के सामने स्थित कुएं की पूजा आदि पर रोक और यथास्थिति कायम रखने का आदेश मांगा है। कोर्ट ने अर्जी पर गत दस जनवरी को नोटिस जारी करने के साथ ही प्रदेश को उस कुएं के बारे में स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा था। 

    मस्जिद की चारदीवारी के बाहर स्थित है कुआं

    प्रदेश सरकार ने रिपोर्ट में कहा है कि कोर्ट के आदेश को बाद प्रशासन ने कुएं की स्थिति जांचने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। कमेटी ने रिकॉर्ड जांचने पर पाया कि याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट के समक्ष इस बात का खुलासा नहीं किया है कि वास्तव में विवादित धार्मिक स्थल की चारदीवारी के अंदर एक कुआं है, जिसे स्थानीय रूप से यज्ञ कूप जाना जाता है और उस यज्ञ कूप में कोई हस्तक्षेप नहीं है। 

    मौके का मुआयना करने पर पाया गया कि जिस कुएं के बारे में अर्जी है, वह मस्जिद की चारदीवारी के बाहर स्थित है। यह भी पता चला कि इस कुएं का प्रयोग बहुत पुराने समय से हो रहा है हालांकि अब इसमें पानी नहीं है।

    1978 में सांप्रदायिक दंगे के बाद कुएं के एक भाग पर पुलिस चौकी बना दी गई थी जबकि कुएं के दूसरे भाग का प्रयोग 1978 के बाद भी होता रहा। 2012 में कुआं ढक दिया गया और अब उसमें पानी नहीं है। 

    रिपोर्ट में कहा है कि यह कुआं सार्वजनिक भूमि पर है। इसका मस्जिद से कोई संबंध नहीं है। यहां तक कि विवादित धार्मिक स्थल खुद भी सरकारी जमीन पर स्थित है। कुआं सार्वजनिक कुआं है और मस्जिद के अंदर स्थित नहीं है। यहां तक कि मस्जिद के अंदर से कुएं की पहुंच भी नहीं है।

    सरकार ने कहा है कि अर्जीकर्ताओं की अर्जी गलत है। वह एक सार्वजनिक संपत्ति पर निजी अधिकार सृजित करने की कोशिश कर रहे हैं। संभल प्रशासन सांस्कृति रूप से महत्वपूर्ण संभल जिले के संरक्षण में लगा है, जिसमें 19 ऐतिहासिक कुओं का संरक्षण शामिल है। 

    14 कुओं के जीर्णोद्धार और संरक्षण का प्रस्ताव दिया जा चुका है। संरक्षण का काम शुरू हो चुका है। ऐतिहासिक कुओं का संरक्षण सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों के मुताबिक है जिसमें पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और स्वस्थ पर्यावरण के लिए पानी के स्त्रोतों का संरक्षण जरूरी बताया गया है। 

    कहा है कि भूजल के संबंध में संभल संकटग्रस्त क्षेत्र है इसलिए यहां कुओं और भूजल रिचार्ज की तत्काल जरूरत है। 

    प्रदेश सरकार ने कहा है कि वह क्षेत्र में शांति और सौहार्द बनाए रखने को प्रतिबद्ध है, लेकिन अगर एक बड़े समुदाय को इस कुएं के सार्वजनिक उपयोग से रोक दिया जाएगा जैसी की अर्जी में मांग की गई है तो उससे शायद क्षेत्र में शांति और सौहार्द बनाए रखने का लक्ष्य पाने में मदद नहीं मिलेगी। स्टेटस रिपोर्ट को रिकार्ड पर लेते हुए अर्जी खारिज करने की मांग भी की गई है।

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