Sambhal Jama Masjid: जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर मामले की सुनवाई टली, अब तीन जुलाई को होगी
Sambhal Jama Masjid | संभल जामा मस्जिद में हरिहर मंदिर होने के दावे के बाद कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया था। मस्जिद कमेटी की आपत्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने सुनवाई पर रोक लगा दी। कमेटी द्वारा जवाब दाखिल न करने पर सुनवाई की तारीख 3 जुलाई तय की गई है। पहले किए गए सर्वे के दौरान हिंसा भी हुई थी जिसमें कई लोग घायल हुए थे।

जागरण संवाददाता, संभल। Sambhal Jama Masjid | संभल जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने और हिंदू पक्ष को पूजा करने का अधिकार देने का दावा पेश किया गया है। इसके बाद सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट ने मस्जिद का सर्वे कराने का आदेश दिया था। मस्जिद कमेटी ने इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में आपत्ति दाखिल की, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट में मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी।
इसके बाद मस्जिद कमेटी को अपना पक्ष रखने के लिए पहले आठ जनवरी और इसके बाद पांच मार्च की तारीख लगी थी। कमेटी की ओर से अदालत में अपना पक्ष पेश नहीं किया गया है। आज यानी कि 28 अप्रैल को इस पर सुनवाई होनी थी, लेकिन मस्जिद कमेटी की ओर से पक्ष पेश नहीं किए जाने की वजह से अब तारीख तीन जुलाई की लगा दी गई है।
19 नवंबर को हरिहर मंदिर होने का दावा पेश किया गया
जामा मस्जिद में हरिहर मंदिर होने का दावा 19 नवंबर 2024 को पेश किए जाने के बाद उसी दिन सर्वे किया गया, लेकिन रात होने और भीड़ का दबाव बढ़ने के कारण एडवोकेट कमिश्नर ने दूसरे चरण में सर्वे कार्य पूरा करने का निर्णय लिया।
दूसरे सर्वे के दिन भड़क गई थी हिंसा
दूसरा सर्वे 24 नवंबर 2024 को एडवोकेट कमिश्नर ने कराया तो भीड़ जुटने लगी, पुलिस के रोकने पर भी लोग आगे बढ़ते रहे। चंद पलों में भीड़ की ओर से पथराव होने लगा, वाहन फूंके जाने लगे और इसके साथ ही फायरिंग भी शुरू हो गई।
यह सब जामा मस्जिद के इर्दगिर्द ही हुआ। इस हिंसा में चार युवक मारे गए, जबकि पथराव व गोली लगने से एक डिप्टी कलक्टर, एसपी, सीओ व अन्य करीब दो दर्जन से अधिक लोग घायल हुए। डेढ़ घंटे तक हालात बेकाबू रहे। इस दौरान कार एवं बाइकों समेत आधा दर्जन से अधिक वाहन फूंक दिए गए। दुकान व मकानों पर लगे दर्जनों सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए गए।
उपद्रव के दौरान ड्रोन कैमरों से वीडियोग्राफी हुई
उपद्रव के दौरान ड्रोन कैमरों से वीडियोग्राफी कराई गई थी। हिंसा के दूसरे दिन 28 लोगों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेजा दिया गया। तीन दिन बाद ही पथराव करने वालों में शामिल 250 उपद्रवियों के पोस्टर भी जारी कर दिए गए। पुलिस की ओर से 37 लोगों को नामजद करते हुए 3750 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई।
इसमें अब तक 80 लोगों को जेल भेजा जा चुका है। सर्वे को लेकर जामा मस्जिद कमेटी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में आपत्ति दाखिल की गई, जिस पर शीर्ष अदालत ने सिविल कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगाते हुए कमेटी को हाईकोर्ट जाने का आदेश दिया था।
दो जनवरी को मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट एडवोकेट कमिश्नर की ओर से सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में सीलबंद लिफाफे में पेश की गई। लोअर कोर्ट में पहले आठ जनवरी की तारीख लगी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की ओर से मामले में सुनवाई पर रोक लगी होने के कारण सुनवाई की तारीख पांच मार्च लगा दी गई थी।
इस क्रम में कमेटी की ओर से रिटेन स्टेटमेंट यानी लिखित बयान यानी मुस्लिम कमेटी का पक्ष पेश किया जाना था, लेकिन सुनवाई पर रोक होने के कारण 28 अप्रैल को अगली सुनवाई की तारीख लगा दी गई थी। कमेटी की ओर से अधिवक्ता शकील वारसी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट से स्टे होने के कारण इसमें अगली तारीख दे दी गई थी। अब तीन जुलाई को इस मामले में सुनवाई होनी है।
हिंसा के आरोपितों के 157 जमानत प्रार्थना पत्र हो चुके निरस्त
हिंसा के मामले में अब तक 85 आरोपितों को जेल भेजा जा चुका है। इनमें 83 आरोपितों की ओर से जमानत के लिए अब तक कोर्ट में 157 प्रार्थना पत्र दाखिल किए गए। सरकार की ओर से इनके खिलाफ पैरवी कर रहे सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता हरिओम प्रकाश उर्फ हरीश सैनी की दलीलों पर ये सभी जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिए गए।
इनमें हिंसा भड़काने के आरोपित जामा मस्जिद इंतेजामिया कमेटी के सदर एडवोकेट जफर अली भी शामिल हैं। हालांकि, एक महिला फरहाना के हिंसा में शामिल होने की दोबारा जांच कराने पर पुलिस ने उसे क्लीन चिट दी थी। कोर्ट ने उसे रिहा करने के आदेश दिए थे। यह महिला 87 दिन बाद जेल से रिहा हो हुई।
49 दिन बाद अदालत में दाखिल की गई थी सर्वे रिपोर्ट
मस्जिद के मंदिर होने के दावे को लेकर दो चरणों में किए गए सर्वे की रिपोर्ट पहले 29 नवंबर को जनपद न्यायालय स्थित सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में और बाद में नौ दिसंबर को पेश की जानी थी, लेकिन दोनों बार एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने अदालत में प्रार्थना पत्र देकर समय मांग लिया था। दूसरी बार भी स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण 15 दिन का समय मांगा गया था।
इस पर मस्जिद कमेटी की ओर से अधिवक्ता शकील वारसी ने आपत्ति दाखिल कर दी। दोनों ओर से पेश किए गए प्रार्थना पत्राें को काेर्ट ने जमा कर लिया था। सर्वे के 49 दिन बाद सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत दो जनवरी को सर्वे रिपोर्ट पेश की गई थी।
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