फर्जी मुठभेड़ और झूठी विवेचना में तत्कालीन इंस्पेक्टर सहित 12 पुलिसकर्मियों पर मुकदमे के आदेश,
उत्तर प्रदेश के सम्भल में जेल में निरुद्ध व्यक्ति की फर्जी मुठभेड़ दिखाकर लूट के मामले में जेल भेजने में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विभांशु सुधीर ने बहज ...और पढ़ें
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जागरण संवाददाता, चंदौसी। जेल में निरुद्ध व्यक्ति की फर्जी मुठभेड़ दिखाकर लूट के मामले में जेल भेजने में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विभांशु सुधीर ने बहजोई थाने के तत्कालीन एसएचओ समेत 12 पुलिसकर्मियों के खिलाफ बहजोई थाने में मुकदमा दर्ज कर विधि अनुसार विवेचना करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि प्रथम दृष्टया मामले में पुलिस कर्मियों द्वारा पद का दुरुपयोग, षड्यंत्र और अविधिक विवेचना के संकेत मिलते हैं।
विविध वाद संख्या 648/2025 (ओमवीर बनाम दुर्वेश एवं अन्य) की सुनवाई में न्यायालय ने पाया कि 25 अप्रैल 2022 की कथित लूट की तिथि पर प्रार्थी ओमवीर जिला कारागार बदायूं में निरुद्ध था, इसके बावजूद उसे लूट की घटना में शामिल दिखाकर चालान किया गया।
आरोप है कि विवेचना के दौरान षड्यंत्र रचते हुए 7 जुलाई 2022 को फर्जी मुठभेड़ दर्शायी गई और 19 मोटरसाइकिलों की झूठी बरामदगी दिखाकर उसे व अन्य को आरोपित बनाया गया। उच्चाधिकारियों से की गई शिकायतों पर कार्रवाई न होने के बाद प्रार्थी ने न्यायालय की शरण ली।
अदालत ने शपथ पत्र, रिमांड व जमानत आदेश, एफआइआर की नकल और अन्य अभिलेखों का अवलोकन करते हुए स्पष्ट किया कि पद का दुरुपयोग कर किए गए आपराधिक कृत्यों को वैधानिक संरक्षण नहीं दिया जा सकता। न्यायालय ने मामले में तत्कालीन सीओ बहजोई गोपाल सिंह के विरुद्ध प्रथम दृष्टया अपराध न पाए जाने की बात कही।
जबकि अन्य पुलिसकर्मियों के विरुद्ध षड्यंत्र, अवैध विवेचना, दस्तावेजों की कूटरचना और पद के दुरुपयोग जैसे संज्ञेय अपराध प्रथम दृष्टया बनते पाए। इन तथ्यों के आधार पर न्यायालय ने थाना बहजोई को तत्कालीन एचएसओ पंकज लवानिया, तत्कालीन उपनिरीक्षक प्रबोध कुमार, तत्कालीन निरीक्षक अपराध राहुल चौहान, तत्कालीन वरिष्ठ उपनिरीक्षक नरेश कुमार, तत्कालीन उपनिरीक्षक नीरज कुमार मात्तोदकर, तत्कालीन उपनिरीक्षक जमील अहमद, आरक्षी वरुण, आरक्षी मालती चौहान, आरक्षी आयुष, आरक्षी राजपाल, आरक्षी दीपक कुमार तथा तत्कालीन मुख्य आरक्षी रूपचंद्र। न्यायालय ने थानाध्यक्ष बहजोई को आदेशित किया है कि पंजीकरण के बाद नियमानुसार विवेचना सुनिश्चित की जाए और तीन दिनों के भीतर इसकी सूचना न्यायालय में प्रस्तुत की जाए।

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