विवादों से इतर 'संभल' का है गौरवशाली इतिहास, पृथ्वीराज चौहान से कनेक्शन; 2012 में रखा गया नाम
संभल में हिंसा के बाद अब धीरे-धीरे जनजीवन सामान्य हो रहा है। हालांकि लोग अभी भी डर और दहशत के माहौल में हैं। संभल का विवादों से नाता सालों से रहा है लेकिन विवादों से इतर भी संभल का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। जिले को पृथ्वीराज चौहान की राजधानी भी बताया जाता है। 13 साल पहले संभव एक जिले के रूप में अस्तित्व में आया था।

सौरव प्रजापति, संभल। यूपी के संभल में हिंसा के बाद आज यानी 27 नवंबर को चौथा दिन है। अब धीरे-धीरे जनजीवन सामान्य हो रहा है। हालांकि लोग अभी भी डर और दहशत के माहौल में हैं। प्रशासन और पुलिस के प्रयासों से शांति बहाल की जा रही है, लेकिन लोगों के दिलों में अभी भी भय और चिंता है।
संभल का विवादों से नाता सालों से रहा है, लेकिन विवादों से इतर भी संभल का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। जिले का कनेक्शन पृथ्वीराज चौहान से भी है। संभल एक जिले के रूप में कब अस्तित्व में आया, संभल नाम कब पड़ा...आइये जानते हैं।
13 साल पहले एक जिले के रूप में अस्तित्व में आया
संभल एक जिले के रूप में 28 सितंबर, 2011 को अस्तित्व में आया। मुरादाबाद की दो तहसील चंदौसी, संभल और जनपद बदायूं की तहसील गुन्नौर को मिलाकर एक जिला बनाया गया, जिसका नाम दिया गया भीमनगर। 23 जुलाई, 2012 को नाम बदलकर 'संभल' हो गया। संभल को गंगा का आशीर्वाद है। कई नदियां भी शहर के आंगन में कलकल करती बहती हैं।
2435.45 वर्ग किलोमीटर में फैले क्षेत्रफल में कई बार विवाद हुए, कई बाशिंदे आमने-सामने आए, लेकिन कुछ समय बाद सब साथ आ गए। जिले में 556 ग्राम पंचायत, आठ क्षेत्र पंचायत, तीन नगर पालिका परिषद और पांच नगर पंचायत हैं। 15 थाने सालों से जिले की हिफाजत में लगे हैं। जिले के आंगन में कई शासकों और सम्राटों का घर भी रहा है। जिसका जिक्र होने पर समय-समय पर हर शहरवासी गौरान्वित होता रहता है।
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पृथ्वीराज की राजधानी के नाम से भी जाना जाता है
संभल की धरती राजा पृथ्वीराज चौहान की राजधानी भी कही जाती है। पृथ्वीराज चौहान और कन्नौज नरेश जयचंद के किस्से से जुड़ा इसका किस्सा है। हालांकि संभल में जो हालात आज के हैं, आज के 48 साल पहले भी ऐसा ही दंश जिले ने झेला था।
48 साल पहले भी ऐसा ही बवाल जिले में हुआ था
48 साल पहले भी इसी मस्जिद में शरारती तत्वों के घुसने पर बड़ा बवाल हुआ था। पथराव, आगजनी और तोड़फोड़ जैसी दास्तां उस दौरान भी हुई थी। बात 1976 की है। बताते हैं कि कुछ शरारती तत्वों ने जामा मस्जिद में घुसकर माहौल खराब किया गया था। जिसको लेकर संभल में तनाव की स्थिति बन गई थी और शहर सांप्रदायिक दंगे की आग में झुलस गया था।
इस घटना के बाद काफी समय तक हिंदू-मुसलमानों के बीच नफरत का माहौल बना था, लेकिन यहां के भाईचारे का मिजाज यह है कि दोनों संप्रदायों ने अपने मतभेद भुलाकर फिर से भाईचारा कायम किया है।
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