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    Railway Employees House: इन मकानों में रहते हैं रेलवे के सरकारी कर्मचारी, तस्वीरें देखकर रह जाएंगे दंग!

    Updated: Fri, 10 Jan 2025 04:02 PM (IST)

    चंदौसी रेलवे परिसर में कर्मचारी पुराने और जर्जर मकानों में रहने को मजबूर हैं। इन मकानों की दीवारों में दरारें हैं छत से प्लास्टर झड़ रहा है और बरसात म ...और पढ़ें

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    चंदौसी रेलवे परिसर स्थित पार्सल दफ्तर के पीछे आवासीय क्षेत्र में फैली गंदगी। जागरण

    जागरण संवाददाता, चंदौसी। रेलवे के कर्मचारियों को आवासीय सुविधा के नाम पर अब भी पुराने, जर्जर मकानों में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। कई सालों से नए भवनों का निर्माण नहीं हो सका है, जिससे कर्मचारियों को खस्ताहाल मकानों में रहना पड़ रहा है।

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    स्थिति इतनी गंभीर है कि ये मकान किसी भी समय बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। शिकायत के बाद खानापूर्ति करने को लेकर कर्मचारियों में रोष है। रेलवे स्टेशन स्थित पार्सल घर के पीछे लगभग 10 आवास ऐसे है जिनमें कर्मचारी अपने परिवार के लोगों के साथ रह रहे हैं।

    दीवारें हो चुकीं कमजोर

    इन सभी आवासों की दीवारें कमजोर हो चुकी हैं, उनमें दरारें हैं, छतों से प्लास्टर झड़ रहा है। बरसात में पानी टपकता है। आवास के आस-पास गंदगी का अंबार है। रेलवे आवासों में रहने वाले रेलकर्मियों की मानें तो सालों तक मरम्मत के नाम पर कुछ नहीं होता।

    बरसात में घर के अंदर पानी भर जाता है शिकायत करने पर खानापूर्ती कर दी जाती है। प्रेमपाल, मुरारीलाल आदि कर्मचारियों ने बताया कि विभाग ने काफी समय से उनको नए मकान देने का आश्वासन दिया है लेकिन अभी तक कहीं कोई नए मकान का निर्माण नहीं कराया गया। इसलिए मजबूरी में ऐसे ही मकान में रहने को मजबूर है।

    चंदौसी रेलवे परिसर स्थित पार्सल दफ्तर के पीछे आवासीय क्षेत्र में फैली गंदगी। जागरण

    क्या बोले कार्यवाहक स्टेशन अधीक्षक? 

    वहीं कार्यवाहक स्टेशन अधीक्षक राजू ने बताया कि समय- समय पर मकानों की मरम्मत कराई जा रही है। अब यह मकान अमृत भारत योजना में चल रहे सुंदरीकरण में आ रहे हैं, इसलिए कुछ कर्मचारियों को मकान खाली करने के लिए नोटिस दिया है।

    चंदौसी रेलवे परिसर स्थित पार्सल दफ्तर के पीछे जर्जर मकान। जागरण

    रेलवे प्रशासन ने इस समस्या पर जल्द ध्यान नहीं दिया, तो कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है। रेलवे कर्मचारियों और उनके परिवार की सुरक्षा के लिए यह जरूरी है कि जल्द ठोस कदम उठाए जाएं। -योगेंद्र कुमार

    छतों से प्लास्तर झड़ रहा है, दरार पड़ गई हैं। बरसात में पानी टपकता है। जिससे मकान में रहना मुश्किल हो जाता है। रेलवे प्रशासन से कई बार शिकायत की, लेकिन छत को सही नहीं कराया गया। - कुसुम

    पुराने आवास जर्जर हो चुके हैं। हर रात डर में कटती है। दीवारों में बड़ी दरारें हैं। छतों से पानी टपकता है, बरसात के दिनों में हालत बदतर हो जाती है। मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। -ममता

    रेलवे विभाग ने नए भवन बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन अब तक निर्माण शुरु नहीं हुआ। कई बार इस मुद्दे को अधिकारियों के सामने उठाया, लेकिन हर बार आश्वासन ही मिला है। -प्रदीप कुमार

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