'गैर मुस्लिम की कोई भी रस्म इस कुएं पर कभी नहीं हुई', संभल जामा मस्जिद कमेटी ने DM को भेजा नोटिस
संभल की जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने डीएम को नोटिस देकर प्राचीन कुएं का स्वरूप बदलने पर आपत्ति जताई है। कमेटी ने बताया कि यह कुआं मुस्लिम समाज की इबादत से जुड़ा है और इस पर गैर-मुस्लिमों की कोई रस्म नहीं हुई । मामले पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए बदलाव को अवमानना करार दिया गया ।

जागरण संवाददाता, संभल। जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी की ओर से डीएम को दिए गए नोटिस में कहा गया है कि जामा मस्जिद की पूर्वी दीवार के नीचे एक प्राचीन कुआं है, जो मस्जिद की मिल्कियत है। प्राचीन काल से ही मुस्लिम समाज के लोग वजु करके इवादत करते हैं। इसमें पानी के लिए एक मोटर लगी है। किसी भी गैर मुस्लिम की कोई भी रस्म कभी भी इस कुआं पर नहीं हुई।
मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली की ओर से अधिवक्ता शकील अहमद वारसी द्वारा दिए गए नोटिस में कहा गया है कि पता लगा है कि प्रदेश सरकार अधिकारी व कर्मचारियों द्वारा उक्त कुआं का स्वरूप बदलने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि कुएं को बिना मस्जिद की इन्तजामियों कमेटी के कोई हक उसके स्वरूप को बदलने का नहीं है। इसके अलावा मस्जिद के बराबर चबूतरा व कब्रिस्तान की भी जांच करायी जा रही है, जिससे मुस्लिम समाज के लोगों को काफी असुविधा का सामना करना पडेगा तथा समाज में अकारण असंतोष उत्पन्न होगा।
न्यायालय में वाद विचाराधीन
उक्त मस्जिद से सम्बन्धित न्यायालय में वाद विचाराधीन है और उच्चतम न्यायालय द्वारा उपासाना अधिनियम 1991 के अन्तर्गत विचाराधीन रिटों द्वारा इस तरह का स्थगन आदेश पारित किया है कि किसी भी पूजा स्थल पर अग्रिम आदेश तक किसी प्रकार का सर्वे, नवनिर्माण मरम्मत आदि का कोई कार्य नही किया जायेगा। यदि इस तरह का कोई कार्य किया जाता है तब उच्चतम न्यायालय के आदेश अवहेलना होगी तथा समाज में अशांति पैदा होगी।
इसके साथ ही कहा गया है कि शाही जामा मस्जिद के कुएं एवं कब्रिस्तान में किसी भी प्रकार से कोई कार्य अपने अधिकारियों एवं कर्मचारियों तथा नगर पालिका के अधिकारियों एवं कर्मचारियों से नहीं कराएं अन्यथा आपके विरूद्ध आवश्यक कार्यवाही की जायेगी। जिसके समस्त हर्जे खर्च का उत्तरदायित्व व उत्तर प्रदेश सरकार एवं नगर पालिका परिषद होगी।
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