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    गीतकार संतोष आनंद बोले, दाऊद के यहां गीत गाने वालों को निमंत्रण, मुझे श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में नहीं बुलाया

    Updated: Sun, 17 Mar 2024 10:21 PM (IST)

    UP News फिर कहा कि मोहम्मद रफी का अवार्ड मुझे दिया गया। जबकि छोटा वाला सोनू निगम को दिया गया। सोनू निगम को अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भी बुलाया गया था। जबकि यह भाजपा का कार्यक्रम था। पीयूष गोयल ने यह अवार्ड हमें दिया था। जबकि श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की कोई खबर नहीं दी गई। यह क्या मतलब है।

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    गीतकार संतोष आनंद बोले, दाऊद के यहां गीत गाने वालों को निमंत्रण

    जागरण संवाददाता, संभल : एक प्यार का नगमा है...., चना जोर गरम...., मारा ठुमका बदल गई चाल.... जैसे गीतों को लिखने गीतकार संतोष आनंद रविवार को संभल के ऐचोड़ा कंबोह स्थित कल्कि धाम में मौजूद रहे। मंच से बड़े घर की बेटी फिल्म में अपने गीत - करना फकीरी फिर क्या दिल की, सदा मगन मन रहना जी.....कोई दिन हाथी न कोई दिन घोड़ा..... गाते हुए अचानक से संतोष आनंद का दर्द भी छलक उठा।

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    श्रीराम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा में न बुलाए का अफसोस किए। गायक सोनू निगम का नाम लेते हुए कहा कि उन्हें आमंत्रण था जो दाऊद इब्राहिम के यहां जाकर गीत गाते थे जबकि मुझे आमंत्रित तक नहीं किया गया। अफसोस है इसका। यह भाजपा से जुडा कार्यक्रम था और मुझे उम्मीद भी थी। हालांकि कुछ मिनट तक इस चर्चा के बाद उन्होंने विषय परिवर्तित करते हुए गीत पूरा किया।

    फिर कहा कि मोहम्मद रफी का अवार्ड मुझे दिया गया। जबकि छोटा वाला सोनू निगम को दिया गया। सोनू निगम को अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भी बुलाया गया था। जबकि यह भाजपा का कार्यक्रम था। पीयूष गोयल ने यह अवार्ड हमें दिया था। जबकि श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की कोई खबर नहीं दी गई। यह क्या मतलब है। उस आदमी को जिसने दाउद के गुणगान में वहां गीत गाया दुबई में, तिलक लगाकर। उसे बुला लिया गया।

    खैर मुझे तकलीफ नहीं हुई, सारे मेरे अपने हैं। मैं नफरत नहीं करता हूं, लेकिन जो जायज बात है वह कहने से नहीं चूकता हूं। यह भी कहा कि बहुत सारे कवि मां पर कविता लिखते हैं और यह सब मां की इज्जत नहीं करते हैं। मैने खुद देखा है। उन्होंने नाम न लेते हुए एक कवि को लेकर कि एक कवि अपनी रचना सुना रहे थे...बोले मेरे हिस्से में मेरी मां है.......। मैंने भी उनसे कहा यह क्या बात हुई। आपकी मां तो आपके छोटे भाई के साथ रहती हैं। आप कह रहे हो कि मेरे हिस्से में मां आयी.......कम से कम कविता में तो सच बोलो।

    इसके बाद से वह मुझसे थोड़ा अलग से हो गए थे। अब वह दुनिया में नहीं हैं। मेरी आदत है कि जो कहना है मुंह पर कहूंगा और बाद में भूल जाता हूं, लेकिन कहूंगा जरूर। इसके बाद उन्होंने अपना गीत सुनाते हुए कहा कि मां से अच्छा कुछ न होता मां तू ही परमेश्वर है। हर दम मेरे मन मंदिर में तेरी जोत उजागर है। सब रिश्ते नाते झूठे हैं मां का प्यार ही सच्चा है। कोई दिन भैया न कोई दिन बहना सब दिन मां की ममता है।