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    Sambhal News: चार महीने बाद जेल से रिहा हुए जफर अली, बोले- अल्लाह का करम और लोगों की दुआएं काम आईं

    Updated: Sat, 02 Aug 2025 03:16 PM (IST)

    हिंसा के मामले में जेल में बन्द जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के सदर जफर अली चार माह बाद जेल से रिहा होकर लौटे तो उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। जफर अली की रिहाई पर उन्होंने कहा कि अल्लाह का करम और लोगों की दुआएं रंग लाईं। जफर अली को 24 नवंबर 2024 को संभल में हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी बनाया था।

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    Sambhal News: जेल से रिहा होने के बाद जफर अली। जागरण

    संवाद सहयोगी, जागरण, संभल। हिंसा मामले में जेल में बंद जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के सदर जफर अली को शुक्रवार की सुबह रिहाई मिल गई। चार माह बाद वह जेल से रिहा होकर लौटे तो उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। फूल-मालाओं, आतिशबाजी और जुलूस के साथ उनका स्वागत किया गया। वह बोले अल्लाह का करम और लोगों की दुआएं रंग लाईं।

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    जफर अली की रिहाई शुक्रवार सुबह मुरादाबाद जेल से हो गई। जेल अधीक्षक को देर रात अदालत से रिहाई का परवाना मिला। सुबह ही उनके समर्थक और स्वजन उन्हें लेने मुरादाबाद जेल पहुंच गए। समर्थकों के साथ वह जब करीब 9: 30 बजे चंदौसी चौराहा पहुंचे तो लोगों ने फूलमालाएं पहनाकर और आतिशबाजी कर खुशी जताई। समर्थकों ने जुलूस की शक्ल में उनका स्वागत किया और नारेबाजी की।

    हिंसा मामले में मुख्य आरोपी बनाए गए थे जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के सदर

    बता दें कि 24 नवंबर 2024 को संभल में हुई हिंसा के मामले में जफर अली को पुलिस ने मुख्य आरोपी बनाया था। उनके खिलाफ मुकदमा अपराध संख्या 335/24 दर्ज किया गया था। भारतीय न्याय संहिता की कई गंभीर धाराएं उन पर लगाई गई थीं, जिनमें धारा 230, 231, 191(31), 190, 221, 132, 125, 324(5), 195, 233, 326F और संपत्ति अधिनियम की धारा 3/4 शामिल थीं। पुलिस ने उन्हें घटना का मुख्य सूत्रधार बताते हुए चार्जशीट में नामजद किया था।

    पुलिस ने जोड़ी थीं ये धाराएं

    बाद में पुलिस ने आरोप पत्र में और भी धाराएं जोड़ते हुए बीएनएस की धारा 353(2) और 61(2) को शामिल कर लिया। अन्य सभी धाराओं में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी थी, लेकिन 353(2) और 61(2) बीएनएस में जमानत नहीं मिल पाई थी। जमानत के लिए उनके अधिवक्ता आसिफ अख्तर की ओर से पहले सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया था, लेकिन वह खारिज हो गया। इसके बाद उन्होंने जिला जज की अदालत में अपील की।

    जफर अली को जमानत दे दी

    गुरुवार को यह मामला अपर जिला जज एमपी-एमएलए कोर्ट में सुना गया, जहां अधिवक्ता ने हाईकोर्ट की जमानत का हवाला देते हुए रिहाई की मांग की। अभियोजन पक्ष की ओर से भी पूरी मजबूती से दलील दी गई। दोनों पक्षों की बहस के बाद न्यायाधीश आरती फौजदार ने जफर अली को जमानत दे दी।

    अदालत से रिहाई आदेश जेल प्रशासन को देर रात मिला, जिसके बाद शुक्रवार की सुबह उनकी रिहाई की प्रक्रिया पूरी की गई। रिहाई के बाद जफर अली ने कहा कि अल्लाह का करम और लोगों की दुआएं रंग लाई हैं। मैं न्यायपालिका का आभारी हूं।

    अगर मेरे हाथ में पावर होती तो शायद जेल न जाता

    जेल से रिहा होने के बाद जफर अली का काफिला जुलूस की शक्ल में उनके घर के पहुंचा। तमाम लोगों ने फूलमाला पहनाकर उनका स्वागत किया। हालांकि पूरे इलाके में उनके स्वागत और रिहाई को लोगों में खुशी नजर आई। इसके बाद उन्होंने प्रेसवार्ता में राजनीति के आगाज का जवाब देते हुए कहा है कि मैं कुछ कह नहीं सकता, वह जनता तय करेगी। इसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। मेरी किसी से कोई मुलाकात नहीं है। मुझे आगे क्या करना है, यह सब बातें आवाम तय करेगी।

    131 दिन बाद जामा मस्जिद पहुंचकर नमाज अदा की

    जफर ने कहा, कि किसी को काबिज करने के लिए और किसी को बचाने के लिए पावर का होना बहुत जरूरी है। अगर मेरे हाथ में पावर होती तो मैं शायद जेल में न होता। आगे कहा कि जेल में घर वाले मुलाकात के लिए जाते थे। वहां कोई मुझे कोई परेशानी नहीं थी। वहीं जेल से 131 दिन बाद जफर अली ने भी जामा मस्जिद पहुंचकर जुमे की नमाज अदा की। इस दौरान जामा मस्जिद के बार पुलिस के साथ ही आरआरएफ के जवान तैनात रहे।

    हिंसा प्रकरण में अब तक 96 गिरफ्तार, 11 मामलों में चार्जशीट दाखिल

    जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के सदर जफर अली को एसआइटी ने 23 मार्च को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। अब तक इस प्रकरण में कुल 12 मुकदमे दर्ज हुए हैं, जिनमें नौ कोतवाली संभल में, दो नखासा थाने में और एक मुरादाबाद के पाकबड़ा थाने में दर्ज किया गया था।

    बाद में पाकबड़ा का मामला संभल कोतवाली में स्थानांतरित कर दिया गया, जिसकी विवेचना अभी भी जारी है। इन सभी मामलों में कुल 96 आरोपियों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं। एसआइटी 11 मामलों में पहले ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी है, जबकि एक प्राथमिकी की जांच प्रक्रियाधीन है।

    पुलिस ने डिजिटल और फिजिकल साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों की पहचान की थी। सीसीटीवी फुटेज और वीडियो क्लिप के माध्यम से कई लोगों की पहचान कर गिरफ्तारी की गई। वहीं 74 उपद्रवियों के पोस्टर जारी किए थे। उनका अभी तक कोई सुराग नहीं लग सका है। मुख्य आरोपित के रूप में सांसद जियाउर्रहमान बर्क का नाम सामने आया था, जिनसे एसआईटी पूछताछ कर चुकी है। वहीं विधायक के बेटे सुहैल इकबाल का नाम पुलिस ने विवेचना के बाद एफआइआर से हटा दिया गया था।

    जमानत पाने वालों में जफर अली से पहले मरियम, फैजान, शाने आलम, अरशद और रेहान जैसे आरोपित शामिल हैं। इनमें से कुछ का नाम प्राथमिकी में नहीं था, कुछ के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य नहीं मिले, जिसमें मरियम को पुलिस ने 87 दिन बाद रिहा कर दिया था।

    हिंसा के अलावा जफर अली पर दो और मुकदमे, दोनों में मिल चुकी जमानत

    जामा मस्जिद के सदर जफर अली सिर्फ हिंसा मामले में ही नहीं, बल्कि दो अन्य मामलों में भी आरोपित हैं। वर्ष 2018 में एएसआइ (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की अनुमति के बिना जामा मस्जिद की सीढ़ियों पर रेलिंग लगवाने का मामला सामने आया था। इस संबंध में जफर अली समेत 13 लोगों के खिलाफ कोतवाली संभल में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।

    पुलिस ने इस मामले में जांच पूरी कर चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी। वहीं, दूसरा मामला वर्ष 2020 का है, जो एक मारपीट की घटना से जुड़ा है। इन दोनों मामलों में जफर अली को न्यायालय से जमानत मिल चुकी है। दिलचस्प बात यह रही कि हिंसा प्रकरण में मुरादाबाद जेल में बंद होने के बावजूद, उनके अधिवक्ताओं ने जफर अली को तलब करने के लिए संभल सिविल न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था।

    इस प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए अदालत ने 15 अप्रैल को उन्हें न्यायालय में पेश करने के आदेश दिए थे। आदेश पर जफर अली को जेल से न्यायालय लाया गया था, जहां दोनों मामलों की भी सुनवाई के बाद उन्हें जमानत मिल गई थी।

    24 नवंबर को जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान भड़की थी हिंसा

    संभल जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर लेकर न्यायालय के आदेश पर मस्जिद में सर्वे हुआ था। एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव टीम के साथ 19 नवंबर की शाम चार बजे सर्वे के लिए मस्जिद पहुंचे थे। हालांकि, उस दिन सर्वे पूरा नहीं हुआ था।

    इसके बाद 24 नवंबर की सुबह सात बजे सर्वे टीम फिर जामा मस्जिद पहुंची था। इसी दौरान जामा मस्जिद के पीछे लोग जुटने लगे और हिंसा भड़क गई। उपद्रवियों ने पथराव के साथ आगजनी और फायरिंग भी की थी। इसमें गोली लगने से 4 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि 25 से अधिक पुलिस कर्मी घायल हुए थे।

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