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    जामा मस्जिद को लेकर 1878 के आदेश पर अलग-अलग दावे; मुस्लिम पक्ष-कोर्ट कर चुका है फैसला, हिंदू पक्ष- नहीं मिला आदेश

    Updated: Fri, 07 Mar 2025 01:25 AM (IST)

    जामा मस्जिद को लेकर 1878 के एक आदेश को लेकर अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया था उन्होंने दावा किया कि कोर्ट ने अपने आदेश में माना था कि सौ वर्ष से यह इमारत मस्जिद ही है। जबकि हिंदू पक्ष का कहना है कि उन्हें ऐसा कोई आदेश नहीं मिला है।

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    जामा मस्जिद को लेकर 1878 के आदेश पर अलग-अलग दावे (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, संभल। जामा मस्जिद को लेकर 1878 के एक आदेश को लेकर अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। मस्जिद के अधिवक्ता काजिम जमाल का कहना है कि 1878 में मुरादाबाद कोर्ट और हाई कोर्ट से मुसलमानों के पक्ष में फैसला हो चुका है। उस समय संभल मुरादाबाद जिले का हिस्सा था। कोर्ट के इस आदेश को उच्चतम न्यायालय में दाखिल कर दी है। हालांकि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के अधिवक्ता विष्णु शंकर शर्मा ने ऐसे किसी आदेश से इन्कार किया है।

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    उनका कहना है कि जानकारी मिली थी। लेकिन, पता कराने पर ऐसा कोई आदेश नहीं मिला है। न ही किसी मुकदमे में आदेश लगाया गया है।

    मस्जिद कमेटी के दावे के अनुसार 1878 के कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि हिंदू पक्ष (छेदा सिंह) इसे मंदिर और मुस्लिम पक्ष इसे मस्जिद बता रहा है। सौ वर्ष से यह इमारत मस्जिद ही है। कोर्ट ने पाया कि 12 साल पहले इसकी मरम्मत की गई। इस इमारत को मुस्लिम ही इस्तेमाल कर रहे हैं। लिहाजा इसे जामा मस्जिद ही माना जाए।

    हालांकि, कोर्ट में इमारत (जामा मस्जिद) के सरकारी भूमि पर बना बताया गया था। अधिवक्ता का कहना है कि तत्कालीन जिला जज रार्बट स्टुअर्ट ने खुद सर्वे किया था। कोर्ट ने पाया कि सौ वर्ष से यहां नमाज ही पढ़ी जा रही है। इस फैसले को लेकर दूसरा पक्ष हाई कोर्ट भी गया था। वहां से उनकी अपील खारिज कर दी गई।

    हिंसा के 16 आरोपितों की जमानत अर्जी खारिज

    जिला एवं सत्र न्यायाधीश निर्भय नारायण राय की कोर्ट ने गुरुवार को हिंसा में शामिल 16 और आरोपितों की जमानत अर्जी खारिज कर दी। पुलिस 80 आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है। एक महिला फरहाना को साक्ष्य नहीं मिलने पर रिहा कर दिया गया है। अन्य किसी को जमानत नहीं मिली है।

    बिजली चोरी मामले में सांसद को दाखिल करना होगा जवाब

    बिजली चोरी के मामले में फंसे सांसद जियार्रहमान बर्क को अब शुक्रवार तक जवाब दाखिल करना होगा। पहले 22 फरवरी को सांसद के अधिवक्ता की ओर से पत्र देकर अतिरिक्त समय की मांग की गई थी। बिजली विभाग ने राहत देते हुए जवाब दाखिल करने की अंतिम तिथि सात मार्च तय कर दी थी। अब सांसद को शुक्रवार को अपना पक्ष रखना होगा।

    दरअसल, 19 दिसंबर को दीपा सराय में बिजली चेकिंग के दौरान सांसद के आवास पर बिजली चोरी होती पाई गई थी। इस मामले में बिजली विभाग ने सांसद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी और 1.91 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इसके बाद सांसद की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया गया। इस पर बिजली विभाग की ओर से उन्हें नोटिस जारी कर दिया गया।

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