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    बीमा क्लेम फर्जीवाड़ा: अब तक 18 धरे गए, प्राइवेट बैंक भी जांच के घेरे में, तीन बैंकों में मिले संदिग्ध खाते

    Updated: Wed, 05 Mar 2025 08:03 PM (IST)

    बीमा क्लेम घोटाले में अब प्राइवेट बैंक भी जांच के दायरे में आ गए हैं। संभल पुलिस ने खुलासा किया है कि गिरोह फर्जी आईडी के जरिए बैंक खाते खोलकर बीमा क् ...और पढ़ें

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    फर्जी आईडी पर खाते खोलकर बीमा राशि हड़पी जा रही थी, पुलिस ने 18 को भेजा जेल। (तस्वीर जागरण)

    शिवकुमार कुशवाहा, बहजोई। बीमा क्लेम घोटाले में अब प्राइवेट बैंक भी संदेह के घेरे में आ गए हैं। संभल पुलिस द्वारा उजागर किए गए इस घोटाले में पता चला है कि गिरोह फर्जी आईडी के जरिए बैंक खाते खोलकर बीमा क्लेम की रकम हड़पने में जुटाता था।

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    खाताधारकों को इसकी भनक तक नहीं लगती थी, क्योंकि बैंक खातों में दिए गए मोबाइल नंबर भी फर्जी थे। अब तक 18 आरोपियों को जेल भेजा जा चुका है। गिरोह का सरगना वाराणसी निवासी ओंकारेश्वर मिश्रा है, जिसे पुलिस ने 17 जनवरी को 11.45 लाख रुपये के साथ गिरफ्तार किया था।

    इसके बाद से गिरोह से जुड़े अन्य राज्यों के कई सदस्य भी गिरफ्तार किए गए हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा, असम, पश्चिम बंगाल समेत 12 राज्यों में यह गिरोह सक्रिय था। दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के नाम पर भी फर्जी बीमा क्लेम किए जाने की पुष्टि हुई है।

    बैंककर्मियों की मिलीभगत से खोले गए फर्जी खाते

    बीमा क्लेम घोटाले में अब तक सबसे बड़ा खुलासा यह हुआ है कि प्राइवेट बैंकों में बैंककर्मियों की मिलीभगत से फर्जी खाते खोले गए। अनूपशहर (बुलंदशहर) स्थित यस बैंक शाखा के दो उपप्रबंधकों को इसी मामले में पहले ही जेल भेजा जा चुका है।

    अब नोएडा के सूरजपुर स्थित यस बैंक शाखा भी शक के घेरे में आ गई है, जहां बिना खाताधारक की उपस्थिति और बिना केवाईसी पूरी किए खाता खोलकर उसमें बीमा क्लेम की रकम डाली गई। इसी तरह अमरोहा के एक्सिस बैंक में भी संदिग्ध खाता पाया गया है, जिसमें फर्जी आईडी का इस्तेमाल हुआ था।

    कैसे होता था फर्जीवाड़ा-

    • गिरोह सबसे पहले मृतकों या गंभीर रूप से बीमार लोगों की जानकारी जुटाता है।
    • फर्जी दस्तावेज तैयार कर बीमा पॉलिसी खरीदी जाती थी।
    • बीमा क्लेम का दावा कर, रकम निकालने के लिए फर्जी बैंक खाते खोले जाते है।
    • बीमा कंपनी से प्राप्त धनराशि फर्जी खातों में ट्रांसफर कर गिरोह उसे निकाल लेता है।
    • खाताधारकों को कोई सूचना न मिले, इसके लिए खातों में दर्ज मोबाइल नंबर भी फर्जी होते हैं।

    नोएडा की बैंक शाखा पर संदेह, पुलिस की जांच जारी

    नोएडा के सूरजपुर स्थित यस बैंक में भी बिना खाताधारक की उपस्थिति के खाता खोले जाने का मामला सामने आया है। इसमें बीमा क्लेम की रकम ट्रांसफर की गई और फिर गिरोह ने इसे निकाल लिया। आश्चर्यजनक बात यह है कि जिन खाताधारकों के नाम पर खाते खोले गए, वे बैंक तक नहीं गए थे और उनके पास पहले से कोई अन्य बैंक खाता था।

    बैंकिंग सुरक्षा पर खतरा, आरबीआई से हो जांच

    इस मामले ने बैंकिंग सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। खाताधारकों की बिना जानकारी के बैंक खाते खुल रहे हैं, ईकेवाईसी की प्रक्रिया में धांधली हो रही है, और बैंककर्मियों की भूमिका भी संदिग्ध है। यदि आरबीआई और बैंक प्रशासन ने इस पर सख्त कार्रवाई नहीं की, तो भविष्य में इसी तरह के और घोटाले हो सकते हैं।

    दक्षिणी संभल के एएसपी अनुकृति शर्मा ने बताया कि अंतरराज्यीय बीमा गिरोह पर पुलिस कार्रवाई कर रही है। कुछ मामलों में बैंककर्मियों की संलिप्तता सामने आ रही है। अनूपशहर की यस बैंक शाखा के दो कर्मचारी पहले ही जेल जा चुके हैं। अब नोएडा के सूरजपुर स्थित यस बैंक की शाखा के कर्मी भी जांच के दायरे में हैं। इस मामले में भी जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।- अनुकृति शर्मा, एएसपी, दक्षिणी संभल।

    केस स्टडी- 

    1- रुखसार का मामला - कैसे बैंककर्मियों की मदद से हुआ बीमा घोटाला

    बुलंदशहर जिले के पहासू थाना क्षेत्र के मोहल्ला चमारान कला अशोकनगर की रुखसार के पति अस्लम का बीमा क्लेम गिरोह ने ठग लिया। जब उनके पति की मृत्यु हुई, तो उनके नाम पर एक फर्जी खाता खोला गया और उसमें बीमा की रकम डालकर निकाल ली गई। बैंक में दिए गए मोबाइल नंबर भी गलत थे, जिससे रुखसार को कोई जानकारी नहीं मिली।

    जब उन्होंने बीमा कंपनी से संपर्क किया, तो उन्हें पता चला कि उनके पति का बीमा पहले ही क्लेम हो चुका है। इस मामले की जांच में सामने आया कि बुलंदशहर जिले के कस्बा अनूपशहर स्थित यस बैंक के दो उपप्रबंधकों ने फर्जी दस्तावेजों पर यह खाता खोला था।

    जब पुलिस ने जांच की, तो बैंकिंग प्रक्रियाओं में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का पता चला। बैंककर्मियों ने खाताधारक की उपस्थिति के बिना ही खाते खोल दिए और फर्जी मोबाइल नंबर जोड़ दिए, जिससे ठगी की योजना को अंजाम दिया गया। दोनों उप प्रबंधकों को पुलिस ने जेल भेज दिया।

    2- सर्वेश का मामला - बीमा राशि निकली, लेकिन खाताधारक बैंक गई ही नहीं

    संभल जिले के रजपुरा थाना क्षेत्र के गांव शाहपुर निवासी सर्वेश के पति मुकेश कुमार की मृत्यु किडनी की बीमारी से हुई थी, लेकिन बीमा दस्तावेजों में मौत का कारण हृदयघात बताया गया। उनके नाम पर एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस से 20 लाख रुपये का बीमा था। 2 जनवरी 2025 को गिरोह ने सर्वेश के नाम पर खोले गए फर्जी खाते से सेल्फ चेक के माध्यम से 9.90 लाख रुपये निकाल लिए।

    चौंकाने वाली बात यह है कि सर्वेश ने दावा किया कि उन्होंने ऐसा कोई खाता नहीं खुलवाया और न ही बैंक जाकर कोई चेक साइन किया। उनका एकमात्र बैंक खाता रजपुरा में था, जबकि नोएडा के सूरजपुर स्थित यस बैंक में उनके नाम से खाता खोल दिया गया था। सवाल उठता है कि क्या बैंकिंग प्रणाली इतनी लचर हो गई है कि बिना खाताधारक की उपस्थिति के और बिना केवाईसी के भी खाता खोला जा सकता है?

    बैंकिंग प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल, सख्त कार्रवाई जरूरी

    इन घटनाओं से स्पष्ट है कि बैंकिंग सिस्टम में गंभीर खामियां हैं और बैंककर्मियों की संलिप्तता के बिना इस तरह के घोटाले संभव नहीं हैं। पुलिस और आरबीआई को ऐसे बैंकों पर सख्त कार्रवाई करनी होगी, ताकि भविष्य में वित्तीय धोखाधड़ी पर रोक लगाई जा सके। यदि यह लापरवाही जारी रही, तो आम जनता के बीमा और बैंकिंग सुरक्षा पर बड़ा खतरा मंडराएगा।

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