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    संभल में हिंदू परिवार को 47 साल बाद मिला भूमि पर कब्जा, 1978 दंगे में हुई थी मकान मालिक की हत्या

    Updated: Wed, 15 Jan 2025 05:08 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश के संभल में 1978 के दंगे के एक पीड़ित परिवार को 47 साल बाद न्याय मिला है। बलराम माली की हत्या के बाद उनके परिजनों को अपना घर-जमीन छोड़नी पड़ी थी। अब उनके परिजनों को उनकी जमीन वापस मिल गई है जिस पर एक स्कूल संचालित किया जा रहा था। एसडीएम वंदना मिश्रा ने 15 हजार वर्गफीट में 10 हजार वर्ग फीट भूमि पर कब्जा दिला दिया।

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    संभल के बेगम सराय स्थित जन्नत निशा स्कूल की भूमि को अपनी बताने वाले एक परिवार के सदस्य। जागरण

    जागरण संवाददाता, संभल। 1978 दंगे का एक और पीड़ित परिवार सामने आया है। उनके दादा बलराम की हत्या के बाद जमीन पर मुस्लिमों ने कब्जा कर लिया। दंगे के बाद बलराम का पूरा परिवार बिखर गया। तीन बेटों में एक रामभरोसे ने बहन के घर नरौली में शरण ली। 

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    दूसरे बेटे नन्हूमल चंदौसी आ गए। तीसरे तुलसीराम संभल में ही किराये पर रहने लगे। 24 नवंबर, 2024 की हिंसा के बाद प्रशासन की सख्ती पर न्याय की उम्मीद जगी। 15 दिन पहले रामभरोसे के परिजनों ने अधिकारियों से संपर्क किया। 

    कब्जाधारी चला रहा था स्कूल

    जांच में पता चला कि कब्जे वाली भूमि पर डाॅ. शाबेज द्वारा आजाद जन्नत निशा कन्या माध्यमिक विद्यालय संचालित किया जा रहा है। मंगलवार को एसडीएम वंदना मिश्रा ने 15 हजार वर्गफीट में 10 हजार वर्ग फीट भूमि पर कब्जा दिला दिया। 

    स्कूल प्रबंधक डॉ. मोहम्मद शहबाज सिर्फ करीब पांच हजार वर्ग फीट भूमि का ही बैनामा दिखा सके। 47 साल बाद भूमि पर कब्जा मिलने से परिवार में खुशी का माहौल है। 

    संभल में 29 मार्च, 1978 को सांप्रदायिक दंगा भड़का था। कई हिंदुओं को जिंदा जला दिया गया था। सौ से अधिक परिवार पलायन कर गए थे। इधर, बलराम की हत्या के बाद उनके परिजनों के अलावा 20 अन्य परिवार भी अपनी संपत्ति छोड़कर पलायन कर गए थे। 

    14 दिसंबर को खग्गू सराय में 47 साल बंद शिव मंदिर मिलने के बाद दंगा सुर्खियों में आ गया है। कई परिवार वर्षों बाद संभल आए। विधान परिषद में मामला उठने के बाद शासन ने संभल जिला प्रशासन ने दंगे की रिपोर्ट तलब की है। एडीएम प्रदीप वर्मा और एएसपी श्रीश्चंद्र इसके बारे में जानकारी कर रहे हैं।

     

    इस बीच बलराम के परिजन भी अपनी संपत्ति को लेकर सामने आए। 1978 के दंगे में बलराम को भी मौत के घाट उतार दिया गया था। दो वर्ष बाद बेटे रामभरोसे की भी मृत्यु हो गई। रामभरोसे के बेटे रघुनंदन नरौली में पकौड़ी बेचते हैं। उनकी शिकायत पर मंगलवार को एसडीएम ने स्कूल प्रबंधक ने अभिलेख मांगे तो वह पूरी जमीन के अभिलेख नहीं दिखा सके। 

    राजस्व अभिलेख में भूमि रामभरोसे के नाम दर्ज निकली। एसडीएम ने सीमांकन कराकर रघुनंदन और तुलसीराम के स्वजन को कब्जा दिला दिया। इधर, स्कूल के दो भवनों पर फायर स्टेशन संभल के बोर्ड के साथ हेल्पलाइन नंबर दर्ज मिले। स्कूल प्रबंधक इसके बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। उनका कहना था कि स्कूल में एक बार आग बुझाने के प्रति जागरूक करने के लिए दमकलकर्मी आए थे। तभी ये लिखा था। 

    एएसपी श्रीश्चंद्र का कहना है कि संभव है यहां फायर स्टेशन रहा हो। इसकी जांच कराई जा रही है। जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैसिया का कहना है कि जमीन को कब्जामुक्त कराकर वास्तविक दावेदारों को कब्जा दिलाया गया है।

    बलराम की हत्या के बाद घर छोड़कर भाग गए थे तीनों भाई

    नरौली में रह रहे रघुनंदन के दादा की उनके सामने हत्या कर दी गई थी। इसके बाद उनके पिता रामभरोसे अपने चचेरे व तहेरे भाइयों के साथ अपना घर-जमीन छोड़कर जान बचाते हुए भाग गए थे। 

    रघुनंदन के पिता अपने परिवार के साथ बहन के घर नरौली पहुंचे तो एक भाई चंदौसी तो दूसरा हातिम सराय में पहुंच गया। तीनों परिवारों ने कई साल बिना घर अपना जीवन यापन किया। पन्नी की छत बनाकर रहे। मंगलवार को उनकी कब्जाई जमीन मिली तो खुशी से आंखें नम हो गई। 

    संभल के मोहल्ला चिमनदास सराय में माली समाज के लगभग 20 परिवार रहते थे। यहीं पर बलराम माली अपने पोते रामभरोसे, नन्हूं और तुलसीराम के साथ रहते थे। तीनों परिवारों के पास बेगम सराय में जमीन थी। 

    वर्ष 1978 में संभल में दंगे शुरू हुए तो हिंदुओं की हत्या करनी शुरू कर दी गई। रघुनंदन ने बताया कि अपने बाग में मौजूद दादा बलराम की भी हत्या कर दी गई। जैसे ही यह जानकारी उनके परिजनों को लगी तो अपने घर से भाग निकले। घर से सामान निकालने का भी समय नहीं मिला। दंगे के चलते हुए उजड़ा परिवार आज भी अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए संघर्ष कर रहा है।

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