कोर्ट में चल रही थी संभल हिंसा मामले की सुनवाई, पर्सनल लैपटॉप लेकर पहुंच गया शख्स, जज ने कहा- आइंदा न हो ऐसी…
संभल की जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हुई हिंसा के आरोपियों की जमानत अर्जी पर बहस के दौरान एक व्यक्ति लैपटॉप लेकर अदालत में पहुंचा जिस पर जिला शासकीय अधिवक्ता ने विरोध जताया। उन्होंने कहा कि एविडेंस एक्ट के तहत अदालत में निजी लैपटॉप का प्रयोग नहीं किया जा सकता है। इस पर न्यायाधीश ने लैपटॉप के साथ उस व्यक्ति को बाहर निकाल दिया।
जागरण संवाददाता, संभल। संभल की जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हुई हिंसा के आरोपियों की जमानत अर्जी पर बहस के दौरान अदालत में साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए एक व्यक्ति लैपटॉप लेकर पहुंचा। इस पर जिला शासकीय अधिवक्ता ने विरोध जताया।
साथ ही कहा कि एविडेंस एक्ट के तहत अदालत में निजी लैपटॉप का प्रयोग नहीं किया जा सकता है। इस पर न्यायाधीश ने लैपटॉप के साथ उस व्यक्ति को बाहर निकाल दिया। इस मामले में हिदायत दी गई कि आइंदा साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए लैपटॉप व मोबाइल लेकर अदालत में नहीं आएं। बचाव पक्ष के अधिवक्ता स्वयं सबूत पेश करें।
डीजीसी राहुल दीक्षित ने बताया कि हिंसा के आरोपी की ओर से अदालत में बहस करने आए अधिवक्ता मसूद अली फारुखी के साथ जो व्यक्ति लैपटॉप लेकर अदालत में आया था वह आरोपी पक्ष का ही कोई सगा संबंधी था। इसे कोर्ट से बाहर निकाल दिया गया।
जामा मस्जिद सदर पर धमकी देने का आरोप
संभल हिंसा के आरोपियों की जमानत प्रार्थना पत्राें पर बहस के दौरान अभियोजन एवं बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। इस मामले में जिला शासकीय अधिवक्ता की ओर से अदालत भी बताया गया कि उन्हें आरोपियों के अधिवक्ता की ओर से धमकी दी गई है।
हुआ ये कि दोनों ओर से बहस चल रही थी। इसी दौरान एक आरोपी की ओर से अधिवक्ता जफर अली जो कि जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के सदर भी हैं, बहस कर रहे थे।
इसी दौरान अभियोजन से जिला शासकीय अधिवक्ता राहुल दीक्षित की मौजूदगी में सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता हरिओम प्रकाश सैनी से तीखी बहस शुरू हो गई। जफर अली ने बहस के दौरान कहा कि उनके मुवक्किल को झूठा फंसाया गया है, जिस समय घटना हुई उस समय वह खुद भी मौके पर मौजूद थे, उन्होंने कहा कि बचाव में कुछ लोगों ने पत्थर फेंके थे।
इस पर अभियोजन की ओर से प्रत्युत्तर में कहा गया कि आप बहस कर ही नहीं सकते, क्योंकि प्रशासन ने आपको संदिग्ध माना है और मोबाइल भी जमा कराया गया है।
डीजीसी का आरोप है कि जफर अली ने उन्हें कोर्ट से बाहर निकलकर देख लेने की धमकी दी तो वह बाहर भी निकल आए, बाहर भीड़ लग गई और सभी लोगों के साथ सदर जफर अली भी चले गए।
डीजीसी ने बताया कि उन्होंने इस मामले में जज साहब को भी अवगत करा दिया है। इधर जफर अली का कहना है कि उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा है, जैसा डीजीसी कह रहे हैं।
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