इस्लाम में दहेज मांगना जायज है या नाजायज? इमाम साहब ने कर दी सारी कंफ्यूजन दूर
सरायतरीन में शाही जामा मस्जिद के पेश इमाम ने कहा कि नबी की सुन्नत के अनुसार निकाह को आसान बनाएं। आजकल लोग दहेज मांगते हैं जो इस्लाम में गलत है। उन्होंने मुसलमानों को सादगी से निकाह करने की सलाह दी। दहेज प्रथा एक सामाजिक बुराई है और हमें इसे मिलकर खत्म करना चाहिए। सादगी से निकाह होने पर गरीबों की बेटियों का विवाह आसान हो जाएगा।

संवाद सूत्र, सरायतरीन। शुक्रवार को मुहल्ला दरबार स्थित शाही जामा मस्जिद के पेश इमाम ने बताया कि नबी की सुन्नत के अनुसार निकाह को आसान बनाए। जबकि आज के दौर में मुसलमान अपने नबी का फरमान भूल गए हैं और शादी विवाह में दहेज मांगते हैं। जबकि हमारे मजहब में दहेज मांगना गलत है, ऐसी शादी कोई करता है तो उसकी निदा करनी चाहिए।
सरायतरीन के मुहल्ला दरबार स्थित शाही जामा मस्जिद में शुक्रवार को जुमे की नमाज से पहले आयोजित तकरीर में पेश इमाम मुफ्ती मुहम्मद रियाज उल हक कासमी ने अपने बयान में बताया कि मुसलमान नबी की सुन्नत के अनुसार निकाह करें, जिसमें सादगी के साथ निकाह करना नबी की सुन्नत हैं।
उन्होंने कहा कि आज मुस्लिम समाज में तमाम बुराइयां आ गई हैं। यही कारण है कि इस समाज के लोगों कील मान-मर्यादा तेजी से घट रही है। उन्होंने कहा कि इस्लाम के अनुसार दहेज प्रथा नाजायज है, लेकिन आज दहेज लेने का चलन तेजी से बढ़ रहा है, जो चिंता का विषय है।
दहेज की मांग करने वाला अपनी आबरू को खोते हुए बेटियों के साथ नाइंसाफी करता है। यह हमारे नबी को बिल्कुल पसंद नहीं था। ऐसे में हमें मिल-जुलकर दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों को जड़ से खत्म करना होगा। उन्होंने कहा कि पैगंबर मुहम्मद साहब ने बेटियों को जिल्लत के जाल से निकालकर उन्हें इज्जत का मुकाम अता किया।
नबी ने बेटियों को रहमत करार देते हुए उनका पालन- पोषण कर शादी विवाह करने वाले मां-बाप को जन्नत का हकदार बताया, लेकिन आज इंसान दौलत के घमंड में चूर होकर खुदा की नजरों से दूर होता जा रहा है। ऐसे में समाज की खुशखबरी के लिए नबी के बताए रास्ते पर चलना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही कहा कि यदि सादगी के साथ निकाह होगा तो गरीबों की बेटियों के निकाह आसानी से हो सकेंगे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।