यूपी के इस जिले में मोहल्लों का परिसीमन बना परेशानी का सबब, लोग काट रहे थानों के चक्कर
संभल में थानों का परिसीमन जनता के लिए परेशानी का सबब बन गया है। रायसत्ती पुलिस चौकी को थाने का दर्जा मिलने के बाद कई मोहल्लों की सीमाएं बदल गई हैं जिसकी जानकारी न होने से लोग अपनी शिकायतें दर्ज कराने के लिए थानों के चक्कर काट रहे हैं। शिकायतकर्ता कोतवाली और नखासा थाने से रायसत्ती भेजे जा रहे हैं।

संवाद सहयोगी, संभल। थानों का परिसीमन जनता के लिए सिरदर्द बन गया है। शिकायत लेकर थाने पहुंचने वाले लोग यह समझ ही नहीं पा रहे कि उनका इलाका अब किस थाने में आता है। कभी कोतवाली तो कभी नखासा और अंत में रायसत्ती थाने के चक्कर काटते-काटते शिकायतकर्ता थक जा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो पा रही। हाल ही में रायसत्ती चौकी को थाने का दर्जा मिलने के बाद कई मुहल्लों की सीमाएं बदल गई हैं, जिसकी सही जानकारी न होने से लोग पुलिस व्यवस्था से ज्यादा भटकाव का शिकार हो रहे हैं।
दरअसल, हिंसा के बाद से शहर में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए पुलिस प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। नई पुलिस चौकियों के साथ ही चेक पोस्ट बनाए गए हैं। साथ ही संवेदनशील क्षेत्रों में दो करोड़ से 224 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
इसके अलावा पुलिस व्यवस्था को ओर मजबूत करने और बढ़ते अपराधों पर नियंत्रण के उद्देश्य से शासन ने रायसत्ती पुलिस चौकी को थाने का दर्जा दिया है। इसके बाद से अन्य थानों से लगने वाली क्षेत्रीय सीमाओं का पुनर्निर्धारण कर दिया गया है। पहले जिन मुहल्लों की जिम्मेदारी कोतवाली और नखासा थाना संभालते थे, उनमें से कई अब रायसत्ती थाने के अधीन आ गए हैं।
नखासा थाना क्षेत्र में लगने वाले मुहल्ला दीपा सराय, हिंदुपुरा खेड़ा और खग्गू सराय के कुछ एरिया नए थाने में शामिल हो गए हैं, जिसमें हातिम सराय, शहबाजपुरा खुर्द, लोधी सराय, काजी सराय, तिमरदास सराय, सोतीपुरा, खग्गू सराय, हौज भदे सराय, ख्वांस खां सराय, हिंदुपुरा खेड़ा हैं। वहीं कोतवाली क्षेत्र के मुहल्ला चमन सराय, डेरा सराय, मियां सराय, बेगम सराय मुहल्ले रायसत्ती थाने में शामिल हो गए हैं, लेकिन आम जनता को इसकी जानकारी न होने के कारण वे अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए बार-बार थानों के चक्कर लगाने को मजबूर हो रहे हैं। जब शिकायतकर्ता कोतवाली या नखासा थाने जाते हैं तो वहां से उन्हें रायसत्ती भेज दिया जाता है।
वहीं, रायसती थाने में पहुंचने पर कभी-कभी यह तर्क दिया जाता है कि मामला अभी भी पुराने थाने के अधिकार क्षेत्र में आता है। इस तरह से शिकायतकर्ता का समय बर्बाद होने के साथ ही वह अपनी समस्या का समाधान भी नहीं करा पा रहे। इसकी पूरी जानकारी जनता तक न पहुंचने के कारण वर्तमान में यह लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है।
लोग अपने अनुभव से ही अंदाजा लगाकर थाने पहुंचते हैं और वहां से लौटकर दूसरे थाने जाने को मजबूर हो जाते हैं। रविवार को ही एक ऐसा मामला देखने को मिला था। जहां दीपा सराय के मुहल्ला पेपटपुरा निवासी एक पीड़िता चोरी की तहरीर लेकर कोतवाली पहुंची थी, लेकिन पुलिसकर्मियों ने पीड़िता को वहां से रायसत्ती भेजा। जब वह रायसत्ती थाने पहुंची तो वहां से भी उसे टरका दिया गया। कई घंटे इधर से उधर भटकने के बाद आखिर में वह नखासा थाने पहुंची। जहां काफी देर तक बैठने के बाद शिकायत दर्ज की गई।
ऐसे और बहुत से लोग मामलों को लेकर भटकते हैं, जो तत्काल न्याय या मदद चाहते हैं। जैसे चोरी, झगड़े या अन्य घटनाओं की शिकायत दर्ज कराने पहुंचे लोग कई-कई घंटे थानों के चक्कर काटने में ही खर्च कर देते हैं।
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