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    संभल : ₹7 करोड़ के कॉम्प्लेक्स की योजना पर 'ब्रेक', पालिका के पास निर्माण के लिए नहीं है फंड

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 04:53 PM (IST)

    चंदौसी नगर पालिका का ₹7 करोड़ का भवन प्रोजेक्ट 6 महीने से फंड के अभाव में अटका है। पुरानी बिल्डिंग ध्वस्त होने के बाद, पालिका कार्यालय तीन अलग-अलग स्थानों पर संचालित हो रहे हैं। धन की कमी और डिज़ाइन की जटिलता काम शुरू करने में बाधा बन रही है। जनता को छोटे कामों के लिए भी भटकना पड़ रहा है।

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    ध्‍वस्‍त की गई ब‍िल्‍ड‍िंग जागरण

    जागरण संवाददाता, चंदौसी। नगर में दूसरे भवनों का लेखाजोखा रखने वाली नगर पालिका इस समय खुद अपने भवन के लिए तरस रही है। काफी समय से नगर पालिका का कामकाज गांधी पार्क स्थित पुराने भवन से संचालित हो रहा है, जबकि इसका मूल भवन मई में ही ध्वस्त कर दिया गया था। छह महीने बीत जाने के बाद भी नए निर्माण को लेकर एक इंच भी कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी है।

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    बोर्ड की बैठक में सात करोड़ रुपये का प्रस्ताव भवन के नाम पर स्वीकृत हो चुका है। मगर, अभी धन के अभाव में काम शुरू नहीं हो पाया है। वर्तमान में चंदौसी नगर पालिका के कार्यालय तीन अलग-अलग स्थानों पर संचालित हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग और बिजली विभाग फव्वारा चौक स्थित भवन में चल रहे हैं, जबकि वाटर वर्क्स की बिल्डिंग में जलकल, पीडब्ल्यूडी और अन्य छोटे पटल संचालित किए जा रहे हैं।

    गांधी पार्क में मुख्य कार्यालय है, जहां पालिका अध्यक्ष, अधिशासी अधिकारी, लेखाकार और टैक्स कार्यालय काम करते हैं। अलग-अलग स्थानों पर कार्यालय होने के कारण जहां विभागीय कर्मचारियों को प्रतिदिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है, वहीं आम जनता भी छोटे से काम के लिए दिनभर इधर-उधर भटकती नजर आती है।

    लोगों का कहना है कि किसी कार्य के लिए आने पर अधिकारी एक भवन से दूसरे भवन तक भेजते रहते हैं और इसी में पूरा दिन निकल जाता है। कुछ वर्ष पहले फव्वारा स्थित नगर पालिका का मूल भवन जर्जर होने पर कई कार्यालयों को गांधी पार्क स्थित भवन में शिफ्ट कर दिया गया था। पिछले वर्ष दिसंबर में पूरे भवन को जर्जर घोषित कर उसके स्थान पर कॉम्प्लेक्स बनाने का प्रस्ताव पास हुआ था।

    प्रस्ताव के अनुसार, यहां तीन मंजिला कॉम्प्लेक्स बनना है। बेसमेंट में पार्किंग, पहली और दूसरी मंजिल पर दुकानें तथा तीसरी मंजिल पर नगर पालिका का कार्यालय। पालिका का मानना है कि इससे आमदनी बढ़ेगी और बाजार में जाम की समस्या में भी आंशिक राहत मिलेगी। इसी क्रम में अप्रैल के अंतिम सप्ताह में भवन की नीलामी कर मई में इसे ध्वस्त कर दिया गया था।

    तब से अब तक योजना को आकार नहीं दिया जा सका है। बताया जा रहा है कि निर्माण में दो प्रमुख कारण बाधा बन रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि प्रस्तावित तीन मंजिला इमारत पर लगभग सवा सात करोड़ रुपये खर्च होने हैं, जबकि पालिका के पास इतनी धनराशि उपलब्ध नहीं है। नियमों के अनुसार, दो करोड़ रुपये से अधिक के कार्यों के लिए पालिका को दूसरी कार्यदायी संस्था को ठेका देना होता है।

    मगर स्‍थ‍ित‍ि ये है क‍ि इसके लिए भी पर्याप्त धनराशि मौजूद नहीं है। वहीं यदि पालिका डिज़ाइन में बदलाव कर पहली मंजिल पर ही कार्यालय और दूसरी-तीसरी मंजिल पर दुकानें बनाना चाहे, तो तकनीकी जटिलताओं के चलते निर्माण कार्य आगे बढ़ाना संभव नहीं हो पा रहा है।

     

    अभी भवन की डिजाइन और बजट पर मंथन चल रहा है। मामले में अन्य केसों को देखा जा रहा है। आगे होने वाली बोर्ड की बैठक में इसे रखा जाएगा, जो भी निर्णय होगा उसी के अनुसार आगे बढ़ा जाएगा।

    - धर्मराज राम, अधिशासी अधिकारी

     

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