पांच सेक्टरों में बंटा शहर, सर्वेक्षण कार्य भी शुरू; संभल में क्या नया तैयार किया जा रहा है?
संभल शहर का गेजेटियर बनाने का काम शुरू हो गया है। इससे शहर की सामाजिक, आर्थिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक जानकारी एक ही जगह पर मिलेगी। शहर को पाँच सेक्टरों में बाँटा गया है और सर्वे शुरू हो गया है। गेजेटियर में शहर के सामाजिक ढाँचे, बाजार, उद्योग, स्कूल, कॉलेज, नदियों और तालाबों की जानकारी होगी। इससे योजना बनाने और विकास कार्यों में मदद मिलेगी।

संवाद सहयोगी, संभल। नगर की सामाजिक, आर्थिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक पहचान को एक ही दस्तावेज़ में समेटने की दिशा में पालिका ने कार्य शुरू कर दिया है। नगर गेजेटियर के तैयार होने के बाद संभल शहर से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी एक ही प्लेटफार्म पर उपलब्ध होगी।
जिससे स्थानीय प्रशासन को योजनाएं बनाने में मदद तो मिलेगी ही साथ ही शोधकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को भी प्रमाणिक डेटा आसानी से मिल सकेगा। गेजेटियर के लिए सर्वेक्षण कार्य शुरू हो गया है। शहर को पांच सेक्टरों में बांटा और हर सेक्टर के लिए एक एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया। टीम अलग-अलग वार्डों में जाकर कर्मचारियों के साथ जानकारी इकट्ठा करेगी।
नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी डा. मणिभूषण तिवारी ने बताया कि गेजेटियर में शहर के सामाजिक ढांचे, जातीय और धार्मिक सरंचना, आर्थिक गतिविधियों, शहर का खानपान, बाजारों, उद्योगों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों का विवरण दिया जाएगा। उद्योगों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों का विस्तृत विवरण दर्ज किया जाएगा।
इसके साथ ही शहर के शैक्षणिक संस्थान, स्वास्थ्य सुविधाएं, सांस्कृतिक धरोहरें, स्मारक, धार्मिक स्थल, ऐतिहासिक घटनाएं और प्रचलित मान्यताओं और लोक संस्कृति को भी विस्तार से शामिल किया जाएगा। गेजेटियर का एक अहम हिस्सा नगर की भौगोलिक और प्राकृतिक संरचना होगी।
इसमें शहर से जुड़ी नदियों, तालाबों, पोखरों, जल-स्रोतों, भूगर्भीय स्थिति और पर्यावरणीय बदलावों की अद्यतन जानकारी दर्ज की जाएगी। अधिशासी अधिकारी ने बताया कि शहर के हर मुहल्ले, वार्ड, सड़क, गलियों, नालों और नालियों की वर्तमान स्थिति, उनकी लंबाई, चौड़ाई और मरम्मत की जरूरतों का भी पूरा रिकार्ड गजेटियर में शामिल रहेगा। इसके अलावा सुरक्षा और संवेदनशीलता से जुड़े पहलू भी महत्वपूर्ण भाग होंगे।
पुलिस व्यवस्था, फायर स्टेशन, आपदा प्रबंधन संसाधन, भीड़भाड़ वाले क्षेत्र, संवेदनशील क्षेत्र और ट्रैफिक व्यवस्था को भी संकलित किया जा रहा है। ठोस कचरा (सालिड वेस्ट मेनेजमेंट) निस्तारण प्रणाली, डंपिंग जोन, कूड़ा उठान व्यवस्था तथा स्वच्छता से जुड़ी चुनौतियों को भी इसमें विशेष स्थान दिया जाएगा।
बताया कि गेजेटियर तैयार होने से भविष्य में योजनाएं, निर्माण, बजट निर्धारण, विकास कार्यों की प्राथमिकता और संसाधनों के बेहतर उपयोग में पारदर्शिता और गति आएगी। इससे शहर की जरूरतें स्पष्ट होंगी और नागरिकों को भी पता चलेगा कि उनके क्षेत्र में कौन-कौन-सी सुविधाएं उपलब्ध हैं और कहां कहां सुधार की आवश्यकता है।

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