संभल में खोला गया कई सालों से बंद पड़ा कुआं, लोगों ने अंदर झांककर देखा तो रह गए दंग; पाताल लोक से है संपर्क
Sambhal News संभल के क्षेमनाथ तीर्थ में सालों से बंद पड़े एक कुएं को खोला गया तो उसमें साफ पानी मिला। माना जा रहा है कि यह पानी पाताल का है। कुएं की गहराई अधिक होने के कारण यह अब भी सुरक्षित है। इस कुएं को खोलने का काम महंत बाल योगी दीनानाथ के नेतृत्व में सेवादारों ने किया है।
संवाद सहयोगी, संभल। शहर में पुराने कुओं को पुनः जीवित करने का अभियान तेजी से जारी है। हर दिन विभिन्न मुहल्लों में वर्षों से बंद पड़े कुओं की पहचान कर उन्हें साफ-सुथरा किया जा रहा है। इसी क्रम में क्षेमनाथ तीर्थ पर एक पुराने कुएं को खोला गया तो सभी चौंक गए। कई वर्षों से बंद पड़े इस कुएं में आज भी साफ पानी मौजूद मिला। श्रद्धालुओं कहना है कि यह पानी पाताल का है और कुएं की गहराई अधिक होने के कारण यह अब भी सुरक्षित है।
शहजादी सराय स्थित क्षेमनाथ तीर्थ पर वर्षों से बंद इस कुएं को खोलने का काम महंत बाल योगी दीनानाथ के नेतृत्व में सेवादारों ने किया। ऊपर सीमेंट की आरसीसी को तोड़ा गया था तो उसके अंदर झांकने वाले सभी चौंक गए। कुएं के ऊपर बना स्लैब तोड़ने के बाद जब कुएं में पानी दिखाई दिया तो सभी के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। बताया जा रहा है कि यह कुआं तीर्थ के प्राचीन जलस्रोतों में से एक था, जिसका उपयोग पुराने समय में तीर्थ पर परिक्रमा करने आते थे।
खोले गए कई पुराने कुएं
वहीं शहर भर में पालिका की ओर से चलाए जा रहे इस अभियान का उद्देश्य ना केवल पुराने जलस्रोतों को पुनर्जीवित करना है, बल्कि पानी के संकट से निपटने के लिए इनका संरक्षण और उपयोग सुनिश्चित करना भी है। शहर के विभिन्न हिस्सों में अब तक कई पुराने कुएं पुनः खोले जा चुके हैं। इसमें से किसी कुएं में अभी तक पानी नहीं मिला, लेकिन रविवार को खोले गए इस कुएं में साफ पानी नजर आया।
क्षेमनाथ तीर्थ का यह कुआं अन्य जलस्रोतों के लिए भी एक प्रेरणा बन गया है। जिसने सुना वह क्षेमनाथ तीर्थ पर दौड़ा चला आया और कुएं में झांके बना अपने को रोक ना सका। वहीं कुएं के ऊपर जाल बिछा दिया गया है, ताकि किसी भी प्रकार की कोई अनहोनी ना हो सके।
चंदौसी में दिखने लगा बावड़ी का अस्तित्व
शनिवार को संपूर्ण समाधान दिवस में डीएम को प्रार्थना पत्र देकर हिंदू संगठन के लोगों की ओर से चंदौसी में स्थित मंदिर और बावड़ी कुआं पर कुछ लोगों द्वारा कब्जा कर उन्हें विलुप्त किए जाने का आरोप लगाते हुए इनको वास्तविक स्वरूप में लाकर संरक्षित करने की मांग की गई थी।
इस पर मुहल्ला लक्ष्मण गंज शनिवार की शाम खुदाई शुरू हुई तो बावड़ी का अस्तित्व नजर आया। रविवार को भी पूरे दिन खुदाई का काम चला। इसमें अब बावड़ी के अंदर बने कमरे नजर आने लगे हैं। डीएम व एसपी ने मौके पर पहुंचकर स्थिति देखी और बांके विहारी मंदिर का भी जीर्णोद्वार कराने की बात कही।
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