Move to Jagran APP

जूता उद्योग के लिए भी दूर-दूर तक मशहूर है 'मैंथा नगरी'

चन्दौसी: मैंथा नगरी के रूप में दूर-दूर तक पहचानी जाने वाली चन्दौसी की चर्चा जूतों के कारोबार

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Dec 2017 12:41 AM (IST)Updated: Mon, 11 Dec 2017 12:41 AM (IST)
जूता उद्योग के लिए भी दूर-दूर तक मशहूर है 'मैंथा नगरी'
जूता उद्योग के लिए भी दूर-दूर तक मशहूर है 'मैंथा नगरी'

चन्दौसी: मैंथा नगरी के रूप में दूर-दूर तक पहचानी जाने वाली चन्दौसी की चर्चा जूतों के कारोबार के लिए भी होती है। यहां बनने वाला जूता आसपास के इलाकों में ही नहीं बल्कि अन्य जनपदों समेत उत्तराखंड के भी कई जिलों में भेजा जाता है। हालांकि, फैशन और कंप्टीशन के इस युग में कारोबार कुछ घटा है, लेकिन फिर भी चन्दौसी का जूता उद्योग अपनी चमक दूर-दूर तक बिखेर रहा है। नगर के लगभग ढाई सौ घरों में यह कारोबार होता है। यह बात अलग है कि कारोबारी और कारीगरों को सरकार की तरफ से कोई प्रोत्साहन या योजना का लाभ आज तक नहीं मिल सका।

loksabha election banner

नगर के चुन्नी मुहल्ला, लोधियान, खुर्जागेट, करेली रोड आदि स्थानों पर निकल जाएं तो लगभग हर घर में जूता निर्माण का काम होता दिखाई दे जाएगा। यहां छोटे-बड़े लगभग तीन दर्जन कारखाने हैं जिनमें लगभग एक हजार कारीगर काम करते हैं। जूते बनाने का कच्चा माल दिल्ली व आगरा से आता है, जिनसे यहां जूते तैयार किए जाते हैं। तकरीबन बीस साल पहले यहां शुद्ध चमड़े के जूते बनते थे, लेकिन धीरे-धीरे फैशन और कंप्टीशन के दौर में आर्टीफीशियल लेदर, लेदरफोम, माइक्रोफोम आदि के जूते बनाए जाने लगे। कारोबारी अविनाश ¨सह बताते हैं कि दिल्ली व आगरा से दो सौ रुपये से लेकर साढ़े तीन सौ रुपये प्रति मीटर की दर से माइक्रोफोम मिलती है। रुपये क्वालिटी के आधार पर तय होते हैं। शुद्ध चमड़े के जूते बनाने में जहां मेहनत ज्यादा लगती थी वहीं फिनि¨शग भी उतनी नहीं आ पाती, जितनी लेदरफोम और माइक्रोफोम के बने जूते में होती है। वह बताते हैं कि चन्दौसी के बने जूते बहजोई, बबराला, सम्भल, गजरौला समेत मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, बदायूं, रुद्रपुर, हल्द्वानी आदि जगहों पर भी सप्लाई होते हैं।

हर वैरायटी होती है तैयार

चन्दौसी: नगर में केवल शुद्ध लेदर या आर्टीफीशियल लेदर के जूते ही नहीं, बल्कि लाफर, नागरा बेली, लेडीज सैंडिल, स्लीपर, डिजाइनर चप्पलें भी तैयार होती हैं। इनके लिए भी कच्चा माल दिल्ली से मंगाया जाता है। यह कच्चा माल रेडीमेड होता है जिसे यहां बस जोड़कर आइटम तैयार किया जाता है। स्पोर्टस शू भी यहां कई घरों में बनाए जाते हैं जो थोक व्यापारी सवा सौ से डेढ़ सौ रुपये में ले जाते हैं।

दस से पन्द्रह करोड़ का सालाना कारोबार

चन्दौसी: कारोबारी एवं फुटवेयर डेवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष प्रेमपाल ¨सह बताते हैं कि चन्दौसी के जूता उद्योग का सालाना कारोबार दस से पन्द्रह करोड़ रुपये का है, लेकिन अब हस्तनिर्मित जूता व चप्पल बनाने के कारोबार को कम करके लोगों ने आर्टिफिशियल लेदर का काम शुरू कर दिया है। दिल्ली से लेदर के आइटम सस्ते रेट पर आसानी से मिल जाने के कारण लोग पुराने चमड़े के कारोबार को कम करके आधुनिक मशीनों से तैयार आइटमों से जूता चप्पल बना रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.