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    संभल जामा मस्जिद में सफाई शुरू, मस्जिद कमेटी ने रखा अपना पक्ष; पुताई मामले में अब इस दिन होगी सुनवाई

    Updated: Tue, 04 Mar 2025 08:21 PM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट जामा मस्जिद मामले में 10 मार्च को सुनवाई करेगा। एएसआई ने कोर्ट के आदेश पर सफाई शुरू कर दी है। मस्जिद प्रबंधन समिति ने एएसआई की रिपोर्ट पर जवाब दाखिल किया। विपक्षी हरिशंकर जैन का शपथ पत्र पत्रावली पर उपलब्ध नहीं था। कोर्ट ने महानिबंधक कार्यालय को इसे अगली तिथि तक पत्रावली के साथ रखने का आदेश दिया।

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    मस्जिद में पुताई मामले में 10 मार्च को होगी सुनवाई। (तस्वीर जागरण)

    विधि संवाददाता, प्रयागराज। संभल स्थित जामा मस्जिद में रमजान के दौरान सफेदी-मरम्मत व प्रकाश व्यवस्था के लिए अनुमति मांगने वाली याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट अब 10 मार्च को सुनवाई करेगा। मंगलवार को इस मामले में हुई चौथी सुनवाई में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की तरफ से जानकारी दी गई कि कोर्ट के पूर्व आदेश के क्रम में सफाई शुरू करा दी गई है।

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    न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ मस्जिद प्रबंध समिति की याचिका की सुनवाई कर रही है। जामा मस्जिद संभल की प्रबंध समिति ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की रिपोर्ट पर जवाब दाखिल किया। दोनों तरफ से पूरक शपथ पत्र भी दाखिल किए गए।

    विपक्षी हरिशंकर जैन का शपथ पत्र पत्रावली पर उपलब्ध नहीं था। कोर्ट ने महानिबंधक कार्यालय को इसे अगली तिथि तक पत्रावली के साथ रखने का आदेश दिया। एएसआइ के अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह ने बताया कि पिछले आदेश के क्रम में साफ-सफाई शुरू करा दी गई है। याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी तथा जहीर असगर ने इस पर कोई विवाद नहीं किया।

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    महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र, मुख्य स्थायी अधिवक्ता कुणाल रवि व एसीएससी संजय कुमार सिंह ने कहा कि विवादित मस्जिद परिसर के आसपास कानून व्यवस्था कायम है। इससे पहले 28 फरवरी को हुई सुनवाई में कोर्ट ने सिर्फ साफ-सफाई कराने की अनुमति दी थी। कहा था कि यह काम एएसआइ कराएगी। प्रशासन का दखल नहीं होगा। मस्जिद कमेटी की मांग पर कोर्ट ने दूसरी सुनवाई पर 27 फरवरी को एएसआइ की टीम बनाकर उससे 24 घंटे में रिपोर्ट तलब की थी।

    वकील ने 1927 के समझौते का किया जिक्र

    मंदिर पक्ष की तरफ से अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने सफाई व मरम्मत की आड़ में मंदिर के चिह्न मिटाए जाने की आशंका जताई थी। मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता का कहना है कि वर्ष 1927 में हुए समझौते के अनुरूप सफेदी व मरम्मत हर साल कराई जाती रही है।

    कोर्ट ने अंतरिम आदेश बढ़ा दिया है। सफेदी-मरम्मत व प्रकाश व्यवस्था की अनुमति संबंधी मस्जिद पक्ष की अर्जी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अस्वीकार कर दी थी। इसके बाद मस्जिद प्रबंध समिति ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।

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