यूपी के इस जिले के एक श्मशान घाट तक चार नहीं आठ कंधों पर लानी पड़ रही अर्थी, यह है कारण
Saharanpur News सहारनपुर के पिंजौरा में श्मशान घाट तक पहुंचने का रास्ता खराब होने से ग्रामीणों को भारी परेशानी हो रही है। ढमोला नदी में जलभराव के कारण अर्थी को गंदे पानी से ले जाना पड़ता है। पुल टूटने और पक्के रास्ते के अभाव में अंतिम संस्कार करना मुश्किल हो गया है।
मनीष जसवंत, जागरण, सहारनपुर। बात शास्त्रार्थ है कि वैकुंठ की आखिरी यात्रा पर हर किसी को अकेले ही निकलना है। एक सत्य यह भी है कि आखिरी मंजिल तक पहुंचने के लिए अर्थी को चार कंधों की जरूरत पड़ती है। गांव पिजौरा में यह विडंबना तब और बढ़ जाती है जब बारिश और उफनाती नदियों का जलभराव अंतिम यात्रा की भी राह रोकता दिखता है तो अर्थी को चार के बजाय आठ कंधों पर मंजिल तक पहुंचाया जा रहा है। इससे सहारनपुर में विकास दावों का भी सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां श्मशानघाट पहुंचने का मार्ग तक लोगों को नहीं मिल पा रहा है।
हृदयविदारक : चार की बजाए आठ कंधों पर निकली अर्थी
आठ कंधों पर टिकी अर्थी को गंदे पानी से होकर गुजरते देख जहां आंखें नम हो रही है, वहीं जिम्मेदारों की ओर तरेरती भी दिख रही हैं। जिसे देखकर दिल पसीज जाए, यह मामला मल्हीपुर रोड स्थित नगर निगम वार्ड-दो के गांव पिंजौरा बादशाहपुर का है। यहां मंगलवार को गांव के ज्ञानचंद भगत का निधन हो गया था। ज्ञानचंद के शव को क्रियाकर्म के लिए गांव श्मशानघाट ले जाने की ग्रामीण हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे।
आंसुओं से सराबोर आंखें से सरकार को कोसने में लगी थीं। दरअसल, पिंजौरा गांव का श्मशानघाट ढमोला नदी के दूसरे किनारे पर स्थित है। वर्षा के कारण ढमोला नदी न केवल उफान पर है, बल्कि नदी का पानी आसपास के क्षेत्र में भरा है। लोग दोपहर तक नदी का जल स्तर कम होने का इंतजार करते रहे, लेकिन नदी का पानी कम होने और श्मशानघाट पहुंचने का मार्ग नहीं खुलता देख लोग अर्थी को लेकर निकले थे। दलदली जमीन व जलभराव के चलते अर्थी को चार के बजाए आठ लोग किसी तरह संभालकर कंधा देते हुए श्मशानघाट पहुंचे और अंतिम संस्कार कराया। अर्थी की दुर्दशा का वीडियो किसी ने इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित कर दिया, जिससे लोगों में आक्रोश फैल गया। इसके बावजूद नगर निगम व प्रशासन ने सुध लेना गंवारा नहीं किया है।
तीन वर्षों से टूटा पड़ा है पुल
गांव पिंजौरा से श्मशानघाट जाने के लिए करीब पांच वर्ष पूर्व ढमोला नदी पर लकड़ी आदि का अस्थाई पुल ग्रामीणों ने स्वयं बनाया था। लोगों का कहना है कि अस्थाई पुल तीन वर्ष से टूटा पड़ा है तथा नदीं के बीच के होकर श्मशानघाट जाना पड़ता है, बरसात में शव का अंतिम संस्कार करने के लिए श्मशानघाट पहुंचना बेहद मुश्किल है तथा लोग शवों का संस्कार तक नहीं कर पा रहे है।
मंत्री से लेकर प्रशासन व निगम तक से लगा चुके गुहार
वार्ड दो पिंजौरा के पार्षद सुनील कुमार ने बताया कि श्मशानघाट पहुंचने का कोई पक्का मार्ग नहीं होने के कारण कच्चे रास्ते व नदीं से होकर जाना पड़ता है। कई वर्ष पूर्व बांस बल्ली का बना अस्थाई पुल टूट चुका है, जिसके बारे में राज्यमंत्री जसवंत सैनी से लेकर नगर निगम व प्रशासन तक से वह गुहार लगा चुके है। इसके बावजूद सड़क व पुल का निर्माण नहीं कराए जाने के कारण लोग मृतकों का अंतिम संस्कार नहीं करा पा रहे है।
महापौर सहारनपुर डा. अजय सिंह का कहना है कि पिंजौरा श्मशानघाट मार्ग प्रकरण जानकारी में है। श्मशान मार्ग पहुंचने का निरीक्षण किया जा चुका है, वर्षाकाल में यहां पहुंचने में दिक्कत न हो इसकी व्यवस्था करने की तैयारी पूरी कर ली गई है।
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