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    Saharanpur News : जिम में महिला-पुरुषों के एक साथ व्यायाम को बताया गलत... कहा कि महिलाओं को पर्दे का हुक्म है

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 08:39 PM (IST)

    Saharanpur News देवबंद के कारी इसहाक गोरा ने जिम में पुरुषों और महिलाओं के एक साथ व्यायाम करने को इस्लामी सिद्धांतों के विरुद्ध बताया है। उन्होंने कहा कि इस्लाम में सेहत का ध्यान रखना जरूरी है लेकिन महिलाओं का पुरुषों के साथ जिम में एक्सरसाइज करना गलत है क्योंकि इस्लाम में महिलाओं को पर्दे का हुक्म है। मजहबी उसूलों को तोड़ना गलत है।

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    जिम में पुरुषों-महिलाओं का एक साथ व्यायाम करना गलत। (प्रतीकात्मक फोटो)

    जागरण संवाददाता, देवबंद। जमीयत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक कारी इसहाक गोरा ने जिम में पुरुषों और महिलाओं के एक साथ व्यायाम को इस्लामी उसूलों के खिलाफ बताया है।

    रविवार को जारी बयान में कारी इसहाक गोरा ने कहा कि इस्लाम में सेहत की देखभाल करने पर जोर दिया गया है, लेकिन आजकल देखने में आया है कि जिम में पुरुषों के साथ ही मुस्लिम महिलाएं भी एक साथ एक्सरसाइज कर रहे हैं। इस संबंध में उनसे लोगों द्वारा पूछा जा रहा है कि क्या यह सही है या फिर गलत।

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    कारी गोरा ने कहा कि इस्लाम में महिला को पर्दे का हुक्म दिया गया है, ऐसे में मुस्लिम महिलाओं का जिम में जाकर पुरुषों के साथ एक्सरसाइज करना गलत है। कहा कि मजहबी उसूलों को तोड़कर आधुनिकता के नाम पर गलत चीजों को अपनाना सरासर गलत है।

    शेरी नशिस्त का आयोजन

    गंगोह : अंजुमन उर्दू अदब गंगोह के तत्वाधान में सराय कुतबे आलम शेख अब्दुल कुद्दूस में स्थित डा. युसूफ रशीद कुद्दूसी के निवास पर एक शेरी नशिस्त का आयोजन किया गया। अध्यक्षता सैय्यद मुहम्मद हसन और संचालन युसुफ रशीद अर्शी ने किया। इस शेरी का आरंभ करते हुए युसुफ रशीद अर्शी ने अपने नातिया कलाम पेश करते हुए पढ़ा ‘रहमत का खुला है आपका दर सुल्ताने मदीना, हम पे भी करम की एक नजर सुल्ताने मदीना‘।

    इसी क्रम में युनुस रहबर कुरैशी ने ये नातिया कलाम पेश किया ‘बढ़ गईं अब तो दिल की ये बेताबियां, मुझको तनवीरे बतहा दिखा दीजिए। नशिस्त को गजल के दौर मे ले जाते हुए युवा शायर वासिल खान अलिफ ने रूमानी अंदाज में ये शेर पेश किया तो महफिल में श्रोताओ का जोश अपने चरम पर पहुंच गया‘सितम उसका हर एक गंवारा, तुम्हारा जो एक बार कर ले नजारा, अगर इश्क है आग का दरिया तो दरिया हमारा किनारा तुम्हारा‘।

    मुहम्मद उसामा के इस शेर को भी श्रोताओ ने खूब पसंद किया ‘‘कोई ओर जलवा गर था कोई और बच्म होगी, अगर उनका तीर होता तो जिगर के पार होता। दिल्ली से आऐ मेहमान शायर डा आरिफ रशीद ने ये शेर पेश किया ‘‘ दिल पे चोट लगी आंखो में आए आंसू, दिल जला हूं, ये धुआं तेरे जलाने से उठा‘‘। नशिस्त में अश्फाक कुददूसी, तंसीफ,आरिफ अब्बासी,आसिम,शुऐब अब्बासी, जाहिद आदि ने भी अपने कलाम पेश किए। अजहर मियां कुददूसी, जुबैर, शब्बार आदि भी मौजूद रहे।